Tuesday, 22 January 2013

They asking .........

मिठाई खिलाने की मांग होने लगी
सोनी टीवी पर बॉलीवुड मनोज वाजपेयी और शोषित समाधान केन्द्र के छात्र मनोज कुमार मिलकर केबीसी गेम शो 14 जनवरी 2013 को खेलकर 25 लाख रूपये जीते। इस रकम को शोषित समाधान केन्द्र के विस्तारीकरण करने में लगाया जाएगा। जिसके कारण महादलित मुसहर समुदाय के मनोज कुमार को पच्चीस लाख रूपये में से एक पैसा भी नहीं मिलेगा। इसको लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। उस दिन जो दर्शक केबीसी गेम शो देख रहे और जिसने महानायक अभिताभ बच्चन के हाथों से मनोज कुमार को 25 लखा रूपये चेक लेते देखे थे। गांवघर के आसपास के लोग अब आकर मनोज कुमार के पिता महेश मांझी और माता शांति देवी से मिठाई खिलाने की मांग करने लगे हैं। इसके चलते मनोज कुमार के अभिभावकों का बुरा हाल होने लगा हैं।
   खैर, दानापुर अनुमंडल से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर जमसौत ग्राम पंचायत है। इसी पंचायत में जमसौत मुसहरी हैं। यहां पर महेश मांझी रहते हैं। उनको सरकार के द्वारा इंदिरा आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए 45 हजार रूपये मिले। परन्तु मकान अधूरा रह गया। 45 हजार रूपये में भी मकान की छत की ढलाई नहीं हो सकी है। इसके आलोक में महेश मांझी ने पद्मश्री सुधा वर्गीस के जिए बनाए गए शौचालय के सेप्टीटैंक के ऊपर झोपड़ी बना रखे हैं। यह बहुत ही छोटा है। इसी में सपरिवार रहने को बाध्य हैं।
   अपने झोपड़ी के सामने शांति देवी बैठी हैं। शांति देवी कहती हैं। कि उनके चार संतान हैं। सीमा देवी की शादी कर चुकी हैं। 25 लाख रूपये जीतने वाले मनोज कुमार 11 वीं कक्षा में अध्ययनरत हैं। अनोज कुमार 5 वीं कक्षा में पढ़ रहा है। शोषित समाधान केन्द के छात्रावास में रहकर मनोज और अनोज पढ़ते हैं। सबसे छोटका सनोज कुमार गांवघर में ही 3 री कक्षा में पढ़ रहा है। इन बच्चों के पिता महेश मांझी मजदूरी किया करते हैं। खुद आंगनबाड़ी केन्द्र में सहायिका के पद कार्यरत हैं। आंगनबाड़ी के बच्चों को खाना बनाकर खिलाती हैं। शांति देवी ने
शांतचित होकर कहती हैं कि 1 साल से मानदेय नहीं मिल रहा है। अभी-अभी दो माह का मानदेय को विमुक्त किया गया है। मगर हाथ में नहीं मिला है। अगर दो माह का मानदेय हाथ में मिल भी जाता है तो 10 माह का मानदेय अधर में लटका रहेंगा। इस समय बढ़ोतरी करके 15 सौ रूपये मानदेय कर दिया गया है।
  कथित 25 लाख रूपये जीतने वाले मनोज कुमार की मां शांति देवी ने आगे कहा कि सरकार के द्वारा प्रथम चरण में 15 हजार रूपये, द्वितीय चरण में 14 हजार रूपये और अंतिम चरण में 16 हजार रूपये विमुक्त किया गया। कुल मिलाकर 45 हजार रूपये में मकान नहीं बन सका। मंहगी अधिक है। अधूरा मकान दिखाकर कहती हैं कि मुखिया जी को नजराना भी देना पड़ता है। इंदिरा आवास योजना की राशि मिलते ही समानों की कीमत बढ़ा दी जाती है। उसी ऊंची कीमतों पर सामग्री खरीदना पड़ता है। अब कमाकर अधूरा मकान को बनवाने की बात करती हैं।                                          
  शांति देवी का कहना है कि मेरे सुपृत्र मनोज कुमार ने जरूर 25 लाख रूपये जीते हैं। मगर कुछ भी पैसा मनोज कुमार को नहीं मिला है। हम लोग पसोपेश में पड़ गये हैं। साहब, मेरे परिवार की माली हालत देख रहे हैं। फिर भी हम लोग शोषित समाधान केन्द्र के निदेशक महोदय से राशि देने की मांग नहीं करेंगे। अगर निदेशक महोदय कुछ देते हैं तो उसे सहज ग्रहण कर लिया जाएगा। कम से कम 2 लाख रूपये मिल जाता था। तो तकदीर और तस्वीर में सुधार हो जाता। हम लोग निदेशक महोदय के समक्ष मुंह खोलना नहीं चाहते हैं। यह खौफ जाहिर हुआ कि शांति देवी के दो पुत्र शोषित समाधान केन्द्र में अध्ययनरत हैं। अगर 2 लाख रूपये देकर छात्रावास से बच्चों को बाहर कर दें तो हम लोग कहीं का भी नहीं रह जाएगें। इसको लेकर गांवघर के लोगों के द्वारा ताना मारना शुरू कर दिया गया है। अशिक्षित और शिक्षितों से भी बेगारी कराया जा रहा है।


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