Tuesday, 29 January 2013

महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि पर जनतंत्र रैली 30 जनवरी को


  



 बिहार के पवित्रभूमि पर भ्रष्टाचार के खिलाफ शंखनाद करने की तैयारी पूरी हो गयी है। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के महान नेता तथा जनलोक पाल विधेयक के शिल्पी अन्ना हजारे,प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक एवं जनादेश 2007 और जन सत्याग्रह 2012 के महानायक पी0व्ही0राजगोपाल और जनांदोलन के प्रणेता राजेन्द्र सिंह का पटना आगमन हो गया है। वहीं भूतपूर्व थल सेनाध्यक्ष एवं इंडिया अगेंस्ट करप्शन के प्रमुख नेता जेनरल वीके सिंह पटना में ढेरा जमा रखे हैं। 74 आंदोलन के नेता प्रबुद्ध संतोष भारतीय भी पटना में गये हैं। इस सबों के द्वारा जनतंत्र रैली को ऐतिहासिक बनाने की कवायद में जूटे हुए हैं।
   आज देश को सबलोग मिलकर लूट रहे हैं। जितना अंग्रेजों ने नहीं लूटा उससे ज्यादा इन लोगों ने 65 सालों में देश को लूट लिया। जल,जंगल,जमीन और दूसरी राष्ट्रीय सम्प्रदा का सरकार निजी कम्पनियों के साथ मिलकर बंदर बांट कर रही है। हर दिन नए घोटाले सामने रहे हैं। भ्रष्टाचारियों को सजा देने के बजाय सरकार उन्हें बचाने का काम कर रही है। जब लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ जन लोकपाल की मांग करते हैं तो संसद अपने ही सर्वसम्मत प्रस्ताव से मुकर जाती है। बहु-बेटियों की इज्जत नीलाम हो जाती है, पूरे देश में युवा न्याय की मांग करते हैं,आंदोलन करते हैं लेकिन सरकार सोती रहती है। यह सब कबतक चलता रहेगा?
  इस समय गांधीवादियों के समझ यक्ष सवाल है कि क्या सुशासन सरकार के खिलाफ आग बरसाएंगे? क्या केवल केन्द्र सरकार और 2014 के आमचुनाव को ही मुद्धा बनाया जाएगा? अगर ऐसा होता है कि तो भविष्य में इनको आम आदमी का सहयोग नहीं मिलेगा। जिस प्रकार अन्य नेताओं को आम आमदी नकार देते हैं उसी तरह नकारा साबित हो जाएंगे। आम आदमी की शिरकत कम हो तो मध्यमवर्गीय परिवारों का जमावाड़ा होगा। लोग इनको देखने और सुनने आएंगे। अगर आम लोगों को दिल में नहीं उतरे तो आम आदमी का मोहभंग हो जाएगा। जो प्रजातंत्र और जनतंत्र रैली के लिए घातक है।






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