बीपीएल कार्डधारियों की मेरी पंसद है, केन्द्र सरकार
अनाज ही आपूर्ति करें
छतीसगढ़ और झारखंड प्रदेश की सीमा में भारी वाहन चलाने वाले ड्राइवर साहब को मेरी पंसद है कि केन्द्र
सरकार बीपीएल कार्डधारियों को अनाज देने का सिलसिला जारी रखें। अनाज के बदले में मनी देना वाजिब नहीं है। छोला भरकर मनी लेकर जाएंगे और मुठ्ठीभर अनाज लाना नहीं चाहते हैं।
जहानाबाद जिले के जहानाबाद प्रखंड में सिकरिया पंचायत के मुसेपुर गांव में मो0 इसमाइल अंसारी रहते हैं। अभी 65 साल के हैं। 3 लड़का और 3 लड़की हैं। इन लोगों के बीच में किसी तरह की पक्षपात किये बिना ही मैट्रिक तक शिक्षा दिला दी है। मो. अंसारी साहब छतीसगढ़ और झारखंड प्रदेश की सीमा में भारी वाहन चलाये। उन्होंने कहा कि जब आंख कमजोर हो गयी। दोनों आंख का ऑपरेशन कराकर लैंस लगा लिये हैं। तब से ही ड्राइवरी कार्य छोड़ दिये हैं। इसके कारण गरीबी रेखा के नीचे आ गये हैं। अभी उनका एक लड़का छतीसगढ़ में इलेक्ट्रीसिटी में डिप्लोमा कर रहे हैं। उनकी एक बेटी की मौत कुरूक्षेत्र में हो गयी। प्रथम प्रसव के समय रक्तस्त्राव होने के कारण मौत हो गयी।
‘सरकार आपके गांव’ कार्यक्रम के तहत बने मकान परिसर में जन वितरण प्रणाली की दुकान से बीपीएल कार्डधारियों को अनाज वितरण किया जा रहा था। बीपीएल कार्डधारी को स्कोर के अनुसार कार्ड मिला है। ऐसे लोगों को लाल और पीला कार्ड मिलता है। पीला कार्डधारी को सिर्फ 90 रू0 में 35 किलो और लाल कार्डधारी को 165 रू0 में 25 किलो अनाज दिया जाता है। अनाज को साइकिल पर रखने वाले मो0 इसमाइल अंसारी ने कहा कि सरकार अनाज वितरण का सिलसिला जारी रखें। हम लोगों को अनाज ही दें। रकम नहीं चाहिए। मंहगाई डायन के खौफ के बीच अंसारी साहब कहते हैं कि जो राशि सरकार देगीं उससे अनाज नहीं खरीदा जा सकेगा। इसी लिए जरूरी है कि सरकार अनाज ही वितरण करें।
जी हां, जब
से सरकार के द्वारा आनाज के बदले कैष देने की बात शुरू की गयी है तब से ही गैर सरकारी
संस्थाओं के बीच में कुछ-कुछ होने लगा है। इन लोगों के द्वारा बंद कमरों में चर्चा-परिचर्चा
आयोजित करने लगे हैं। इसको लेकर पदयात्रा भी आयोजित की गयी है। इसके आलोक में सरकार
का कर्तव्य बनता है कि आम आमदी और गैर सरकारी संस्थाओं की भावनाओं को ध्यान में रखकर
अनाज के बदले कैष देने वाली योजना को बंद कर दी जाए।
कोशिश संस्था
के
रूपेश
जी
के
द्वारा
खाद्य
सुरक्षा
को
लेकर
कई
तरह
से
कार्य
किया
जा
रहा
है।
बिहार
में
अन्य
एन.जी.ओ.को
मिलाकर
खुलकर
केन्द्र
सरकार
की
नीति
के
खिलाफत
बोलने
लगे
हैं।
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