Tuesday 12 March 2013

पोलियों की खुराक पिलाने नहीं आये

                पोलियों की खुराक पिलाने नहीं आये

गरीबी की दासता झेलने वाले अनुसूचित जनजाति समुदाय को 20 जनवरी  2013 को पहली बार 300 बच्चों को पोलियों की खुराक पिलाने के लिए स्वास्थ्यकर्मी आये। 24 फरवरी को दूसरी बार पोलियों की खुराक पिलाने नहीं आये। पोलियों उन्मुलन अभियान पांच दिनों तक चलता है। स्वास्थ्यकर्मी की राह अभिभावक और बच्चे देखते रह गये।
 बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति और यूनिसेफ के संयुक्त पहल पर प्रत्येक माह जोरशोर से पोलियों उन्मूलन अभियान चलाया जाता है। कोई मइया रूठे नहीं और कोई बच्चा छूटे नहीं की तर्ज पर कार्य अभियान चलाया जाता है। शहर में एक मां के द्वारा भी पोलियों पीलाने में दिलचस्पी नहीं लेती हैं तो स्वास्थ्यकर्मी इसकी सूचना सिविल सर्जन स्तर के अधिकारियों तक कर दी जाती है। उसके बाद पोलियों पिलाने से इंकार करने वाली मां को समझाने और बुझाने के लिए चिकित्सकों के दल इंकार करने वाली मां के घर टपकते हैं ताकि बच्चे को के मुंह में पोलियों के दो बूंद टपका सके। इसे इंकार तुड़वाना कहा जाता है।
 जी हां, यहीं शहर और गांव के बीच में अन्तर है। शहर में आसानी से आवाजाही कर सकते  हैं। मगर गांव में नहीं हो सकता है। गांव में मुश्किल हालात का हवाला देकर नौकरशाह साफ बच निकलते हैं। इसी तरह से आजादी के 65 साल के बाद भी गया जिले के फतेहपुर प्रखंड में स्थित कठौतिया केवाल गा्रम पंचायत के अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ हो रहा है। झारखंड और बिहार की सीमा पर अवस्थित अलखोडहा आदिवासी गिद्धनी गांव के 9 टोले में रहने वाले भारतीय नागरिकता से वंचित हैं। शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है। हक अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। और तो और एक दबंग जाति के द्वारा जंगल में रहने वाले लोगों को बाहरी लोगों की हवा लगे। इसका ख्याल रखा जाता है।
 वाटर एड इंडिया के सहयोग से गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के द्वारा फतेहपुर प्रखंड के पांच पंचायतों में कार्य किया जाता है। समिमि के प्रोजेक्ट मैंनेजर वृजेन्द्र कुमार का कहना है कि यहां के आदिवासी लोग गुरपा जंगल से होकर गुरपासीनी पहाड़ से गिरने वाले पानी को गड्डा में एकत्र करते हैं। उसी पानी को पीते हैं। इसमें फ्लोराइड की मात्रा 5.45 है। इसके आलोक में फतेहपुर प्रखंड में जन सुनवाई की गयी थी। इस दौरान 250 लोगों ने अपनी समस्याओं का आवेदन प्रखंड विकास पदाधिकारी धर्मवीर कुमार को सौंपा था। समस्याओं में मुख्य तौर पर निर्मल भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण करवाने, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन, इंदिरा आवास योजना के तहत बढ़ी राशि 75 हजार रू0 से मकान निर्माण,महात्मा गांधी नरेगा में सुनिश्चित रोजगार उपलब्ध कराने आदि के आवेदन थे।
  श्री कुमार ने कहा कि बीडीओ धर्मवीर कुमार ने तत्काल आदिवासी क्षेत्र में पांच चापाकल लगाने का आदेश निर्गत किया। वहीं 100 आदिवासियों को वोटर आई कार्ड निर्गत करने की प्रक्रिया प्रगति में है।
   इस बीच हक एवं अधिकार के एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर आदिवासियों को जागरूक बनाने का प्रयास किया गया। इसका आयोजन प्रगति ग्रामीण विकास समिति ने किया इसमें सहयोग वाटर एड एण्ड चैरिटी वाटर ने प्रदान किया। इस अवसर पर प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सचिव प्रदीप प्रियदर्शी, शत्रुध्न कुमार,वृजेन्द्र आदि उपस्थित थे। इन लोगों ने नवनियुक्त जिलाधिकारी बालामुरगम डी से आग्रह किये हैं कि व्यक्तिगत रूचि लेकर आदिवासियों को विकास के शिखर पर पहुंचाने का कष्ट करें।

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