सरकार से स्थायी नौकरी की मांग करने वाली आशा बहुओं को सरकारी पैकेज
धन्य घोषित होने वाली मदर टरेशा की तरह काम करने पर 300 रूपए
न्यूनतम मजदूरी से महरूम आशा
अब आशा बहुओं को विभिन्न तरह की भूमिका में रहने को तैयार रहना पड़ेगा। समाजसेवी के नाते समाज से वर्हिष्कृत हो जाने वाले कुष्ठ रोगियों की पहचान करनी होगी। उनको ठीक तरह से परामर्श देकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की ओर रूख करवाना ही होगा। तब जाकर सरकार के द्वारा प्रोत्साहन राशि के तौर पर 300 रूपए मिल पाएगा। आज भी समाज और परिवार में कुष्ठ रोगियों की पहचान गोपनीय रखी जाती है ताकि जग हंसाई न हो सका। इस अवधारणा को सात संमदर में फेंकने के लिए मिशनरी ऑफ चैरिटी की संस्थापक धन्य घोषित मदर टरेशा की तरह सोच विकसित करना होगा। तभी कुष्ठ पीड़ितों के पैर में लगे सामाजिक बंधन के जंजीर को तोड़ा जा सकता है। उनको वैज्ञानिक तौर से परख की गयी दवा खिलाकर कुष्ठ रोगियों को ठीक किया जा सकता है।
स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार के अनुसार आशा स्वास्थ्य प्रक्षेत्र के लिए रोल मॉडल है। स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में जो सुधार आया है,उसका काफी श्रेय आशा का है। इस के आलोक में स्वास्थ्य विभाग ने पैकेज दे रखा है। एक बंध्याकरण करवाने पर 150 रूपए, एक नसबंदी करवाने पर 200 रूपए, टीकाकरण सत्र के दौरान 21 बच्चों का एक टीकाकरण करवाने पर 200 रूपए,टी.बी.नियंत्रण (डॉट्स )के तहत प्रति रोगी 250 रूपए, कुष्ठ रोगी लाने पर 300 रूपए, मोतियाबिन्द ऑपरेशन करवाने पर 175रूपए, कालाजार रोगी को लाने पर 100 रूपए, गांवघर में सेनिटरी नैपकिन का वितरण करने पर 1 रू. (पैक ), किशोर के साथ बैठक करने पर 50 रूपए (बैठक ),मृत्यु निबंधन करवाने पर 50रूपए (प्रति निबंधन ) पोलियो टीकाकरणा 75 रूपए (प्रति दिन ) और आशा दिवस में भागीदारी करने पर 100 रूपए देय होगा। इसके अलावे आदर्श दंपति योजना के तहत परिवार नियोजन सुनिश्चित करवा देने पर आशा को 1000 रूपए प्रोत्साहन राशि मिलनी है। शादी के दो वर्ष बाद पहला जन्म सुनिश्चित कराने पर 500 और पहले बच्चे के जन्म में तीन वर्ष का अंतराल सुनिश्चित कराने पर 500 रूपए आशा को मिलना तय है। सुरक्षित प्रसव कराने के लिए आशा को गांवों में 600 रूपए और शहरों में 200 रूपए प्रोत्साहन राशि मिलती है। इस समय 84365 आशा की तैनाती की गई है।
आशा बहुओं पर सरकार मेहरबान है। अब आशा बहुओं को बेहतर ढंग से काम करना है। अब तो जनसंख्या नियंत्रण की जिम्मेवारी आशा पर आ गयी है। एक दिन में 1672 रू. कमा सकती हैं। आशा बहु को एक दिन में 12 तरह का कार्य करना होगा। इसका मतलब काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।
सरकार और नौकरशाहों के इस पैकेज से आशा बहु खफा हैं। उनका स्पष्ट तौर पर कहना है कि अगर सरकार की सोच है कि आशा जनसंख्या नियत्रंण की महती जिम्मेवारी निभा रही हैं तो सरकार आशा को सरकारी कर्मचारी घोषित कर मासिक तनख्वाह दें। अगर तनख्याह नहीं दे सक रही है तो आशा बहुओं को मान मर्यादा बढ़ाने के लिए मानदेय शुरू कर दें। इस पीस टाइप के पैकेज से आशा बहुओं का कल्याण और विकास होना असंभव है। गांव में कहावत है कि दिन कमइनी सवा सेर और रात भी कमइनी सवा सेर। इस पर सरकार ध्यान दें। अगर किसी तरह का सुधार नहीं होता है कि आशा पूर्ववत आंदोलन करते रहेंगे और सरकारी कर्मचारी घोषित करके तनख्याह देने की मांग करते रहेंगे।