Thursday 8 December 2016

नोटबंदी से पहले भाजपा द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीद

पटना। बिहार प्रदेश जनता दल (यूनाइटेड) के प्रदेश प्रवक्तागण संजय सिंह (स.वि.प.), नीरज कुमार (स.वि.प.) व राजीव रंजन प्रसाद ने गुरुवार को पार्टी कार्यालय में संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।

संवाददाता सम्मेलन में जदयू प्रवक्ताओं ने नोटबंदी से पहले भाजपा द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीद को लेकर इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह समेत पार्टी के कई राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेताओं के अलग-अलग और बार-बार बदलते बयान पर सवाल उठाया। जदयू प्रवक्ताओं ने कहा-

पिछले दिनों एक न्यूज चौनल को इंटरव्यू में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी ने कहा कि विपक्ष 2015 का अधिकार पत्र दिखाकर आरोप लगा रहा।
हकीकत यह है कि बिहार भाजपा के नेताओं को जो अधिकार पत्र अमित शाह ने दिये, वह फरवरी 2016 का है।

अमित शाह का बयान कि कार्यालय के लिए जमीन खरीदने का निर्णय जनवरी 2015 में हुआ था। मगर केंद्रीय मंत्री और इनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद का बयान है कि जमीन खरीदने का निर्णय जुलाई 2015 में हुआ था।
दोनों में सच कौन बोल रहा है?

अमित शाह ने कहा कि जनवरी 2015 में ही कार्यालयों के लिए जमीन खरीदी के आदेश दे दिए गए थे।
यहां सवाल उठता है कि नोटबंदी से ठीक पहले बिहार में जमीनों की खरीददारी क्यों की गई? बीजेपी ने अगर 2015 में एक भी जमीन खरीदा हो तो बतायें कि कहां और कब खरीदा?

अमित शाह का बयान कि जनवरी 2015 से ही जमीन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है और इस दौरान अबतक देशभर में 170 जमीनों की खरीददारी की गई।
हमारा आरोप है कि बिहार में सभी जमीन हाल के दिनों में ही खरीदी गई है।

अमित शाह ने कहा कि जमीन खरीदी का सारा कैश समय-समय पर बैंक के जरिये भेजा गया है और सारा डिटेल आयकर विभाग और चुनाव आयोग के पास है। 
हमारा सवाल है कि बिहार के सात जिलों में नगद भुगतान से जमीन खरीदी गई और छह ऐसे जिले भी हैं, जहाँ भुगतान की प्रक्रिया को गुप्त रखा गया है। बीजेपी बताती क्यों नहीं कि इन जिलों में जमीन खरीदी के लिए जो भुगतान किया गया उसका पैसा कहां से और कैसे आया?

अमित शाह कहते हैं कि जमीन खरीदने का फैसला अचानक नहीं हुआ, दो साल पहले ही हुआ था। वहीं रविशंकर प्रसाद कहते हैं कि नोटबंदी का फैसला सरकार ने अचानक नहीं लिया, तैयारी दो साल से चल रही थी।
तो क्या मान लिया जाये कि नोटबंदी और कालेधन को जमीन में खपाने का खेल भी साथ-साथ चल रहा था? 
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

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