मोकामा स्थित नाजरेथ हॉस्पीटल में काम करने वाले कर्मी की मौत पर बवाल
अपनी मांग को लेकर आंदोलन करने वालों पर सुशासन सरकार के द्वारा गौर नहीं किया जाता है। यह इस लिए किया जाता है कि सुशासन सरकार ने जगह-जगह पर जनता दरबार चालू कर रखी है। सोमवार को खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं। मंगलवार को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी जनता दरबार लगाने में पीछे नहीं रहते हैं। बुधवार को एसडीओ साहब, वृहस्पतिवार को डीएम साहब और शुक्रवार को कमिशनर साहब जनता दरबार लगाते हैं। इन लोगों से कुछ एसपी,डीएस और थानाध्यक्ष भी नहीं हैं। जन प्रतिनिधि भी जनता दरबार लगाते हैं। कार्यकाल में गौर नहीं किया जाता है। कहने का मतलब है कि दस दिशाओं में जनता जर्नादन के लिए जनता दरबार लगायी जाती है परन्तु समस्याओं का समाधान निकलता ही नहीं है।
राजधानी पटना से प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने कामगारों को हटा दिया। इस अवैध छंटनी के विरूद्ध में कामगार धरना पर बैठे रहे। परन्तु,बिहार के मुखिया नीतीश कुमार ने किसी तरह की पहल नहीं। जिसके कारण धरना काफी दिनों तक चला। कई लोगों की अकाल मौत हो गयी। इधर,पटना जिले के मोकामा नगरी में नाजरेथ हॉस्पीटल के प्रबंधकों ने 52 कामगारों को छंटनी कर दी है। 161
दिनों के बाद भी भविष्य निधि एवं अन्य बकायी राशि का भुगतान मिशनरी प्रबंधकों ने नहीं किया है। यहां पर भी अभावग्रस्त कामगारों की मौत होने की सिलसिला शुरू हो गयी है। राजू राउत की मौत हो गयी है।
इस तरह की घटनाओं के आलोक में श्रम न्यायालय औेर मानवाधिकार आयोग स्वयं ही हस्तक्षेप करने की स्थिति में है। इसे स्वयं पहल करके समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
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