मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी को अधिकतम तक पहुंचाने का प्रयास
यह हर्ष की बात है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र जहानाबाद जिले में ‘ बंदूक नहीं कुदाल चाहिए, हर हाथ को काम चाहिए’ का नारा गूंजने लगा है। अतीत में कुदाल थामने वाले हाथों ने बंदूक पकड़ लिये थे। इसके चलते माहौल भयभीत और गमगीन बना रहता था। गांधी,विनोबा,जयप्रकाश के कर्मभूमि पर हिंसा के बदले अहिंसा का माहौल कायम हो गया है।
खैर, बिहार सरकार और जहानाबाद प्रशासन के द्वारा खेत-खलियानों में कार्यरत मजदूरों को एक समान मजदूरी दिलवाने में अक्षम साबित हो रही है। इसके कारण मजदूरों में काफी आक्रोश व्याप्त है। वहीं इस आक्रोश को ठंडा करने में बहुआंकाक्षी मनरेगा भी विफल साबित हो रहा है। इसके आलोक में जहानाबाद प्रशासन की ओर से कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जा रहा है ताकि किसान और मजदूर एक नदी के दो धारा न बन जाए। मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी को अधिकतम तक पहुंचाने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। इस दिशा में निर्धनतम क्षेत्र नागरिक समाज ने जिला प्रशासन को हाथ खोलकर समर्थन देने को तैयार है।
जहानाबाद जिले को कुछ साल पहले तक नक्सलवादी से जोड़कर देखा जाता था। इस जिले में कई बार नरसंहार होने से धरती रक्तरंजित होती रही है। भूमि और मजदूरी संबंधित समस्याओं का समाधान करने के लिए इन मुद्दों को हथियार के रूप में इस्तेमाल किये। यहां के मजदूरों को संगठित करके मजदूरों को अधिकार दिलवाने का प्रयास किया गया। वहीं इस कदम के आलोक में किसानों को भी संगठित करने का प्रयास किया गया। इस तरह किसान और मजदूर आमने-सामने हो गये। इन दोनों ने जनाधिकार न्याय दिलवाने के लिए और जन की आवाज दबाने के लिए गण का सहारा लेने लगे। इसका नतीजा समय-समय पर नरसंहार के रूप में सामने आया। इस समय फिर माहौल बनने लगा है। किसानों के द्वारा सिकरिया पंचायत में अलग और मांदेबिगहा पंचायत में अलग मजदूरी निर्धारित करके मजदूरों को मजदूरी दिया जा रहा है।
इस समय खेत में रबी मंसूरी को बोझा बनाकर किसानों के खलियान
तक पहुंचाया जा रहा है। खेत में तैयार रबी को काटती हैं। खेत में ही सूखने के लिए छोड़ देती हैं। जब रबी सूख जाती है। तो उसे बोझा बनाया जाता है। इस बोझे को महिला सिर पर रखकर किसान के खलियान तक पहुंचा देती हैं। खेत से किसान के खलियान की दूरी अधिक होती है। इस बोझा को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है।सिकरिया पंचायत में किसान के खलियान 12
बोझा पहुंचाने के बदले में एक बोझा मजदूरी दिया जाता है। वहीं मांदेबिगहा पंचायत में 15 बोझा पहुंचाने के बदले में एक बोझा मजदूरी में दिया जाता है। सिकरिया पंचायत में 2 किलो चावल मजदूरी है तो मांदेबिगहा में 4 किलो चावल मजदूरी के रूप में दिया जाता है। सिकरिया पंचायत में कुदाल चलाने वाले मजदूरों को 4 किलो चावल मजदूरी में और नास्ता दिया जाता है। एक बोझा में 10 से 12 किलो मंसूरी दाल प्राप्त हो जाता है। भात और दाल के रूप में व्यवहार करते हैं।
हालांकि जहानाबाद प्रशासन के द्वारा मनरेगा के तहत जॉबकाधारियों को काम देने की योजना बनायी है। काफी संख्या में कार्य सृजन किया जा रहा है। इसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का भी सहयोग लिया जा रहा है। इन महिलाओं को काम देने का आवेदन दिया जा सकता है। जो उचित माध्यम के द्वारा मनरेगा में काम उपलब्ध करा देगीं। वहीं निर्धनतम क्षेत्र नागरिक समाज के द्वारा गैर सरकारी संस्थाओं को सहयोग दिया जा रहा है। जो जहानाबाद में मनरेगा में कार्य करके बेहतर परिणाम सामने प्रस्तुत करें। इनको मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी को अधिकतम तक पहुंचाना है। इसके अलावे महिला मेट भी बनवाना है। महिला मेट की प्रतिक्षा सूची तैयार करनी है ताकि कार्यक्रम पदाधिकारी बाध्य होकर महिला मेट को नियुक्त कर सके। इसमें ग्रामीण विकास के प्रधान सचिव का पूर्णरूप से सहयोग मिल रहा है।
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