Sunday 3 April 2022

पीयूसीएल बिहार के द्वारा दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला

 
पटना.बिहार में संचालित है पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल).इसे मानवाधिकार संगठन लोक स्वातंत्र्य संगठन भी कहा जाता है.पीयूसीएल बिहार के द्वारा दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन 2 एवं 3 अप्रैल, 2022 को राजधानी पटना स्थित बिहार दलित विकास समिति ,रूकनपुरा , पटना में आयोजित किया गया. इस कार्यशाला को पहले दिन तीन सत्रों में विभक्त कर अलग-अलग विषयों पर किया गया और दूसरे दिन भी तीन सत्रों में अलग-अलग विषयों पर आयोजित की गई.
 
पीयूसीएल, बिहार की ओर से आयोजित इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यह रहा कि मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्यरत पीयूसीएल के सभी सदस्यों को मानवाधिकार के पक्ष में  मजबूती से खड़े  हों और काले कानूनों के साथ- साथ सरकार की दमनात्मक नीतियों के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करें और आम आवाम को मानवाधिकार के प्रति जागरूक करें और मानवाधिकार के पक्ष में खड़े होने के लिए प्रेरित किया जाए. दो दिवसीय कार्यशाला में मुख्य रूप से बतौर प्रशिक्षक के रूप में प्रो. प्रभाकर सिन्हा ,रामचन्द्र लाल दास , आनन्द किशोर अध्यक्ष पीयूसीएल बिहार, नन्द किशोर सिंह , सरफराज महासचिव पीयूसीएल बिहार,फादर जोश, पुष्पेंद्र जी , अरविंद सिन्हा , सिस्टर सुधा वर्गीज, प्रो. अवधेश सिंह , अनिश अंकुर , सत्यनारायण मदन इत्यादि लोग शामिल थे.      


इसके पहले नगर के प्रसाद बिगहा अवस्थित बुद्धिजीवी विचार मंच कार्यालय में लोक स्वातंत्र्य संगठन (पीयूसीएल) जिला इकाई की बैठक प्रो.नकुल लाल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई.राज्य पर्यवेक्षक सरफराज पीयूसीएल के प्रदेश महासचिव सक्रिय रूप से मौजूद थे.मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की बैठक में मानवाधिकार के सवाल पर कार्यशाला , सदस्यता और नवीनीकरण के अलावे कोष संग्रह पर गहन विचार विमर्श किया गया.पीयूसीएल के प्रदेश महासचिव -सरफराज ने विस्तारपूर्वक पीयूसीएल के भूमिका,सिद्धान्त ,कार्यशैली और कार्यक्रम के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि बिहार राज्य स्तरीय कार्यशाला 2 और 3 अप्रैल 22 को पटना में होने जा रहा है जिसमें 5 प्रतिनिधि नवादा से होंगे.डी.के.अकेला ने एक और डेलिगेशन बढ़ाने का प्रस्ताव बैठक में रखा जिसे महासचिव ने स्वीकृति दी.दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का मुख्य मुद्दा मानवाधिकार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि , मानवाधिकार क्या है और आज के दौर में इसकी अहमियत क्या है ?वर्तमान परिप्रेक्ष्य में धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता कहाँ है?
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या संगठन की जरूरत क्यों ? आज के दौर में इसकी प्रासंगिकता क्या है ?नागरिकता संशोधन बिल और अफस्पा जैसे काले कानून के साथ कश्मीर की समस्या पर कार्यशाला आयोजित है. बैठक में सर्वसम्मति से प्रदेश स्तरीय कार्यशाला में भाग लेने हेतु प्रो,नकुल लाल , नारायण पासवान, विपिन कुमार सिंह ,मनोज पासवान , पुष्पा कुमारी और इंदु कुमारी का चयन बैठक में किया गया.सदस्यता अभियान चलाने, सक्रिय सदस्यों का नवीनीकरण 30 मार्च 22 के पहले कर लेने का निर्णय लिया गया । साथ ही 10 मार्च 22 को पीयूसीएल की जिला स्तरीय विस्तारित बैठक आयोजित है,जिसमें प्रदेश महासचिव सरफराज उपस्थित रहेंगे। बैठक में उपरोक्त लोगों के अलावे डॉ.सुनीति कुमार, डॉ.ओंकार निराला, डी.के.अकेला, अनिल प्रसाद सिंह, विजय कुमार,राम जन्म चौहान,कृष्णा चौहान, जितेंद्र चौहान, शांति कुमारी, राजेश प्रसाद और गरम ताज पुरिता देवी शामिल थे.

आलोक कुमार

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