आम चुनाव के पूर्व भू अधिकार आंदोलन को तेज करने की कवायद
100 संस्था-संगठनों के लोग 100
दिन में देंगे अंजाम
पटना में 2 अक्तूबर
2013 से शुरू होगा सत्याग्रह
पटना। पटना-दानापुर मुख्य मार्ग पर अवस्थित है गांधी संग्रहालय। जो ऐतिहासिक गांधी मैदान के बगल में है। एकता परिषद,बिहार के द्वारा ‘भूमि सुधार एवं भूमि अधिकार समझौता के आलोक में भारत सरकार के द्वारा कार्यवाही पर राज्य स्तरीय संवाद’ आयोजित की गयी। इस अवसर पर गांधीवादी कार्यकर्ता पी.व्ही.राजगोपाल जी पधारे थे। जन सत्याग्रह
2012 सत्याग्रह पदयात्रा के दरम्यान जन सत्याग्रह के महानायक पी.व्ही.राजगोपाल और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के बीच सहमति बनी और 10 एजेंडों पर हस्ताक्षर हुआ।
जब केन्द्र सरकार झुक गयी
2 अक्तूबर 12 को कोई 50 हजार की संख्या में वंचित समुदाय जन सत्याग्रह
2012 सत्याग्रह पदयात्रा के बैनर तले दिल्ली की ओर बढ़ने लगे। ऐतिहासिक सत्याग्रह पदयात्रा षुरू होते ही केन्द्र सरकार हरकत में आ गयी। जन सत्याग्रह के नेताओं के साथ बैठक आयोजित करने लगी। आखिरकार वह समय आ ही गया जब वंचित समुदायों के द्वारा एक पहर खाना खाकर तपस्या करते हुए सत्याग्रही पदयात्रा करते हुए आगे बढ़ने वालों के सामने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार झुक गयी। अक्तूबर 2012 को मोहब्बत की नगरी आगर में जाकर जन सत्याग्रह
2012 के महानायक पी.व्ही.राजगोपाल और भारत सरकार के केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के संग भूमि सुधार एवं अधिकार संबंधी 10 एजेंडों पर सहमति बनी और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी किया गया।
6 माह के अंदर भूमि सुधार संबंधी कार्रवाई कर देने का भरोसा दिया
आवासीय भूमि अधिकार कानून
(2013) के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में उन गरीब परिवारों को भूमिहीन तथा आश्रयहीन माना गया है, जिनके पास वैधानिक तौर पर कोई भी आवासीय भूमि नहीं है। इन सभी परिवारों के लिए प्रस्तावित आवासीय भूमि का तात्पर्य ऐसी भूमि से है जो परिवार अथवा व्यक्ति के लिए निजी उपयोग हेतु सुनिश्चित हो।
प्रत्येक भूमिहीन तथा आश्रयहीन परिवार को न्यूनतम 10 डिसमिल
(4400 वर्ग फीट) भूमि का आबंटन किया जायेगा। यह भूमि, वंशानुगत प्रक्रियाओं को छोड़कर अहस्तांतरणीय होगी। उपरोक्त प्रक्रियाओं को पूर्ण करने हेतु इस कानून की अधिसूचना जारी होने के 6 माह के भीतर सभी राज्य सरकारें क्रियान्वयन की नीति और नियोजन प्रस्तुत करेंगी। जिसके तहत ग्राम सभा द्वारा प्रस्तुत सूची के अनुसार जिला प्रशासन का दायित्व योग्य परिवारों को न्यूनतम 10 डिसमिल भूमि का आबंटन करना होगा। राज्य प्रशासन की ओर से इन प्रक्रियाओं में होने वाले विवादों के निपटारे हेतु उपयुक्त न्यायिक निकायों की स्थापना भी की जायेगी।
आवासीय भूमि का अधिकार, वयस्क महिला सदस्य के नाम पर किया जायेगा। उन परिस्थियों में जहां वयस्क महिला सदस्य नहीं है भूमि का आबंटन वयस्क पुरूष के नाम पर किया जायेगा। इस प्रक्रिया में महिला मुखिया आधारित , एकल महिला,अनुसूचित जाति,अनुसूचित जन जाति, घुमंतू जनजाति तथा विकलांग परिवारों को विशेष प्राथमिकता दी जायेगी।
इस कानून के वित्तीय प्रबंधन के लिए भारत सरकार की भागीदारी 75 प्रतिशत तथा राज्य सरकारों की भागीदारी 25 प्रतिशत होगी।
