मजे की बात है कि ट्रैफिक पुलिस भी ड्रेस में नहीं है। पुलिस के सिर से टोपी गायब है। और तो और नेमप्लेट भी नहीं है। वह नेमप्लेट धारण नहीं रहने के कारण गलत कार्रवाही करने के बाद भी नाम उजागर नहीं हो सकेगा।
सामाजिक कार्यकर्ता दयाल शरण का कहना है कि जब कुर्जी मोड़ के पास टेम्पों चालक जाम लगा देते हैं तब चील की तरह झपट्टामार पुलिस टेम्पों चालक को पकड़ने में लग जाते हैं। कागज देखने और दिखाने का कार्य शुरू कर दिया जाता है। इसके बाद मोटी राशि लेकर छोड़ दिया जाता है। राशि लेने के बाद रशीद नहीं देते हैं। राशि डकार लेते हैं। इसी तरह की हरकत से टेम्पों चालक परेशान हैं। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए टेम्पों चालक टेम्पों को लेकर हवा में उड़ने लगते हैं। जो घटना को दावत दे जाती है। सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि पुलिस को वाहनों से चाभी नहीं निकालना है। यहां तो चलते वाहनों से चाभी निकाल ली जाती है। वरीय अधिकारियों को हस्तक्षेप करने की जरूरत है। ऐसे पुलिसकर्मियों को साक्षर करने की जरूरत है।
आलोक कुमार
मखदुमपर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
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