Thursday 28 April 2016

बुंदेलखंड में पानी बचाने ग्रामीण कर रहे हैं श्रमदान





एकता परिषद की पहल से नदी पर बनाया जा रहा है बांध

टीकमगढ़। पिछले दिनों पानी बचाने के लिए शुरू की गई एकता परिषद की मुहिम में ग्रामीण उत्साह से डटे हुए हैं। जल संचयन श्रमदान शिविर में किशोरों के साथ-साथ अधेड़ उम्र के ग्रामीण भी लगे हुए हैं। वे चाहते हैं कि इस बार की बारिश में उनके हिस्से का पानी बर्बाद न हो और उनका गांव हरा-भरा हो जाए। जिले के पलेरा विकासखंड के छरी पंचायत और टोरी पंचायत के डेढ़ सौ ग्रामीण स्थानीय सांदनी नदी पर 150 फीट लंबा, 15 फीट चौड़ और 5 फीट ऊंचा बांध बना रहे हैं। एकता परिषद के राष्ट्रीय समन्वयक अनीष कुमार ने बताया कि सुबह ‘जय जगत’ और ‘पानी बचाओ, जगत बचाओ’ नारे के साथ श्रमदान शुरू किया जाता है। अब यह स्टॉप डेम लगभग आधा बन गया है।

एकता परिषद के संतोष सिंह ने बताया कि सभी ग्रामीण सुबह 7 बजे से 11 बजे तक श्रमदान करते हैं। वे चना, मुरमुरा और गुड़ खाकर काम करते हैं। इस स्टॉप डेम को बनाने में एक रुपया भी खर्च नहीं किया जा रहा है। यह पूरी तरह से समुदाय की पहल पर समुदाय द्वारा समुदाय के लिए बनाया जा रहा है। मुंबई से आए एकता परिषद के वरिष्ठ कार्यकर्ता यतीश मेहता ने कहा कि ग्रामीणों का उत्साह अभूतपूर्व है। आधी संख्या महिलाओं की है। ग्रामीण चाहते हैं कि आगे कम से कम जल संकट का सामना करना ना पड़े। इसके लिए वे सतही जल स्रोत विकसित कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि जल, जंगल और जमीन पर सामुदायिक अधिकार के लिए आंदोलनरत जन संगठन एकता परिषद ने पानी के गंभीर संकट से निपटने के लिए ‘पानी बचाओ, जगत बचाओ’ नारे के साथ युवा ग्रामीणों को संगठित करना शुरू किया है। टोरी पंचायत के सरपंच जगदीश अहिरवार ने बताया कि गांव सहित पूरे इलाके में जल संकट को लेकर त्राहि मची हुई है। यहां से बड़ी संख्या में पलायन हो रहा है। हम अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। एकता परिषद का मानना है कि लातूर की तरह बुंदेलखंड और बघेलखंड में भी हालात हैं। ऐसे में पानी बचाने के लिए सरकारी पहल का इंतजार करने के बजाय समुदाय को साथ जोड़ना होगा। श्रमदान में लिधोरा, बसटगुवा, टोरी, रतनगुवा, और पलेरा के ग्रामीण शामिल हैं।



अनीष कुमार


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