Saturday 2 July 2016

बिन्द टोली,कुर्जी में 14 जगहों पर बनना था 42 शौचालय और 28 स्नानालय


7 माह में कछुआ चाल चलकर बना केवल 15 शौचालय और 10 स्नानालय
अब 1 ही चापाकल का सहारा
शौचालय
पटना। अब महिलाओं को मल त्याग करने के लिए उदयीमान भगवान भास्कर और अस्तांचलगामी भगवान दिवाकर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अब किसी भी वक्त मल त्याग कर सकती हैं। अब जो गांवघर में शौचालय बन गया है। इसको लेकर महिलाओं के बीच में हर्ष व्याप्त है। 

रेलवे परियोजना से विस्थापित हैंः पूर्व मध्य रेलवे परियोजना से विस्थापित होकर बिन्द टोली ,दीघा से आये हैं बिन्द समुदाय के लोग। सरकार ने 14 जगहों पर शौचालय निर्माण करने का फैसला किया। मगर 5 जगहों पर ही शौचालय निर्माण है। एक जगह में 3 शौचालय और 2 स्नानालय निर्माण किया गया है। अब शौचालय को न्यू लूक दिया जा रहा है। 

 स्नानालय
अब 1 ही चापाकल का सहारा रह गया हैः जिन जगहों में शौचालय और स्नानालय निर्माण किया गया है। उसी के बगल में चापाकल लगाया गया है। अभी इसी चापाकल के पानी लोग पी रहे हैं। शौचालय चालू हो जाने के बाद चापाकल का पानी का व्यवहार शौचालय और स्नानालय में होगा। अब तो चापाकल पर ही निर्भर है शौचालय और स्नानालय। जबतक चापाकल चलेगा तबतक शौचालय चलेगा। सुधि पाठक समझ ही गये होंगे?

एक व्यक्ति एक बाल्टी पानी लेकर जाएंगेः शौचक्रिया करने जाते समय एक व्यक्ति एक बाल्टी पानी लेकर जाएगा। मलद्वार साफ करने के बाद पानी से शौच स्थल की भी सफाई करेंगे। ऐसा करने से आसानी से शौचालय साफ रहेगा और दूसरे लोग व्यवहार कर सकेंगे। अगर शौचालय साफ नहीं किया गया तो लिंक फेल हो जाएगा। अन्य लोग व्यवहार करना बंद कर देंगे। 

चापाकल 
जागरूकता प्रसार करने की जरूरतः शौचालय और स्नानालय का समुचित उपयोग करने की जानकारी देने की जरूरत है। खुद स्वच्छ रहे और वातावरण को किस तरह से स्वच्छ रख सकेंगे। इस संदर्भ में लोगों के बीच में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। ऐसा करने से शौचालय और स्नानालय को सुचारूपूर्ण ढंग से चलाया जा सकता है। हर व्यक्ति को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की राह पर चलकर सफाई करने की जरूरत है। 

महिलाओं को फायदाः अब महिलाओं को मल त्याग करने के लिए उदयीमान भगवान भास्कर और अस्तांचलगामी भगवान दिवाकर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अब किसी भी वक्त मल त्याग कर सकती हैं। अब जो गांवघर में शौचालय बन गया है। इसको लेकर महिलाओं के बीच में हर्ष व्याप्त है। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।



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