Tuesday 23 August 2016

अब लालू का लाल से उम्मीद

पटना। जब उम्मीद का द्वार बंद हो जाता है, तब अंतिम उम्मीद लेकर आते हैं सत्याग्रही गर्दनीबाग। हाँ, 23 साल से छंटनीग्रस्त हैं यक्ष्माकर्मी। बर्बादी के हिमालय में चढ़े लोग 1 जनवरी 2016 को नया साल मनाया। नये साल में नयी उम्मीद लेकर छंटनीग्रस्त 5 जनवरी 2016 से बेमियादी धरना पर बैठे हैं। इधर-उधर भटकने वाले छंटनीग्रस्त कर्मियों को जोड़कर बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संद्य के बैनर तले बेमियादी धरना पर बैठे हैं। बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संद्य के सचिव रत्नेश्वर प्रसाद कर्ण पस्त हौसल्ले वालों के हौसल्ले को बुलंदी को परवान चढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। धरना पर बैठे छंटनीग्रस्त कर्मियों का कहना है कि अब लालू का लाल से उम्मीद है कि हमलोगों को दलदल से निकालेंगे। 

तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देनाः राजद अध्यक्ष और पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में टी0 बी0 सेन्टर के निदेशक डाक्टर ए0 ए0 मल्लिक थे। बाद में डिप्टी डायरेक्टर भी बने डाक्टर ए0 ए0 मल्लिक। डाक्टर ए0 ए0 मल्लिक ने 1980 से 1990 के बीच में 2000 कर्मियों की नियुक्ति किये। इन दैनिक मजदूरों को आरंभ में दैनिक मजदूरी  के रूप में बहाल किया गया। दीनानाथ प्रसाद कहते हैं कि 31 दिसम्बर 1984 में 15 रू0 मजदूरी पर बहाल हुए। श्री प्रसाद यक्ष्मा सहायक के रूप में यक्ष्मा रोगियों को रेलवे पास बनाते थे। 2 जनवरी 1985 में बीसीजी टेक्नीशियन के पद पर बहाल किया गया। मासिक वेतन 535 रू0 मिलने लगा। 9 साल कार्य करने के बाद 30 अप्रैल 1993 को नौकरी से हटा दी गयी। बताया गया कि अवैध बहाली किया गया है। दीनानाथ प्रसाद की तरह 2000 से अधिक यक्ष्माकर्मियों को आकाश से धरती पर धड़ाम से पटक दिया गया। तब से बेहाल हैं। 

अवैध बहाली के नाम पर छंटनीग्रस्त कर दियाः पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में 2000 से अधिक यक्ष्माकर्मियों को अवैध बहाली के नाम पर 30 अप्रैल 1993 से नौकरी से दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल दी गयी। इस अन्याय को लेकर यक्ष्माकर्मी ने 1993 में माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की। 1994 में माननीय उच्च न्यायालय ने कर्मियों के पक्ष में प्रस्ताव पारित कर सरकार को नौकरी में बहाल करने का आदेश दिया।  इस आदेश को पालन करने के बदले सरकार ने 1994 में सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी। सर्वोच्च न्यायालय ने 1997 में अपने आदेश में सरकार से कहा कि यक्ष्माकर्मियों को बहाल कर लें। 


माननीय न्यायालय के आदेश पालन नहींः हां, सरकार ने माननीय न्यायालय के आदेश को पालन ही नहीं किया। सरकार ने सीधी नौकरी पर बहाल करने के बदले 1997 में ही बी0पी0एस0सी0 से बहाली प्रक्रिया शुरू कर दी। 1630 कर्मियों की बहाली की रिक्ति निकाली गयी। इसमें यक्ष्माकर्मियों को वरीयता नहीं दी गयी। पढ़ाई से रिश्ते दूर-दूर छोड़ने वाले सच्चाई से कार्य करने वाले यक्ष्माकर्मी बी0पी0एस0सी0 की परीक्षा में गोल हो गये। 1630 में 800 पद ही भरे गये। मजे की बात है कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को इतला कर दिया कि 2250 पदों का विज्ञापन निकाला गया है। 

बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संद्य के सचिव रत्नेश्वर प्रसाद कर्ण ने कहा कि स्वास्थ्य आयुक्त के ज्ञापांक संख्या-528 दिनांक- 30.04.1993 को डाक्टर ए0 ए0 मल्लिक, यक्ष्मा उप निदेशक के द्वारा नियुक्त एवं समायोजित दिनांक- 01.01.1980 से दिनांक- 12.12.1990 तक यक्ष्मा कर्मचारी दस वर्षों से अधिक सेवा में कार्यरत रहने के बाद अवैध कर दिया गया जिसमें विभिन्न संकाय के कर्मचारी थे। आगे कहा कि बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंद्य और बिहार सरकार के बीच 1995 एवं 2005 में समझौता में आश्वासन दिया गया था कि हटाये गये यक्ष्माकर्मियों को सेवा में वापस कर लिया जाएगा। लेकिन आजतक नहीं किया गया। सरकार के क्रियाकलाप के बारे में महासचिव ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हटाये गये यक्ष्माकर्मियों को वरीयता के आधार पर चयन करने की प्रक्रिया निर्धारित की थी। किन्तु विभाग के उपेक्षा के कारण बाहरी व्यक्तियों का चयन कर लिया गया। पर हटाये गये यक्ष्माकर्मियों को आज भी चयन से बाहर कर दिया गया। अशोक कुमार,रूकसाना बेगम, दीनानाथ प्रसाद,राजेन्द्र राम, नगीना देवी, त्रिलोकी दुबे, मंजू देवी, रामनारायण चौधरी, छोटे लाल, सुदामा प्रसाद, योगेन्द्र राम, चन्द्रिका राम, रत्नेश्वर प्रसाद, गुप्तेश्वर प्रसाद, देवानंद दूबे, निर्भय जी, अशोक कुमार सिन्हा, बसंत कुमार, अरूण कुमार, सुदामा प्रसाद सिंह, गोपाल राउत ,भरत कुमार आदि भुखमरी के कगार पर हैं। अब पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा दर्द पर स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव दवा मालिश करेंगे? अब स्वास्थ्य मंत्री पर ही उम्मीद जाकर टिक गयी है।

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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