मोतिहारी में कोविड काल मे दो साल पहले जब फर्स्ट वेव आया तो लोग पीड़ित से बात भी नही करना चाहते थे. तब चिकित्सक आगे आये और उन्होंने बेहतर काम किया.पूर्वी चंपारण में डॉक्टर्स की गुणवत्ता उच्चतर है. बेतिया मेडिकल कॉलेज की कैपेसिटी फूल हो गई थी तब यहां के चिकित्सकों ने 550 मरीजों का इलाज शुरू किया. कभी नहीं थकते यहां के डॉक्टर.यहां के डॉक्टर कोरोना काल मे नेवर गिव अप थ्योरी पर काम किया. वैक्सीनेशन में भी जिला में बेहतर कार्य हुआ है.जब लोग टीका लेने से डर रहे रहे थे तब चिकित्सक आगे आएं व वैक्सीन लेकर लोगों के सामने नजीर पेश किया.
यहां का ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल काफी बेहतर है.अब लोग दूसरे जिलों से भी यहां आकर इलाज करा रहे हैं.अब तो मेडिकल कॉलेज भी बनने जा रहा है.जो जिले के लिए काफी बेहतर साबित होगा.उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी थोड़े सुधार की जरूरत है.जो गलत लोग देहाती क्षेत्रों में प्रैक्टिस कर रहे हैं , उनसे चिकित्सा पेशे की बदनामी होती है. इसकी सूचना दे.एईएस से पीड़ित अगर सुबह में कोई बच्चा आता है जिसको बुखार अथवा अन्य कोई सिम्पटम हो तो इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को जरूर दे.
यहां के चिकित्सकों ने बाढ़ आपदा के समय भी बेहतर काम किया है.चिकित्सक पहली सीढ़ी होती हैं ,जहां पहले मरीज पहुंचता है.चिकित्सकों को हमेशा ज्ञान बढाने को लेकर प्रयत्नशील रहना चाहिए ,मरीज के साथ बेहतर बर्ताव जरूरी होता है.बेहतर इलाज के लिए जरूरी है कि हॉस्पिटल का वातावरण भी बढ़िया हो.
इस अवसर पर पर सिविल सर्जन , डॉ अंजनी कुमार , डॉ अतुल कुमार, डॉ आशुतोष शरण, डॉ तबरेज अजीज, डॉ गगनदेव प्रसाद, डॉ डी नाथ, डॉ सुशील कुमार, डॉ नीरज सिन्हा, डॉ एसएन सिंह, डॉ सुनील कुमार, डॉ टीपी सिंह, डॉ जेएन गुप्ता, डॉ दिलीप कुमार, डॉ सौरभ गुप्ता, डॉ नागमणि सिंह, डॉ शत्रुघ्न प्रसाद आदि उपस्थित थे.
आलोक कुमार
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