Tuesday 25 October 2022

एसडीपी डोनेशन को लेकर रक्तदाता को बधाई दी

 


जमुई. बिहार में डेंगू लगातार अपने पांव पसार रहा है.बचाव के लिए सरकारी स्तर पर किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं.मरीजों की संख्या बिहार में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है.इस बार का डेंगू पिछले कई सालों के डेंगू से अधिक पैनिक है. उसने लोगों के बीच कोरोना वायरस की तरह डर का माहौल बना दिया है. बहुत से मरीजों का प्लेटलेट्स काउंट सामान्य से काफी कम है. 

         डेंगू के बढ़ते मामलों के कारण स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ती जा रही है.पहले कोरोना से निपटना मुश्किल हो रहा था. अब डेंगू पैर पसारने लगा है.वहीं इन दिनों रक्तदान के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही ‘प्रबोध जन सेवा संस्थान‘ की इकाई मानव रक्षक रक्तदाता परिवार के कई सेवा भावी रक्तवीर लगातार गंभीर डेंगू मरीजों की जिंदगी बचाने को लेकर एसडीपी डोनेशन उपलब्ध करवाने को सार्थक प्रयास कर रहे है. जिसमें जमुई इकाई से महादेव सिमरिया निवासी पूर्व मुखिया देवेंद्र सिंह के छोटे पुत्र सूरज सिंह रेयर रक्त समूह ओ-निगेटिव के पहले एसडीपी (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स) रक्तदाता बनें.जिन्होंने गत रविवार को स्लम एरिया अदालतगंज,पटना निवासी आईजीआईएमएस में इलाजरत सुनीता देवी के लिए रेयर रक्त समूह ओ-नेगेटिव का एसडीपी डोनेट किया.

           

संस्थान सचिव व सामाजिक कार्यकर्त्ता सुमन सौरभ ने सर्वप्रथम एसडीपी डोनेशन को लेकर रक्तदाता को बधाई दी व कहाँ मरीज को दो तरह से प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं.एक एसडीपी (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स) होता है. इसमें एक मशीन के माध्यम से व्यक्ति का रक्त लिया जाता है और उसमें से प्लेटलेट्स निकाल ली जाती है.दूसरा आरडीपी होता है इसे प्लेटलेट्स का छोटा पाउच कहा जाता है जो ब्लड बैंक में मिल जाता है. वैसे एसडीपी डोनेशन कई मायनों में रक्तदान जितना आसान नहीं होता.

   इस डोनेशन में परीक्षण के दौरान ही लगभग 90 प्रतिशत रक्त दाताओं को किसी ना किसी कारण अस्वीकृत कर दिया जाता है. आलम यह है कि एक यूनिट एसडीपी के लिए पांच से छह रक्तदाता ब्लड बैंक पहुंचते हैं लेकिन उनमें एक या कभी-कभी एक भी रक्तवीर इस काबिल नहीं माने जा रहे है. हालांकि जो डोनर परीक्षण में सफल हो जा रहे हैं वह एसडीपी डोनेट कर पा रहे है.सुमन ने आगे बताया एसडीपी डोनेशन उन्हीं डेंगू मरीजों को चढ़ाया जाता है जिनका प्लेटलेट्स स्तर काफी नीचे चला गया हो.वैसे एसडीपी डोनेशन की व्यवस्था बिहार के गिने-चुने अस्पताल व ब्लड बैंक में ही है. 


इन वजहों से अस्वीकृत हो रहे रक्तदाता-


1) नसों का पतला या तिरछा होना.


2) पिछले 15 दिनों में किसी तरह के संक्रमण का शिकार होना.


3) हीमोग्लोबिन का स्तर कम होना.


4) किसी तरह की संक्रामक या असाध्य बीमारी से ग्रसित होना.


5) मधुमेह या अन्य रक्त से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित होना.


6) पिछले दो-तीन दिनों में शराब का सेवन करना.


सुमन ने बताया जिस तरह से सीरियस केस इन दिनों सामने आ रहे हैं उसको देखकर लगता है कि इस बार डेंगू के लक्षण अधिक घातक हैं.जिस कारण लोगों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है.


डेंगू के लक्षण

डेंगू की शुरुआत तेज बुखार,सिर दर्द,आंखों में दर्द,जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द,थकान, मितली,उल्टी,त्वचा पर लाल चकत्ते और भूख ना लगने जैसे लक्षणों से होती है.


ऐसे करें बचाव-

1) घर के आसपास या घर के अंदर पानी नहीं जमने दें.


2) फुल शर्ट और फुल पैंट यानी शरीर को पूरी तरह से कवर करने वाले कपड़े ही पहनें.


3) मच्छरदानी में सोने का विकल्प अपनाएं.


4) उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में जाने से बचें.


5) गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों और बुजुर्गों का विशेष रूप से ध्यान रखें.


आलोक कुमार

 

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