सामाजिक
जीवन में बेहतर कार्य किए
एकता
परिषद के संस्थापक पी.व्ही.राजगोपाल ने कहा कि श्री चौधरी ने जिस सत्य का
साक्षात्कार किया और उससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अछूत की समस्या का
समाधान अछूत जातियों की सांस्कृतिक उन्नति में निहित है। जिसकी शुभारम्भ उदय
नारायण चौधरी ने महादलितों को पाठशाला के करीब लाकर किया। और तो और दारू के अड्डों
से दूर ले जाने में सफल हुए।
‘बेघरों के
घर से’ पुस्तक के सम्पादक नरेन्द्र पाठक ने कहा कि
उदय जी की यही मंशा थी कि दलित जातियों के इतिहास से भी अपने सवालों के जवाब ढूढें
। 10 जनों के लिए दो सौ बीघा जमीन और 560 जनों के लिए नौ कठठा ही क्यों? जो नौ कठ्ठा भी चकबैरिया के मुसहरों को विरासत में नहीं मिली। बल्कि इसके
लिए भी लम्बी लड़ाई लड़ी गई। छोटे दायरे में लड़ी गई लड़ाई भी इतिहास में दर्ज होने के
योग्य नही है, क्योंकि ये राजा-रानी द्वारा नहीं
लड़ी गई। एक दलित यह लड़ाई अपने समान मुसहर जातियों के लिए वासभूमि दिलाने, राशन कार्ड और नागरिकता दिलाने के बाद सुअर के वाड़ों से निकाल
कर उन्हें स्कूल भेजने के लिए लड़ता रहा, उस महान
योद्वा का नाम है उदय नारायण चौधरी।
इस अवसर
पर विशिष्ट अतिथि कुलदीप नैय्यर पूर्व सांसद एवं प्रसिद्ध चिंतक-विचारक व पत्रकार,
मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी अग्निवेश ,अध्यक्ष , बंधुआ मुक्ति
मोर्चा, पवन कुमार वर्मा, सांसद व पूर्व राजनयिक आदि ने भी विचार व्यक्त किए। सभी लोगों ने उदय
नारायण चौधरी के आर्कषक व्यक्तित्व पर विस्तार से अपने विचार रखे।सामाजिक
कार्यकर्ता उदय नारायण चौधरी ने महादलित मुसहर समुदाय के युवाओं को लाकर प्रशिक्षण
देते थे। तब जाकर जवाहर सदा,बिहारी सदा आदि
नेतृत्व करने में सक्षम हो सके। अपने समुदाय को आगे बढ़ाने में समर्थ हो सके।
आलोक
कुमार
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