Wednesday, 4 October 2023

अंतिम संस्कार मास शनिवार, 07 अक्टूबर को दोपहर 2ः00 बजे सेंट मैरी कैथेड्रल रांची में

 
रांची.एशिया के पहले आदिवासी बिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो का निधन हो गया है.झारखंड की राजधानी रांची के मांडर के लिवंस हॉस्पिटल में मंगलवार को भर्ती कराए गये.यहां पर इलाज के दौरान बुधवार को उनका निधन हो गया. कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो के फेफड़ों में पानी भर जाने की वजह से उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया था, कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो की निधन की खबर मिलते ही झारखंड समेत पूरे देश भर के ईसाई धर्मावलंबियों में शोक की लहर दौड़ गई. वे 84 वर्ष के थे. 

  झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन,पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी , पूर्व मंत्री बंधु तिर्की समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायक, सांसद एवं अन्य नेताओं वं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो के निधन पर शोक प्रकट किया.

  बताते चलें कि कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो का जन्म झारखंड के गुमला जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र के झाड़गांव में 15 अक्टूबर 1939 में हुआ था. उनके पिता का नाम यह एंब्रोस टोप्पो और मां का नाम सोफिया खलखो था.कर्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो कुल 10 भाई बहन थे, जिसमें वे आठवें नंबर पर थे, स्विट्जरलैंड के बसेल में 8 मई 1969 को बिशप फ्रांसिस्कुस ने एक पुरोहित के रूप में तेलेस्फोर पी टोप्पो का अभिषेक किया. युवा पुरोहित के रूप में तेलेस्फोर पी टोप्पो भारत लौटे. यहां रांची से सटे तोरपा में संत जोसेफ स्कूल में पढ़ाने लगे. उन्हें स्कूल का कार्यवाहक प्राचार्य भी बना दिया गया.

   तेलेस्फोर पी टोप्पो ने 1976 में लीवंस बुलाहट केंद्र तोरपा की स्थापना की. वह इसके पहले रिसर्चर एंड डायरेक्टर बने. 8 जून वर्ष 1978 में संत पॉल छठवें ने कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो को दुमका में बिशप के रूप में नियुक्ति किया था.बिशप बनने के बाद उन्होंने ‘प्रभु का मार्ग तैयार करो’ को अपना आदर्श वाक्य चुना. 21 अक्टूबर 2003 को संत जॉन पॉल द्वितीय उन्हें कार्डिनल नियुक्त किया,तो उन्होंने रांची में एक महागिरजाघर की स्थापना का सपना देखा. बाद में उस सपने को पूरा भी किया. इसके अगले ही वर्ष यानी जनवरी 2004 में 2 साल के लिए उन्हें कैथोलिक बिशप कांफ्रेंस ऑफ इंडिया ( सीसीबीआई) का अध्यक्ष चुना गया था.

   वर्ष 2005 और 2013 के पॉप चुनाव में उन्होंने भाग लिया था.कैथोलिक कलीसिया के सबसे बड़े पद पर पहुंचने वाले वह एशिया के पहले आदिवासी बिशप थे.

   कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो का पार्थिव शरीर राजधानी रांची से 25 किलोमीटर दूर स्थित मांडर लिवेंस अस्पताल में रखा गया है. उनके अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि देने के लिए ईसाई समुदाय के लोगों के अलावा सिस्टर्स और फादर्स का भी तांता लगा रहा. मांडर के पल्ली पुरोहित फादर प्रसन्न तिर्की, फादर जॉन शैलेन्द्र टोप्पो, फादर नीलम तिडू, फादर एडविन, फादर एंटोनी ब्रूनो भी कार्डिनल को अंतिम विदाई देने पहुंचे. कॉन्स्टेंट लिवेन्स अस्पताल के निदेशक फादर जॉर्ज ने कार्डिनल की अंतिम यात्रा की व्यवस्था का ख्याल रखा है. बाद में कार्डिनल के पार्थिव शरीर को आईसीयू से अस्पताल के ऑडिटोरियम में शिफ्ट कर दिया गया. फादर जॉर्ज ने बताया कि बुधवार को रात भर कार्डिनल का पार्थिव शरीर लोगों के दर्शनार्थ ऑडिटोरियम में ही रहेगा. उसके बाद गुरुवार को विशेष प्रार्थना सभा के बाद उनके पार्थिव शरीर को रांची ले जाया जाएगा. अंतिम संस्कार मास शनिवार, 07 अक्टूबर, 2023 को दोपहर 2ः00 बजे सेंट मैरी कैथेड्रल रांची में मनाया जाएगा, जिसके बाद कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो के पार्थिव शरीर को कैथेड्रल में दफनाया जाएगा.


आलोक कुमार


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