Friday 15 January 2016

दिन के उजाले में टंकी में मल लाकर नाले में डालने वालों का विरोध नहीं

जिस राह से पवित्र गंगा नदी का पवित्र पानी आता था
उसी राह से गंगा नदी में गंदा पानी जा रहा है

पटना। एल0सी0टी0घाट पर पुल बना है। इस कैनाल को पुल से ही पार कर सकते हैं।इधर-उधर से टंकी में मल भरकर लाते हैं। उसे दिन के उजाले में टंकी में मल लाकर कैनाल में डाल देते हैं। इसका कोई भी लोग विरोध नहीं करते हैं। 

बताते चले कि जिस राह से पवित्र गंगा नदी का पवित्र पानी को राजधानी के करीब लाया गया। उसी राह से गंगा नदी में गंदा पानी जा रहा है पवित्र गंगा नदी में गिरने। यह कहना बेजा नहीं है कि गंगा नदी में घरेलू पानी गिरता है। वहीं मल को प्रवाहित करने से गंगा नदी का पानी गंदा हो रहा है। माँ तेरी गंगा मैली हो गयी। घर के गंदे पानी को ग्रहण करने से। 

बताते चले कि माननीय पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को निर्देश दिया था। किसी तरह से माँ गंगिया को राजधानी के करीब लाये। सरकार ने जेसीबी से गंग स्थली में गड्ढा खोंदवाकर गंगा का पानी लाने में सफल हो सकी। कुछ माह गंगा नदी का पानी रहा। इसके बाद पानी आना बंद हो गया। गंगा नदी का पानी नहीं आने से नाला सूख गया। अब दूषित पानी को गंगा में गिराने का माध्यम बन गया है। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा, दीघा घाट,पटना। 

No comments: