आरोप है कि बीते 28 जुलाई को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे आउटसोर्सिंग एजेंसी के कर्मियों ने कार्य बहिष्कार कर सारे काम को ठप कर दिया. दर्ज प्राथमिकी में माइक्रोबायोलोजी विभाग के टेक्निशियन अविनाश कुमार झा को इस पूरे हंगामा और तोड़फोड़ करने का मास्टरमाइंड बताया गया है. आरोप यह भी है कि चिकित्सक अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल के साथ भी बदसलूकी का आरोप है. एफआईआर में अभिषेक कुमार (लैब अटेंडेंट, बायोकेमेस्ट्री), पंकज कुमार (ऑफिस असिसटेंट), राहुल कुमार (ऑफिस अटेंडेंट, डीडीए), संतोष कुमार (लैब अटेंडेंट, डीन एग्जाम), अनुज कुमार (ट्रॉली मैन), अभिषेक चंद्रा (लैब टेक्निशियन, 100 नंबर रूम), उपेंद्र झा उर्फ वीरू झा (ऑफिस अटेंडेंट) और प्रदीप कुमार (ओटी टेक्निशियन इमरजेंसी) को नामजद आरोपित बनाया गया है. इसके अलावा अज्ञातों पर भी केस दर्ज किया गया है.
डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि आउटसोर्स एजेंसी के कुछ कर्मचारी अविनाश झा की अगुवाई में घूम-घूमकर आउटसोर्स कर्मचारियों को काम बंद करने के लिए प्रेरित कर रहे थे. मरीजों को भी ओपीडी से भगा रहे थे. वे उस वक्त कमरा नंबर 20 में मरीज देख रहे थे.
शोर सुनकर वे बाहर निकले और उन्हें समझाने की कोशिश की. कहा कि उनकी सारी मांगें निदेशक की अध्यक्षता में सुनी जाएंगी. लेकिन ये लोग नहीं माने और अधीक्षक के साथ ही धक्का मुक्की करने लगे. सुरक्षाकर्मियों ने घेरे में लेकर उन्हें ओपीडी क्लिनिक में बंद कर दिया.
इस बीच पटना महानगर जिला कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष शशि रंजन ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि आईजीआईएम संस्थान में आउटसोर्सिंग एंजेसी के कर्मियों के द्वारा तोड़फोड़ एवं चिकित्सक अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल पर हुए जानलेवा हमला पर आईजीआईएमएस के कार्यकारी निदेशक के कार्य क्षमता का घोर अभाव को दर्शा रहा है. कार्यकारी निदेशक ने जबसे आईजीआईएमएस का कार्यभार संभाला है तब से अस्पताल में अराजकता का माहौल बन गया है. वर्तमान में आईजीआईएमएस बिहार के सर्वोत्तम सेवा के लिए जाना जाता है लेकिन अस्पताल परिसर में प्रबंधन के अभाव में अस्पताल की स्थिति चिंताजनक बन चुकी है जिसे बिहार सरकार के वरीय पदाधिकारी को मिल बैठकर आउटसोर्सिंग एजेंसी के कर्मियों एवं अस्पताल के वरीय चिकित्सक के बीच के मामले को सुलझाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अस्पताल के वर्तमान स्थिति में अपातकालीन सेवा बिलकुल ठप्प पड़ चुका है एवं कर्मचारियों एवं चिकित्सकों के बीच घोर आसामंजस्य की स्थिति के कारण मरीजों को समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है. वर्तमान कार्यकारी निदेशक में घोर अनियमितता एवं कुप्रबंधन के कारण वर्षाे से अस्पताल का उत्कृष्ट सेवा पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है जिसे यथाशीघ्र निराकरण करना चाहिए.
आलोक कुमार
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