बच्ची
के हाथ में बच्ची
असयम
ही मां-बाप चले
गये। इनके
पीछे भाई-बहन भी
चले गये।
इसके कारण
वह अकेली
रह गयी।
पटना नगर
निगम के
वार्ड नम्बर
एक में
अभागिन लड़की
रहती हैं।
उनके पिताजी
जयमंगल मांझी
पटना नगर
निगम में
सेवारत थे।
पिताजी जयमंगल
मांझी के
निधन के
बाद पटना
नगर निगम
से राशि
मिली थीं
उसी से
दीघा मुसहरी
में मकान
बनायी गयी।
लड़की के
पिताश्री श्री
मांझी शराबपानखोर
थे। हमेंशा
शराबसेवन किया
करते थे।
जिसके कारण
असमय भगवान
के प्यारे
हो गये।
उनके प्रस्थान
होने के
बाद उनकी
पत्नी को
प्रतिनियुक्ति में
पटना नगर
निगम में
काम मिल
पाया था।
कुछ साल
के बाद
वह भी
भगवान के
घर चली
गयीं। भाई-बहन भी
नशेबाजों के
चंगुल में
पड़कर 24 घंटा
शराब सेवन
करते रहे
और ऊपर
चले गये।
सबों ने
इस लड़की
को मंझधार
में छोड़कर
चले गये।
एक वंदा
ने हाथ
थाम लिया
है। अभी
जीवन साथी
के साथ
खुश है।
दोनों के
सहयोग से
बच्ची पैदा
हुई हैं।
इस बच्ची
को पाकर
दोनों खुश
हैं। इस
बच्ची के
हाथ में
बच्ची को
देखकर कुछ
सोचने के
लिए मजबूर
हो गये
होंगे। इसके
साथ हालात
खराब बन
गयी थीं।
मगर बिना
बिगड़ी हालात
के ही
बाल विवाह
कर दिया
जाता है।
बाल विवाह
करने की
प्रथा मुसहर
समुदाय और
डोम जाति
में अधिक
होता है।
आरंभ में
मुसहर समुदाय
के पचपन
साल के
लोगों के
कहने पर
परिवार के
लोग सामाजिक
प्रतिष्ठा हासिल
करने के
लिए अपने
बच्चों को
बचपन में
ही शादी
कर देते
थे। इन
बच्चों की
शादी पिताजी
के जांघ
पर बैठाकर
अदा कर
दी जाती
थी। ऐसा
करने से
परिवार के
मुखिया को
सामाजिक प्रतिष्ठा
हासिल होती
थी। यह
सिर्फ लड़की
के माहवारी
होने तक
ही जांघ
पर बैठाकर
पिताजी जांघ
पवित्र कर
लेते थे।
इसके अलावे
घर में
अनाज का
भंडारण होने
पर बच्चों
की शादी
कर दी
जाती थीं।
अब समुदाय
में जागरूकता
आने के
बाद मामूली
सुधार हो
रहा है।
जो पर्याप्त
नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं
रवि रोशन
का कहना
है कि
व्यापक जनजागरण
पैदा करके
बाल विवाह
पर अकुंश
लगाया जा
सकता है।
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