पटना। भारतीय किसान परेशान रहते हैं। किसानों को यह गंभीर रूप से पता है और इसे बखूबी समझते भी हैं।उनकी फसलों को कई तरह के जीव-जंतुओं और कीटों से हमेशा खतरा बना रहता है। फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने में चूहा, घोंघा और सितुआ (स्लग) का काफी बड़ा हाथ होता है। किसानों को ज्यादा नुकसान और महादलितों को ज्यादा फायदा पहुंचाने वाले चूहा,घोंघा,और सितुआ (स्लग) ही है। मुसहर समुदाय का आहार चूहा,घोंघा,और सितुआ (स्लग) ही हो जाता है।
सितुआ को गंगा नदी के किनारे से लायाः आजकल पर्याप्त मात्रा में मिलता है गंगा नदी के किनारे सितुआ। जानकारी मिलने के बाद गोसाई टोला मुसहरी के महादलित मुसहर सुरेश मांझी बच्चे सितुआ लाने चले गये। बाल्टी भरकर सितुआ लाये। घर लाने के बाद सितुआ को पानी में रख दिये।
गर्म पानी से खुलता है सितुआ का मुंहः सुरेश मांझी की पत्नी गर्म पानी करके सितुआ का मुंह खोलने लगी। उसके अंदर पानी और मांस रहता है। उसी मांस को पकाकर मुसहर समुदाय के लोग खाते हैं।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
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