Monday, 13 March 2023

ऐपवा की उच्चस्तरीय जांच टीम ने बेगूसराय का किया दौरा


* बेगूसराय में मुस्लिम समाज की बच्चियों के फरार बलात्कारियों की तत्काल गिरफ्तारी हो:  ऐपवा

* बिना देर किए न्याय सुनिश्चित करने के लिए मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए

* बजरंग दल से जुड़े अपराधियों ने घटना को दिया अंजाम, उच्चस्तरीय जांच हो

* ऐपवा की उच्चस्तरीय जांच टीम ने बेगूसराय का किया दौरा

पटना. ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर राधिका मेनन, समस्तीपुर की ऐपवा नेता वंदना व किरण आदि के नेतृत्व में ऐपवा की एक उच्चस्तरीय टीम ने 12 मार्च 2023 को सदर अस्पताल, बेगूसराय का दौरा कर उन दो बच्चियों से मुलाकात की, जिनके साथ विगत 8 मार्च को सामूहिक बलात्कार की क्रूरतम घटना को अंजाम दिया गया था.

      बेगूसराय से लौटने के बाद जांच टीम ने आज पटना में संवाददाता सम्मेलन में पूरे मामले पर अपनी रिपोर्ट पेश की. संवाददाता सम्मेलन में शशि यादव व राधिका मेनन के साथ ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे भी उपस्थित थीं.


फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट

ऐपवा की टीम ने पीड़िता के माता-पिता और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा की. टीम ने पाया कि घटना के उपरांत इलाके में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के भी प्रयास किए गए, जिसे सामाजिक कार्यकर्ताओं की त्वरित कार्रवाई के जरिए नाकाम बना दिया गया.

    8 मार्च को जब पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा था और दोपहर बाद जब होली समारोह समाप्त हो रहा था, बेगूसराय के साहेबपुर कमाल ब्लॉक में दो बहुत छोटी बच्चियों के साथ चौंकाने वाली क्रूरता को अंजाम दिया गया. खुशबू (बदला हुआ नाम), 6 साल और समीरा (बदला हुआ नाम), 9 साल, हर दिन की तरह, राजकीय मध्य विद्यालय के खेल के मैदान में झूला झूल रही थीं. एक व्यक्ति जिसकी पहचान छोटू के रूप में समीरा ने की, बबलू कुमार और दो अन्य लोगों के साथ उन्हें खेल के मैदान में फंसा लिया और उनके साथ मारपीट शुरू कर दी. उनके चेहरे दीवार से टकरा गए थे. समीरा ने हमलावरों से लड़ना शुरू कर दिया. 


उसके सिर पर हमला किया गया और उसकी गाल को तब तक चीरा गया जब तक कि उसके दांत बाहर नहीं निकल आए. वह चीखते हुए किसी तरह भाग निकली. खुशबू जो हकलाती है और अपनी उम्र के हिसाब से बहुत कमजोर और छोटी है, इन घटनाओं को देखकर हैरान थी. वह विरोध करने में असमर्थ थी. उसे स्कूल के शौचालय में घसीट कर ले जाया गया और उसके साथ क्रूरता की गई.

    जब ऐपवा की टीम ने सदर अस्पताल में उनसे मुलाकात की, तो समीरा के चेहरे और सिर पर भारी पट्टी बंधी हुई थी. उनके साथ उनकी मां, एक बीड़ी बनाने वाली मजदूर और बेरोजगार दादा भी थे. उसके 8 अन्य भाई-बहन हैं. उसके पिता ड्राइवर हैं. दूसरे बिस्तर पर खुशबू लेटी हुई थी. उसके चेहरे, हाथों और पैरों पर दिखाई दे रही चोटें धीरे-धीरे ठीक हो रही थीं. उसकी दोनों आँखें खून से सनी हुई थीं और उसका माथा उस जगह पर उभरा हुआ था जहाँ उसे मारा गया था. 8 मार्च की दोपहर 3 बजे हुई घटना के बाद से उसने बोलना बंद कर दिया है. उसके 6 अन्य भाई-बहन हैं, जिनमें से चार विकलांग हैं. उसकी मां, जिसे उसके पति ने छोड़ दिया है, उसके साथ थी. वह अपने गरीब परिवार को पड़ोसियों सें प्राप्त भोजन से काम चलाती है.

