Sunday 18 December 2016

भूमिहीन और भूमि समस्याओं से जुझ रहे दलित





आदिवासी और गरीब किसानों ने एक सुर में सरकार के प्रति खिन्नता जाहिर की

भूमि सुधार के आगरा समझौता लागू न होने से दलित-आदिवासी आंदोलन की तैयारी में

ग्वालियर। एकता परिषद द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय भूमि अधिकार सम्मेलन में देष भर से आये भूमिहीन और भूमि समस्याओं से जुझ रहे दलित, आदिवासी और गरीब किसानों ने एक सुर में सरकार के प्रति खिन्नता जाहिर की और राष्ट्रीय भूमि सुधार के आगरा समझौते को लागू न करने पर आंदोलन की तैयारी में दिखे।

भूमि अधिकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. रनंिसह परमार ने कहा कि लगातार आंदोलन और भारत सरकार से आगरा समझौते को लेकर संवाद करने के बाद भी माननीय ग्रामीण विकास मंत्री और माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा कोई कार्यवाही न करना देष भर के करोड़ो भूमिहीनों और दलित आदिवासियों तथा गरीब किसानों की उपेक्षा है, इसकी कीमत सरकार को चुकानी पडे़गी। एकता परिषद के संस्थापक और गांधीवादी नेता डा. राजगोपाल पी.व्ही. ने दूरभाष पर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए लोगों से एक मुठ्ठी अनाज और एक रूपये की प्रतिदिन बचत से आंदोलन के लिए तैयारी शुरू करने की अपील की। मध्यप्रदेष के प्रांतीय समन्वयक दीपक भाई ने कहा ने कहा कि आगरा समझौता लागू नहीं किया गया तो ग्रामीण विकास मंत्री को ग्वालियर में घेरेंगे जो हमारे साथ चलकर आंदोलन किये थे। ज्ञात हो कि परिषद के द्वारा आयोजित 2007 और 2012 के अंादोलन में श्री नरेन्द्र सिंह तोमर पदयात्रियों के साथ पदयात्रा कर सम्बोधित किया था।

एकता परिषद के राष्ट्रीय सचिव अनिल भाई ने देष में मौजूद विषमता का प्रमुख कारण भूमि का असमान वितरण बताया। उन्होने कहा कि वनअधिकार लागू होने के बाद देष भर में 41 लाख 82 हजार दावे दाखिल किये गये किंतु उसमें से मात्र 16 लाख 84 हजार लोगों को ही वनअधिकार हासिल हुआ है। परिवर्तन का जन्म आंदोलन की कोख से होता है। राजस्थान से आयी सहरिया आदिवासी नेत्री ममता बाई ने कहा कि गरीबों, आदिवासियों और दलितों को एकजुट होकर अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाना ही होगा। उत्तरप्रदेष के झांसी से आयी केसर बाई ने कहा कि सैकड़ो सहरिया परिवारों के पास अपना मकान बनाने लायक भी जमीन नहीं है और वे दर-दर भटक रहे हैं, तमाम आवेदनों के बाद भी सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। महाकौषल से आयी शोभा ने वनअधिकार के अंतर्गत डिंडोरी जिला प्रषासन के द्वारा दिये गये हेबिटेट राइट्स की प्रसंषा की और कहा कि अभी भी बहुत सारे आदिवासियों को वनाधिकार से वंचित किया गया है। परिषद की राष्ट्रीय संयोजक श्रद्वा बहन ने कहा कि मालवा में आदिवासियों की जमीन के नजदीक खनिज विभाग ने खदान कम्पनियों को जमीन का पट्टा दे दिया है, जिससे आदिवासियों को खेती करने में दिक्कत होती है, कई बार आवेदन किये किंतु सरकार बेदर्द और बेपरवाह साबित हो रही है।

एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक और छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि रमेष शर्मा ने राज्य में जारी खनिज संसाधनों की लूट और आदिवासियों की पीड़ा पर अपनी बात कही। एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक और केरल राज्य के प्रतिनिधि अनीष कुमार ने कहा कि केरल के वायनाड में चाय बागानो की खाली पड़ी जमीनों को जोत रहे आदिवासी किसानों को सरकार ने भूमि देने का वायदा किया किंतु उसको धरातल पर नहीं उतारा गया। जनपैरवी समन्वयक मनीष राजपूत ने कहा कि दलित, आदिवासी, किसान और मजदूरों का संधर्ष ही सफलता दिलायेगा। राष्ट्रीय समिति के सदस्य संतोष सिंह ने चम्बल की माटी की ताकत की प्रसंषा करते हुए उम्मीद जाहिर किया कि पुनः चम्बल से आगे यह आंदोलन पूरे देष में फैलेगा। 

सम्मेलन का संचालन उत्तरप्रदेष के प्रांतीय समन्वयक राकेष दीक्षित ने किया। एकता लोक कला मंच के साथियों के द्वारा समय समय पर गीतों की प्रस्तुति ने खूब मनोरंजन और उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के आयोजन में रवि बद्री, क्षेत्रीय समन्वयक रामदत्त सिंह तोमर, ग्वालियर के डोगंर शर्मा, षिवपुरी के रामप्रकाष भाई, अषोकनगर के शबनम, गुना के सतीष मिश्रा और मुरैना के उदयभान सिंह परिहार, सुनिल शर्मा, राजेन्द्र भदौरिया इत्यादि ने सक्रिय भूमिका निभायी।

मनीष राजपूत
9752269988

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