Thursday 13 October 2016

जब रक्षक ही भक्षक बन जाये................



पटना। जब रक्षक ही भक्षक बन जाये तो जाकर किससे कहा जाये? इसी तरह की घटना है। खाकी वर्दी पर जिम्मेवारी है कि बिहार में चल रहे पूर्ण नशाबंदी को पालन कराये। पूर्ण नशाबंदी करवाने वाले खुद ही सेवन करने लगे। 

दीघा थाने में पदस्थापित है सिपाही। दीघा हॉल्ट के बगल में गांजा पीने लगे। फुल ड्रेस में थे सिपाही जी। बावजूद, इसके सिपाही जी खाकी वर्दी का मर्यादा ही भूल गये। मगर उपस्थित गांजा पीने वाले लोगों ने सिपाही जी की इज्जत पर धब्बा नहीं लगे। इसके आलोक में गंजेड़ी सिपाही जी को घेर लिये। इसका फायदा हुआ कि आवाजाही करने वाले लोगों को पता नहीं चला कि बीच सड़क पर बैठकर खाकी वर्दीधारी सिपाही जी गांजा पी रहे हैं और धुंओं को आकाश में उछाल रहे हैं। आवाजाही करने वाले लोगों को भीड़ लगाने नहीं दे रहे थे। 

इससे साबित होता है कि सिपाही जी को नशा चाहिए। ऐसे सिपाही जी पर नकेल कंसने की जरूरत है। मजे की बात है कि थाने में भी गांजा रखे रहते हैं। बेकसूर नौजवानों को पकड़ने लाने पर कहा जाता है कि इस व्यक्ति के पॉकेट से गांजा मिला है। उस समय बेकसूर नौजवान मुंह नहीं खोल पाता है। वह तो किसी तरह ले देकर निकलना चाहता है। उससे और उसके परिजनों से लिखा लिया जाता है कि पूछताछ के लिए लाया गया है। उसे सकुशल ले जा रहे हैं। थाने से शिकायत नहीं है। 

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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