Thursday 13 October 2016

महावीर वात्सल्य अस्पताल में एक गोष्ठी

 पटना। विश्व अर्थराईटिस दिवस के अवसर पर दूसरे मरीजों को ऐसी बीमारियों के बारे में प्रेरणा एवं शिक्षित करने हेतु महावीर वात्सल्य अस्पताल में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में पीठ की गठिया से ग्रसित श्री वीरेन्द्र कुमार ने इस बीमारी से जुझने की वर्षों की कहानी सुनाते हुए अंततः सफल ईलाज तक पहुँचने और अपनी बीमारी को समझते हुए अपने को रोजी-रोटी कमाने के लिए उत्प्रेरित करने की व्यथा कथा सुनायी ।

महावीर वात्सल्य अस्पताल के निदेशक और हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. एस. एस. झा ने वर्ल्ड अर्थराईटिस डे के अवसर पर उन सारे बीमारियों का संक्षेप में उल्लेख किया जो अर्थराईटिस यानि जोड़ों के दर्द के लिए जम्मेदार हो सकते हैं । इन बीमारियों में कई प्रकार के गठिया रोग, गाउट के अलावा, फाईब्रोमायल्ज्यिा, ऑस्टियोपोरोसिस एवं ढ़लते हुए उम्र में होनेवाले ऑस्टियोपोरोसिस के कारणों पर भी प्रकाश डाला ।

इन सारी बीमारियों में मरीज काफी कमजोर एवं थका हुआ महसूस करता है । जोड़ों में दर्द के साथ-साथ सूजन एवं उनके जकड़ जाने की शिकायत रहती है । मांसपेशियों में भी दर्द एवं जकड़न हो सकता है और कभी-कभी तो लम्बे समय तक रहने पर डिप्रेशन भी हो सकता है । आँत संबंधी तकलीफें, किडनी की खराबी, फेफड़े की तकलीफ आदि भी साथ में हो सकती हैं । आवश्यकता है इन बीमारियों को उनकी शुरूआत में ही पहचाना जाय । यह बीमारी किसी भी उम्र में लोगों को ग्रसित करती है । छोटे बच्चों को भी प्रभावित करती हैं । कुछ मरीजों में वंशानुगत हो सकता है परंतु सिगरेट, शराब भी इसके लिए दोषी हो सकते हैं । मनुष्य के जीने के औसत आयु में वृद्धि एवं अच्छे खान-पान के वजह से अधिक वजन के कारण भी ये रोग उत्पन्न हो सकते हैं ।

रोग की पहचान हो जाने पर नियमित ईलाज की आवश्यकता पर बल देते हुए महावीर वात्सल्य अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश सिंह ने कहा कि आम तौर पर लोग लम्बे समय तक दवा का सेवन नहीं करना चाहते हैं परंतु उन्होंने कहा कि जैसे रक्तचाप, मधुमेह और थायरॉयड से ग्रसित मरीजों को जीवन भर दवा लेना पड़ता है उसी तरह जोड़ों के दर्द से ग्रसित मरीजों को चिकित्सक की देखरेख में रहना पड़ेगा ताकि दवाओं की डोज तथा उनके सेवन पर निगरानी रखी जा सके । खासकर बच्चों में शुरू में ही ईलाज शुरू करने पर यह बीमारी सुसुप्ता अवस्था में चली जाती है और उसके उपरांत कम दबाओं की आवश्यकता होती है ।

स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा मिश्रा ने कहा कि जोड़ों के दर्द से ग्रसित रोगी को गर्भ धारण करने की तैयारी करने से पूर्व अपने चिकित्सक को सम्पर्क करना चाहिए ताकि गर्भ धारण के बाद क्या दवायें नहीं लेनी है इस संदर्भ में उचित निर्णय लिया जा सके । डॉ. मिश्रा ने कहा कि गर्भधारण में गठिया का लक्षण स्वंय ही ठीक हो जाते हैं परंतु प्रसव के उपरांत यह बीमारी पुनः वापस स्थिति में आ जाती हैं ।
औषधि रोग विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश रंजन ने बताया कि गाउट बीमारी प्रधानतः पुरूषों में ही होती हैं पर महिलाओं में माहवारी बंद होने के बाद ही इसके लक्षण पुरूषों की भाँति मिल सकते हैं ।


हृदय रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि ऐसे मरीज जिन्हें कम उम्र में गठिया हो जाता है उन्हें नियमित तौर पर हृदय संबंधी जाँच कराते रहना चाहितए क्योंकि ऐसे मरीजों में हृदय रोग से संबंधित कई सारे लक्षण जिनमें खासकर वल्व के कमजोर होने की संभावना प्रबल हो जाती हैं ।


सर्जरी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. यू. सी. ईस्सर ने बताया कि गठिया के कुछ रोगियों में किडनी से संबंधित लक्षण नजर आयेंगे इसलिए किडनी से संबंधित आवश्यक जाँच हमेशा करवाते रहना चाहिए । आँखों में भी आईराईटिस एवं गठिया की एक खास किस्म में आँख एवं मुँह का सुख जाने का लक्षण प्रकट हो सकते हैं ।

ऐसे मरीजों जिनके घुटने विकृत हो गये हैं या घुटने में दर्द के कारण ठीक से नहीं चल पा रहे हैं उन्हें इस समस्या से निजात दिलाने हेतु महावीर वात्सल्य अस्पताल में कम्प्यूटर नेवीगेशन विधि से जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी करने की सुविधा उपलब्ध है ।

                                                       
(डॉ.एस.एस.झा)
                               
निदेशक एवं हड्डी रोग 
विभागाध्यक्ष
मोबाईल - 9304028101

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