यक्ष्मा बीमारी से बेहाल सहदेव मांझी
जमसौता मुसहरी में रामचन्द्र मांझी रहते हैं। इनके 6 संतान हैं। तीन लड़का और उतने ही लड़की हैं। पुत्र सहदेव मांझी को यक्ष्मा बीमारी हो गयी है। इस गांव में रहने वाली पूनम देवी के अनुसार सहदेव मांझी यक्ष्मा बीमारी को छुपाकर रखे थे। उनको कई बार कहा गया कि उप स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर चिकित्सकों से दिखाकर उचित परामर्ष प्राप्त करें। परन्तु इस ओर ध्यान नहीं दिया ।
धूप में चादर ओढ़ कर सहदेव मांझी (32 साल) बैठे हैं। इनके घर से कुछ ही दूरी पर यक्ष्मा बीमारी से बुजुर्ग महिला की मौत हो गयी। इस मौत से सहदेव और उसके परिवार के लोग घबड़ा गये हैं। रामचन्द्र मांझी ने कहा कि सहदेव मांझी 6 माह से बीमार पड़े हुए हैं। 2 दिन हुआ बिहटा से इलाज षुरू कराया गया है। क्षेत्रीय उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग के अवकाश प्राप्त डा0(कैप्टन) प्रदीप कुमार से सहदेव मांझी को दिखाया गया। डाक्टर साहब आला लगाकर ही यक्ष्मा बीमारी होने की बात कह दी और 10 दिनों की दवा और सूई लिख दिये। साथ ही प्रत्येक दिन अंडा खाने की सलाह दिये। डाक्टर साहब को एक सौ रूपये फीस दिया गया। बगल के दवाखाना से दवा खरीदी गयी। 10 दिनों की दवा की कीमत 320 रूपये हुआ।
सहदेव मांझी ने कहा कि उसकी शादी रेखा देवी के संग हुई है। दोनों के तीन संतान है। वह मजदूरी करने जाता था। उसे मजदूरी में 150 रूपये मिलता है। बीमार पड़ने के बाद पिता जी मजदूरी करके लाते हैं। तब जाकर चूल्हा जलता है और खाना बनता है। रोगी सहदेव मांझी को बताया गया कि यह एक संक्रामक बीमारी है। इसके आलोक में सरकार ने ‘डॉट’कार्यक्रम के द्वारा निःशुल्क दवा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। दवा षुरू करने के पहले बलगम जांच की जाती है। तीन दिनों तक तीन बार जांच करायी जाती है। ‘डॉट’ के तहत प्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्यकर्मी के ही देखरेख में रोगी को दवा खिलायी जाती है। सप्ताह में तीन दिन दवा खानी पड़ती है। सुचारूढंग से दवा सेवन करने से तीन से नौ माह के अंदर यक्ष्मा बीमारी छू मंतर हो जाता है।
रामचन्द्र
मांझी ने कहा
कि हम लोगों
को ठीक तरह
से जानकारी करने
वाले शख्स नहीं
है। जो ठीक
तरह से बता
सके और मार्ग
दर्शन कर सके।
जो पैसा बचत
करके रखा गया
था उसी से
सहदेव की जांच
और दवा ली
गयी है। पैसे
के अभाव पड़ने
पर महाजनों और
सूदखोरों के पास
जाकर 10 रूपये सैकड़ा पर
पैसा लाया जाएगा।
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