ग्राम पंचायतों का दायित्व होगा कि सभी भूमिहीन तथा आश्रयहीन परिवारों का पहचान करके ग्राम सभा से अनुमोदन करके सूची तैयार करे और इसे विकासखंड तथा जिला पंचायतों को प्रस्तुत करे।
इस कानून के क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक जिला स्तर पर अधिसूचना जारी की जायेगी तत्पश्चात चिन्हित परिवारों को दो वर्ष के भीतर भूमि का आबंटन सुनिश्चित किया जायेगा। किसी भी राज्य और जिला स्तर पर यह कानून अधिकतम 5 वर्ष के भीतर पूर्णतः लागू कर दिया जायेगा। राज्य सरकारों का यह दायित्व होगा कि नयी आबादी बस्तियों में पेयजल तथा अन्य नागरिक सुविधाएं भी उपलब्ध करायें।
भारत सरकार द्वारा इस कानून की अधिसूचना जारी होने के पश्चात राज्य सरकार के स्तर पर इसे लागू करने हेतु नियमों का निर्धारण 6 माह के भीतर किया जायेगा।
राश्ट्रीय
भूमि सुधार नीति (2013)
राष्ट्रीय
भूमि सुधार नीति का मुख्य उद्देश्य भूमि सुधारों के माध्यम, से गरीबी दूर करने तथा
आर्थिक-सामाजिक न्याय की प्रक्रियाएं सुनिश्चित करने की है। भूमि सुधारों के अभाव में
देश के एक बड़े हिस्से में हिंसा,पलायन तथा अनियंत्रित भूमि हस्तांतरण जारी है। राष्ट्रीय
सेंपल सर्वे (2003.04) के अनुसार 31ण्12 प्रतिशत जनसंख्या पूर्णतः भूमिहीन हैं। दूसरी
ओर गैर कृषि उपयोग के लिए वर्ष 1990.2005 के दौरान 24ण्94 मिलियन हैक्टेयर भूमि का
हस्तांतरण हुआ। जिसके परिणाम स्वरूप अनेक राज्यों में भूमि और कृषि संबंधी नये संकट
खड़े हो गये । इन परिस्थितियों में भूमि सुधार ही एक कारगर समाधान है।
भारत सरकार,राज्य
सरकारों के साथ समन्वयन के आधार पर निम्नलिखित कदम उठायेगीः-
भारत के संविधान
में दर्ज आजीविका के मूलभूत अधिकार के परिपेक्ष्य में ग्रामीण क्षेत्रों के सभी भूमिहीन
परिवारों को आगामी पांच वर्ष के भीतर न्यूनतम 5 एकड़ भूमि आबंटित किया जायेगा।
भारत के संविधान
में दर्ज सामाजिक न्याय के प्रावधानों के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के सभी आवासहीन परिवारों
को आगामी पांच वर्ष के भीतर न्यूनतम 10 डिसमिल भूमि महिला सदस्य के नाम आबंटित किया
जायेगा।
राश्ट्रीय
भूमि उपयोग अभियोजना प्रस्तुत की जायेगी, जिसका उद्देश्य गरीबों के हित में भूमि के
अधिकाधिक उपयोग को सुनिश्चित करना होगा। राज्य सरकारें, भूमि की वर्तमान भौगोलिक तथा
राजस्व स्थितियों पर एक विस्तृत दस्तावेज प्रस्तुत करेंगी जिसके आधार पर समग्र भूमि
उपयोग नीति का निर्धारण किया जायेगा।
समग्र भूमि
उपयोग नीति के आधार पर वितरण योग्य सभी भूमि चिन्हित की जायेगी। इसके पश्चात निजी तथा
सार्वजनिक उपयोग हेतु,वृहत वर्गीकरण के आधारर पर राज्य सरकार के द्वारा भूमि कोष का
निर्धारण किया जायेगा।
भूमि कोष
से होने वाले किसी भी भूमि वितरण में पहला अधिकार गरीब भूमिहीन का होगा। इस प्रक्रिया
में कृषि योग्य बंजर भूमि, भूदान भूमि, अधिशेष भूमि, औघोगिक निकायों की अनुपयोगी भूमि
आदि को चिन्हित करते हुए वितरण हेतु भूमि-कोष में शामिल किया जायेगा।
पंचायत कानून
में संशोधन किया जाकर ‘ महिला समिति’ को गांव में उपलब्ध सामुदायिक भूमि का प्रबंधन
और अधिकार दिया जायेगा।
हिन्दु उत्तराधिकार
कानून तथा मुस्लिम पर्सनल लॉ में हुए संशोधनों के संदर्भ में सभी राजस्व अधिकारियों
को प्रशिक्षित किया जाकर महिलाओं के भूमि अधिकार सुनिश्चत किये जायेंगे।
सभी घुमंतू जनजातियों के लिए ‘ न्यूनतम भूमि धारिता’ के प्रावधान