     नामजद उपरोक्त दोनों अपराधी स्कूल के पास ही चाय और पान की दुकान चलाते हैं. बच्चों के परिजन और गांव वाले उन्हें लुम्पेन के रूप में जानते रहे हैं जो गुंडों के साथ घूमते थे और नशीले पदार्थ बेचते थे. ऐसी भी खबरें थीं कि बबलू के पिता ने दावा किया कि उनका बेटा बजरंग दल का कार्यकर्ता और मीडिया का आदमी था. दो अन्य व्यक्ति जिनका नाम समीरा नहीं  जानती थी, लेकिन पहचान सकती थी, वे अब तक फरार हैं.

     क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा बताए गए घटनाओं के क्रम से संकेत मिलता है कि खुशबू हमलावरों के चंगुल से छूटने के बाद दौड़ते हुए भागी और और गिरने से पहले ग्रामीणों को सूचित किया. जब ग्रामीणों ने खुशबू को देखा तो उसके सिर और कूल्हों के आसपास खून बह रहा था. उसे संभवतः हमलावरों द्वारा मृत मान लिया गया था. 

     आक्रोशित भीड़ ने गुंडों के अड्डे को तहस-नहस कर दिया.  हालाँकि, सामाजिक कार्यकर्ताओं के हस्तक्षेप से सांप्रदायिक उन्माद भड़काने की कोशिश टल गई. शांति समितियों का गठन किया और पीड़ितों के लिए न्याय पर ध्यान केंद्रित किया गया. स्थानीय विरोध के कारण प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी. इसके बाद से अस्पताल में परिवार को पुलिस सुरक्षा दी गई है. विरोध करने पर जिला अस्पताल प्रशासन ने भी कार्रवाई करते हुए बच्चियों का इलाज कराया.

स्थानीय कार्यकर्ताओं ने यह भी उल्लेख किया कि इस तरह की दो और 

घटनाएं पहले भी गांव में हो चुकी हैं. हालांकि अभी और भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है.


ऐपवा की मांग है कि 


1. दोनों फरार बलात्कारियों की तत्काल तलाश कर गिरफ्तारी की जाए.


2. बिना देर किए न्याय सुनिश्चित करने के लिए मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए.

3. बच्चियों की सुरक्षा, शिक्षा सुनिश्चित की जाए.

4. स्कूल के स्थानों को सुरक्षित बनाएं और आसपास की गतिविधियों को ऐसी गतिविधियों से मुक्त करें जिनसे बच्चों को खतरा हो. 

6. स्कूल के पास नशीले पदार्थों का ठिकाना चलाने के लिए अपराधियों को दिए जा रहे राजनीतिक संरक्षण और नौकरशाही संरक्षण की जांच की जाए.

7. साम्प्रदायिक घृणा फैलाने के लिए बजरंग दल पर आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए जिससे संभवतः बच्चों तक के खिलाफ घृणा का माहौल बनाने की कोशिश की.

8. बच्चों के परिवारों को पुनर्वास के लिए मुआवजे के रूप में 25 लाख रुपये प्रदान करें.

9. बच्चियों के ठीक होने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए सर्वाेत्तम स्वास्थ्य देखभाल और पोस्ट ट्रॉमा परामर्श की सुविधा.

ऐपवा का मानना है कि समाज की सुरक्षा समाज के सबसे गरीब और सबसे कमजोर बच्चियों की सुरक्षा से ही निर्धारित होती है. भविष्य की त्रासदियों को टालने के लिए प्रशासन को उपरोक्त मांगों को पूरा करना चाहिए.


आलोक कुमार

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