Wednesday 24 February 2016

प्रभु की कृपा जरूरी

 पटना। पूर्व मध्य रेलवे द्वारा पटना घाट से दीघा घाट तक शहीद सवारी गाड़ी चलायी जाती है। केवल सुबह और शाम ही गाड़ी चलायी जाती है। आप जरूर ही इस शहीद सवारी गाड़ी को देखकर हालात समझ गये होंगे। रेलमंत्री सुरेश प्रभु की माया चाहिए। माया के पश्चात ही शहीद सवारी गाड़ी की हालात में सुधार संभव है।

शहीद सवारी गाड़ी का हाल है कि बहुत ही कम स्पीड पर चलती है। पटना घाट से चलकर पटना जंक्शन से होकर आर0ब्लॉक, नया सचिवालय, बेली रोड, पुनाई चक,शिवपुरी, राजीव नगर और दीघा घाट तक गाड़ी चलती है। आर0ब्लॉक,नया सचिवालय, बेली रोड,पुनाई चक,शिवपुरी,राजीव नगर और दीघा घाट पर हॉल्ट बनाया गया। हॉल्ट जर्जर स्थिति में है। शिवपुरी हॉल्ट पर गाय और भैस बांधा जाता है।

अंग्रेजों के द्वारा निर्माण किया गया है पटना से दीघा घाट तक रेलखंड। अंग्रेजों ने व्यापार के मकसद से रेलखंड का निर्माण किया था। भारतीय खाघ निगम के गोदाम में अनाज लाने और ले जाने का कार्य रेलखंड से होने लगा। फुलवारीशरीफ में स्थित गोदाम में अनाज का भंडारण होने से रेलखंड का उपयोग नहीं होने लगा। तब राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने रेलखंड का सदुपयोग किया। पूर्व केन्द्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने पटना घाट से दीघा घाट तक शहीद सवारी गाड़ी का परिचालन शुरू कर दिया। जिसका परिचालन छुकछुक रूकरूक से जारी है।

दिन में दो बार अप-डाउन करती है सवारी गाड़ीः सुबह में शहीद सवारी गाड़ी पटना स्टेशन से खुलकर पटना घाट जाती है। इसके बाद पटना घाट से दीघा घाट तक जाती है। दीघा घाट से खुलकर आर.ब्लॉक तक जाकर रूक जाती है। फिर शाम को आर.ब्लॉक से शुरू होकर दीघा घाट जाती है। इसके बाद दीघा घाट से पटना स्टेशन से होकर पटना घाट तक चली जाती है। पटना घाट से आकर पटना स्टेशन पर रूक जाती है। यही सिलसिला जारी है।

अनियमित परिचालन से सवारी गाड़ी में सवाड़ी ही नहीं रहताः पूर्व मध्य रेल के द्वारा निर्धारित समय सीमा के अंदर शहीद सवारी गाड़ी का परिचालन नहीं होता है। इसके कारण सवारी गाड़ी में सवाड़ी मिलता ही नहीं है। और तो और सवारी गाड़ी को आर.ब्लॉक के पास ब्लॉक कर दिया जाता है। इसके कारण सफर करने वाले गाड़ी से सफर करना नहीं चाहते हैं। गाड़ी के परिचालन के बारे में सूचना उपलब्ध नहीं करायी जाती है। हॉल्ट के पास बैठे लोगों को भी गाड़ी के बारे में सूचना नहीं रहती है। छुकछुक रूकरूक और सीटी बजाती गाड़ी आने के बाद ही लोगों को मालूम होता है कि गाड़ी आ रही है। तब जाकर सिंग्नल गिराया जाता है।

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।



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