Wednesday 3 August 2016

दीघा थाने की पुलिस हाथ लपाक हैं


बॉक्स में से 10 हजार रू0से अधिक उड़ा लिये
दूसरे दिन 4170 रू0 वापस कर दिये

पटना। महादलित मुसहर समुदाय के लोग कहते हैं कि उनके कृत्य के कारण दीघा थाने की पुलिसकमियों की बुराई करें या बड़ाई करें? समझ से बाहर की बात है। रात्रि समय बॉक्स से रूपये निकालते हैं और दिन में वापस कर देते हैं। यह जांच का विषय बन गया है कि कितनी राशि उठायी गयी और कितनी राशि वापस कर दी गयी। जिस घर से राशि उठायी गयी। उनलोगों का कहना है कि कोई 10 हजार रू0से अधिक की राशि थी। उसमें केवल 4170रू0ही वापस किया गया। शेष 5830 रू0लापता है। 

सुशासन बाबू ध्यान देंगेः दीघा थाने की पुलिस हाथ लपाक हैं। दिन में रेकी करते हैं और रात में धावा बोलते हैं। जब अंधेरा होता है तब दिन के ऊंजाले में रेकी पर कार्रवाई करने निकलते हैं। गांवघर के लोग सो चुके हैं। कुत्ते जाग रहे हैं। अपनी भाषा में कुत्ते चोर-चोर कहने लगते हैं। खूब शोर करते हैं। कोई जाग नहीं पाये। इसका फायदा पुलिस ने उठाया। राम राज्य है घर और अन्य जगहों में ताला नहीं लगाते हैं। महुआ दारू बेचने वाले को पकड़ने आये थे। दारू मिला नहीं परन्तु खाली जार उठा लिये। इसके बाद पत्नी के साथ सोने वाले महेन्द्र मांझी को पकड़ लेते हैं। इसके बाद खाकी वर्दी पर दाग लगाने वाले कृत्य करने लगते हैं। कोने में रखे बॉक्स को खोलते हैं। बॉक्स से कपड़े निकालकर फेंकने लगते हैं। इस बीच कपड़ों के तह में नोट रखा मिला। सभी नोटों को ले लिये। महेन्द्र,जार और नोट लेकर थाने की ओर चलते बने। 

पटना-दीघा रेलखंड के सटे रहते हैंः महादलित मुसहर समुदाय के लोग झोपड़ी बनाकर रहते हैं। इस स्थान को महादलित उड़ान टोला कहते हैं। पहले महादलित गेट नम्बर-92 और पूजा फ्लावर मिल के सामने रहते थे। पूजा फ्लावर मिल वाले महादलितों को भगा दिये थे। तब रेलखंड के चाट में महादलित रहने लगे। कोई 50 से अधिक झोपड़ियों में मुसहर समुदाय के लोग रहते हैं। स्व0 बद्री मांझी के पुत्र महेन्द्र मांझी भी रहते हैं। जहानाबाद जिले में रहने वाली शिवक्रांति देवी के साथ महेन्द्र मांझी की शादी हुई है। दोनों के सहयोग से 4 लड़की और 3 लड़के हैं। गरीबी के कारण बच्चे नहीं पढ़ पा रहे हैं। 

महेन्द्र मांझी की पत्नी शिवक्राति कहती हैंः 27 जुलाई,2016 को बच्चों के साथ मियां-बीबी सो रहे थे। इतने में दर्जन भर पुलिस आयी। कोई 12 बज रहा था। बाहर में खाली जार था। उसे उठाकर कहने लगे कि तुम लोग दारू बेचते हो। इतना कहकर महेन्द्र मांझी(35 साल) को पकड़ लिये। इसके बाद बॉक्स खोलकर कपड़ा फेंकने लगे। कपड़े के तह में 10 हजार रू0 से अधिक रखे थे। पुलिस तमाम राशि को बटोर लिये। वह कहती थीं कि पुलिस बॉक्स को अधिक खंगाली नहीं तो खेंदरा के नीचे रखे सोना और चांदी लेकर चले जाते। पति महेन्द्र मजदूरी और खुद रद्दी कागज आदि बेचकर राशि संग्रह करके जेवरात कान,नाक,पैर आदि बनाये थे। 

जांच का विषयः आगे शिवक्राति देवी कहती हैं कि हाथ लपाक पुलिसकर्मियों ने 4 हजार 1 सौ 70 रू0 लौटा दिये। कहने लगे कि इतनी ही राशि दी। इस पर वह कहती हैं कि 10 हजार से अधिक की राशि थी। राशि लेते समय पुलिस ने गिनती नहीं की। इस तरह 5 हजार 8 सौ 30 रू0 वापस नहीं किये। यह जांच का विषय बन गया है। अभी महेन्द्र मांझी बेउर जेल में हैं।

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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