Monday 8 May 2017

दांतों के ऑपरेशन के राह में 7 लाख है अटका




पटना। पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत में है बांसकोठी।अब पटना नगर निगम के नूतन राजधानी अंचल अन्तर्गत वार्ड नम्बर-22 ए बन गया है। यहां के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बांसकोठी को नवाबकोठी भी कहकर पुकारते हैं। इस कथित नवाबकोठी में अल्पसंख्यक समुदाय के भी मस्जिद है। बांसकोठी में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय मिलजुलकर रहते हैं। मिल्लत तो मिशाल पेश करने लायक है। आपसी मनमुटाव नहीं हुआ है। 2 अल्पसंख्यक की ‘मडर’ को मजहबी रंग नहीं दिया गया। 

खैर, पांच लड़कियों के पिता प्रेम प्रकाश गुप्ता और मां  आशा सिन्हा परेशान हैं। श्री गुप्ता प्रायवेट नौकरी करते हैं। माता जी घरेलू महिला हैं। घर में किराना दुकान है। घर में रहने वाले लोग संभालते हैं। पांच लड़कियों में सबसे बड़ी नेहा कुमारी हैं। जन्म के समय ही नेहा के गाल खुले थे। इसमें स्टीच किया गया। जब 3 साल की नेहा थीं तब छत से गिरने से जबड़ा बंद हो गया। इसे लॉक जॉर कहते हैं। इन आफतों को झेलकर नेहा कुमारी आई.ए.उर्त्तीण हो गयी। 3 बहने अध्ययनरत हैं। इनमें 10 जमा 2 की परीक्षा दी हैं। हार्टमन बालिका उच्च विघालय  की छात्रा हैं। और तो और किसी तरह से 1 की शादी हो सकी है।

डेढ़ लाख खर्च करके 2010 में हुआ है नेहा का ऑपरेशनः नेहा की मां आशा सिन्हा का कहना है कि छत से गिरने के बाद नेहा का जबड़ा बंद हो गया। ऊपर और नीचे वाले दांत बंद हो गया था। दांतों के बीच में निर्मित छिद्र से भोजन और पानी ले पा रही थीं नेहा। भोजन को मसलकर ‘पेस्ट’ बनायी जाती थी। मसले भोजन यानी पेस्ट को ‘टूथ पेस्ट’ की तरह दांत में लगड़कर आहार लेती थीं नेहा। दिल्ली स्थित एम्स के चिकित्सक से दिखाया गया। इसके बाद अगमकुआं में स्थित दंत चिकित्सा केंद्र के एक चिकित्सक डाक्टर एस.के.झा से दिखलाया गया। इसके बाद यहीं के दंत चिकित्सक डाक्टर शैलेश कुमार ‘मुकुल’ से दिखलायें। उन्होंने 2010 में ऑपरेशन किए। ऑपरेशन का सार्थक परिणाम सामने आया। सटे दांतों को कुछ अलग करने में कामयाबी मिली। कोई डेढ़ लाख रू.खर्च किया गया। 

सात लाख रू. की जरूरत हैः सात लाख रू. में 2 बार ऑपरेशन और 1 मशीन लग जाने से नेहा सामान्य लोगों की तरह मुंह खोलने और सामान्य भोजन लेने लगेगी। बेबी को ‘भेज’ पसंद है। वह ‘भेज’खाने लगेगीं। इस तरह की करिश्मा पर 7 लाख रू.का ब्रेक है। दांतों के ऑपरेशन के राह में 7 लाख है अटका। इसे निकालने का प्रयास में हैं परिजन। 7 साल गुजर गया और 7 लाख रू.जमा नहीं कर सकें। 7 साल में अगमकुआं से पटना एम्स में दंत चिकित्सक डाक्टर शैलेश कुमार ‘मुकुल’पहुंच गये। 

मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष योजना से राहत लेने का प्रयास शुरूः अब नेहा के परिजन मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से राहत लेने के चक्कर में हैं। अव्वल पटना एम्स के दंत चिकित्सक डाक्टर शैलेश कुमार ‘मुकुल’ से दिखलाकर ऑपरेशन में होने वाले खर्च का ब्यौरा तैयार करवाएंगे। अनुमानित चिकित्सा व्यय का चिकित्सक द्वारा प्रमाणित ब्यौरा संलग्न होना चाहिए, जिस पर उपचार अवधि/ऑपरेशन दिनांक अंकित हो तथा संबंधित चिकित्सालय की स्पष्ट मोहर अंकित हो। इस अनुमानित चिकित्सा व्यय का चिकित्सक द्वारा प्रमाणित ब्यौरा और पटना सदर से एक लाख रू. से कम आय प्रमाण-पत्र बनवाकर आवेदन तैयार करेंगे। असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, गर्दनीबाग,पटना के नाम से आवेदन लिखेंगे। विषय रहेगा- मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष योजना से राहत देने के संबंध में अग्रसारित। 

सूची में अंकित अन्य रोगों के अतिरिक्त किसी अन्य रोग को भी मान्य करने के लिए निदेशक प्रमुख की अध्यक्षता में गठित अधिकृत समिति सम्यक विचारोपरांत लेगी। असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति को भुगतेय अनुदान की राशि संबंधित चिकित्सा संस्थान को रेखांकित चेक के माध्यम से दी जाएगी। अनुदान प्राप्ति हेतु न्यूनतम आवश्यक अहर्ताएं, रोगी बिहार का नागरिक हो,रोगी की प्रति वर्ष आय एक लाख रूपये से कम हो, रोगों से संबंधित चिकित्सा राज्य सरकार का अस्पताल एवं सी. जी. एच. एस. से मान्यता प्राप्त सभी अस्पताल में हो। रोगी द्वारा अनुदान प्रप्ति के क्रम में दिए जाने वाले आवश्यक कागजात की सूची, सक्षम प्राधिकार द्वारा निर्गत आवासीय प्रमाण पत्र, सक्षम प्राधिकार द्वारा निर्गत आय प्रमाण पत्र, राज्य सरकार के अस्पताल अथवा सी. जी. एच. एस. से मान्यता प्राप्त अस्पताल का चिकित्सा पूर्जा एवं मूल प्राक्कलन पत्र। 

आलोक कुमार

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