Wednesday 24 August 2016

दूध में पड़ी मक्खी की तरह नौकरी से बाहर कर दियाः जोसेफ


ब्रदर बर्नड सिंह ने सादे कागज पर हस्ताक्षर कर कहा कि सब ठीक हो जाएगा

15 साल से दर-दर की ठोकर खाने को बाध्य जोसेफ

पटना। पटना धर्मप्रांत की चखनी पल्ली में रहते थे इम्मानुएल बारनो साह। इनका पुत्र जोसेफ इम्मानुएल है। वे नौकरी की तलाश में पटना धर्मप्रांत आ गये। 15 वर्ष की अवस्था में दीघा में स्थित एक्स0 टी0 टी0 आई0 में 1968 में दर्जी का कार्य मिला। छोकरा समझकर मिशनरियों ने जोसेफ को मात्रः 100रू0 मासिक पगाढ़ देने लगे। इस राशि से जोसेफ इम्मानुएल का सामाजिक-आर्थिक विकास नहीं हो सका। 
इस बीच जोसेफ टेलर के नाम से विख्यात जोसेफ का विवाह स्कॉलिटा नामक ईसाई महिला से हुआ। जोसेफ टेलर की माली हालत के आलोक में जोसेफ की पत्नी स्कॉलिटा जोसेफ को नवज्योति निकेतन में हाऊस किपिंग के रूप में काम मिला।दोनों के वेतन मिलाकर दाल-रोटी चलने लगा। जानकारी के अनुसार जोसेफ और स्कॉलिटा के सहयोग से 6 बच्चे हुए। इसमें 4 लड़की और 2 लड़के हैं। मामूली वेतन मिलने के कारण बच्चे पढ़ नहीं सके।

जमीन का मसलाः दूरदृष्टि रखने वाले मिशनरियों ने जमीन खरीद रखी। बिहार राज्य आवास बोर्ड द्वारा मरियम टोला की जमीन को अधिग्रहण किया था। हड़बड़ी में मिशनरियों ने कम कीमत पर ही ईसाई समुदाय और मिशनरी संस्थाओं में कार्यरत कर्मियों के बीच में एक हजार रू0 कट्टा जमीन बिक्री कर दी। एक्स0टी0टी0आई0 में कार्यरत लोगों को भी जमीन मिली। इसमें जोसेफ टेलर भी थे। एक कट्टा जमीन की कीमत एक हजार रू0 तय हुई थी। मिशनरियों ने सड़क की जमीन को भी कीमत आकलनकर  जोसेफ टेलर से 3 हजार रू0 बटोरने लगे। उक्त राशि को मासिक वेतन से कटने लगी। 

मिशनरियों और जोसेफ टेलर के बीच में तू-तू-मैं-मैंः जोसेफ टेलर कहते हैं कि तयशुदा एक हजार रू0 में दो हजार रू0 बढ़ोतरी करने को लेकर मिशनरी फादर से बातचीत हो गयी। मिशनरी फादर ने कहा कि वह जमीन तेरे बाप का नहीं है। इसके जवाब में कहा गया कि यह जमीन भी तेरे बाप (मिशनरी फादर)का नहीं है। इस मसले को लेकर 9 जनवरी 2001 को दूध में पड़ी मक्खी की तरह ही नौकरी से बाहर कर दिया। जोसेफ कहते हैं कि ब्रदर बर्नड सिंह ने सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाकर कहा कि सब मामला ठीक हो जाएगा। इससे भी मन नहीं भरा तो मिशनरी फादर ने झूठा एफ0 आई0 आर0 दीघा थाने में जाकर दर्ज करा दिया। मिशनरी फादर ने एफ0आई0आर0 में मामला दर्ज किया कि जोसेफ टेलर ने मिशनरी फादर की पिटायी कर दी है। 

तब 12 घंटे तक जोसेफ टेलर हाजत में रहेः एफ0 आई0आर0 में नामजद जोसेफ टेलर को दीघा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जोसेफ टेलर कहते हैं कि मार खाने वाले मिशनरी फादर को डाक्टरी जांच नहीं करायी गयी। इस मसले में कोई प्रत्यक्षदर्शी और न ही अन्य कोई गवाह ही थे। किसी तरह के साक्ष्य भी प्रस्तुत नहीं किया गया। इसका विरोध करने के बाद ही तब 12 घंटे के बाद हाजत में बंद जोसेफ टेलर को दीघा थानाध्यक्ष ने छोड़ दिया। 

संपूर्ण प्रकरण को लेकर जोसेफ पहुंचे श्रम न्यायालय के द्वारः लगभग 6 माह के बाद 2001 में ही संपूर्ण प्रकरण को जोसेफ इम्मानुएल श्रम न्यायालय में ले गये। इनका मामला अधिवक्ता राजेन्द्र सिंह देख रहे हैं। 15 साल के बाद भी मामला श्रम न्यायालय में विचाराधीन है। केस नम्बर- 6/2001 है। मिशनरी पैरवी के बल पर मामले को दबाने में कामयाब हो जा रहे हैं। 8 साल की नौकरी शेष थी। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना। 

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