झारखंड / पटना.झारखंड विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय से मनोनीत हैं ग्लेन जोसेफ गाल्सटेन . झारखंड विधानसभा सचिवालय ने साल 2022-23 के लिए विधानसभा की समितियों का नये सिरे से गठन किया है. जिसके तहत साल 2022-2023 के लिए कुल 24 समितियों का गठन किया गया है. विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो विशेषाधिकार समिति, नियम समिति एवं याचिका समिति के सभापति होंगे. वहीं सामान्य प्रयोजन समिति के सभापति भूषण तिर्की होंगे.एंग्लो इंडियन समुदाय से मनोनीत ग्लेन जोसेफ गाल्सटेन को आवास समिति का सभापति बनाया गया है.सभापति बनाने पर बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के उपाध्यक्ष राजन क्लेमेंट साह, महानगर के सचिव संजय पीटर आदि ने हर्ष व्यक्त किया है.
झारखंड विधानसभा की विभिन्न समितियों का 2022-23 के लिये पुनर्गठन कर दिया गया है. विधानसभा सचिवालय ने 24 समितियों के सभापति के नाम की घोषणा कर दी है. विधानसभा अध्यक्ष रविन्द्र नाथ महतो विशेषाधिकार समिति, नियम समिति और याचिका समिति के सभापति होंगे.विधायक अपर्णा सेन गुप्ता को पुस्तकालय विकास समिति, सीता मुर्मू को महिला एवं बाल विकास समिति, सविता महतो को पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण समिति, चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह को विधायक निधि अनुश्रवण समिति, प्रदीप यादव को शून्यकाल समिति, रामचंद्र सिंह को गैर सरकारी संकल्प समिति, रामचन्द्र चंद्रवंशी को अनागत प्रश्न क्रियान्वयन समिति, सुदेश कुमार महतो को युवा कल्याण संस्कृति एवं पर्यटन विकास समिति और ग्लेन जोसेफ गाल्सटेन को आवास समिति का सभापति बनाया गया है.
विधायक भूषण तिर्की को सामान्य प्रयोजन समिति, नीलकंठ सिंह मुंडा को लोक लेखा समिति, निरल पूर्ति को प्राक्कलन समिति, सरयू राय को सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, दीपक बिरूआ को सरकारी आवासन समिति, डा. सरफराज अहमद को प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति, विनोद कुमार सिंह को प्रत्यायुक्त विधान समिति का सभापति बनाया गया है.इसी प्रकार विधानसभा रामदास सोरेन को जिला परिषद एवं पंचायती राज समिति, इरफान अंसारी को आंतरिक संसाधन एवं केंद्रीय सहायता समिति, उमाशंकर अकेला को निवेदन समिति, लोबिन हेम्ब्रम को अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति, केदार हाजरा को सदाचार समिति का सभापति नियुक्त कर दिया गया है.
झारखंड विधानसभा में 81 विधायक चुनाव जीतकर पहुंचे हैं. जबकि एंग्लो इंडियन समुदाय से एक विधायक का मनोनयन होता है. यह व्यवस्था देश के करीब 14 राज्यों में लागू है. लेकिन पिछले दिनों ही केंद्रीय कैबिनेट को अगले 10 वर्षों के लिए इस व्यवस्था को लागू करने की स्वीकृति देनी थी जो नहीं दी गई. इस बाबत केंद्रीय कानून मंत्री की तरफ से सिर्फ यह कहा गया कि इस मामले पर विचार किया जाएगा.
चतुर्थ झारखंड विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय कोटे से मनोनीत विधायक रहे ग्लेन जोसेफ गाल्सटेन ने कहा था कि केंद्र सरकार के इस रुख से एंग्लो इंडियन समुदाय बेहद दुखी है. इस बीच पंचम झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के समापन से ठीक पहले संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने एक प्रस्ताव पेश किया. जिसमें कहा गया कि झारखंड विधानसभा में एंग्लो इंडियन का मनोनयन होना चाहिए. इस प्रस्ताव को लाए जाने पर विपक्ष की तरफ से भाजपा के कई विधायकों ने इसे संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन बताते हुए विरोध जताया.
इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि इस प्रस्ताव का मतलब यह नहीं कि झारखंड विधान सभा में एंग्लो इंडियन का मनोनयन संभव होगा. बल्कि पारित प्रस्ताव के जरिए संसद को राज्य की भावना से अवगत कराया जाएगा. बता दें कि संविधान के आर्टिकल 334b में यह प्रावधान है कि जिस राज्य में भी एंग्लो इंडियन समुदाय की संख्या है वहां की विधानसभा और संसद में भी उनका प्रतिनिधित्व होना चाहिए. लेकिन केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 334 a के तहत विधानसभाओं और संसद में एससी-एसटी के आरक्षण की व्यवस्था को 10 साल के लिए स्वीकृति दे दी है.
एंग्लो इंडियन के मनोनयन को स्वीकृति नहीं दी है. 25 जनवरी 2020 को यह अवधि समाप्त हो जाएगी. खास बात है कि 6 माह बाद भी लोकसभा में एंग्लो इंडियन का मनोनयन नहीं हुआ है लिहाजा यह माना जा रहा है कि केंद्र सरकार अब इस दिशा में आगे नहीं बढ़ने वाली है. लिहाजा झारखंड विधानसभा में राज्य सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर अपनी इस भावना से केंद्र सरकार को अवगत कराने का फैसला लिया है.
आलोक कुमार
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