सुनिश्चत करते हुए भूमि का आबंटन प्राथमिकता के आधार पर किया जायेगा।
प्रांतीय
स्तर पर आगामी 6 माह के भीतर ‘ राज्य भूमि सुधार आयोग’ का गठन किया
जायेगा जिसमें सामाजिक संगठनों की भी भागीदारी होगी।
भारतीय संविधान
के प्रावधानों के अनुरूप भूमि संबंधी विवादों के न्याय संगत और त्वरित निपटारे हेतु
‘ भूमि न्यायाधिकरण’ तथा ‘ त्वरित न्यायालयों’ की स्थापना की जायेगी।
प्रांतीय
स्तर पर राज्य प्रशासन अकादमी में भूमि सुधारों पर विषेश प्रकोष्ठो स्थापित किया जायेगा
ताकि प्रशासनिक अधिकारियों को भूमि सुधार के मुद्दे पर और अधिक संवेदनशील बनाया जा
सके।
भूमि अधिग्रहण
की दशा में ग्रामसभा के अभिमत को अंतिम और मान्य किया जायेगा।
बटाईदारी
की परिस्थितियों में बटाईदार के अधिकारों की रक्षा के लिए वैधानिक प्रावधान सुनिश्चित
किये जायेंगे।
भूमि हदबंदी
कानून के वर्तमान स्वरूप में परिवर्तन करते हुए भूमि हदबंदी की सीमा का पुर्ननिर्धारण
किया जायेगा। सिंचित क्षेत्र में हदबंदी की सीमा 5.10 एकड़ तथा असिंचित क्षेत्र में
10.15 एकड़ सुनिश्चित किया जायेगा। विभिन्न शैक्षणिक तथा धार्मिक ट्रस्टों के लिए जारी
हदबंदी की छूट को समाप्त करते हुए इसका पुर्ननिर्धारण किया जायेगा। बेनामी हस्तांतरण
रोकने की दिषा में सख्त कानूनों का निर्धारण किया जायेगा।
वनाधिकार
कानून 2006 के संबंध में जारी उपयोग का पुर्ननिर्धारण ‘ अधिकार अभिलेखों’ में दर्ज
परिस्थितियों के आधार पर किया जाकर इसके संरक्षण और प्रबंधन का अधिकार ग्राम सभा की
महिला समिति को दिया जायेगा।
पांचवी अनुसूची
क्षेत्र में भूमि तथा सामुदायिक संसाधनों के स्वामित्व सुनिश्चित करने की दिशा में
‘ पंचायत विस्तार उपलंब अधिनियम (1996) को वैधानिक सर्वोच्चता दी जायेगी।
भूमि संबंधी
सभी दस्तावेजों को ग्राम सभा के माध्यम से पारदर्शी और सार्वजनिक बनाने हेतु विशेष
प्रयास किये जायेगे। कम्प्यूटरीकरण के पूर्व इस सभी दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन, ग्राम
सभा के माध्यम से किया जायेगा। इस प्रक्रिया का अंतिम उद्देश्य ग्राम सभा को भूमि संबंधी
निर्णयों के लिए ‘सक्षम निकाय’ के रूप में स्थापित करना है।
उत्तर -पूर्वी
राज्यों में तथा छठी अनुसूची क्षेत्र में जनता के प्रतिनिधि निकायों को वैधानिक रूप
से सक्षम बनाते हुए निजी तथा सामुदायिक भूमि का निर्धारण और प्रबंधन किया जायेगा।
भूमि सुधार
नीति के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए राजस्व अधिकारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षण
और संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे।
बिहार
के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एडवाजइजरी प्रेषित
केन्द्रीय
ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने दिनांक 20 मार्च
2013 को कृषि भवन,नई दिल्ली से नीतीश कुमार जी को भूमि सुधारों पर एडवाजइजरी प्रेषित किया है। जो 1 अप्रैल 2013 को इश्यु किया गया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि आपको स्मरण होगा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय और एकता परिषद द्वारा संचालित अनेक सिविल सोसाइटी संगठनों ने 11 अक्तूबर,2012
को आगरा में एक करार पर हस्ताक्षर किए थे। मैंने करार की एक प्रति आपको पहले ही भेज दी थी।
आगरा
करार के 6 मासीय लक्ष्मण रेखा पूर्ण होने के महज 22 दिन पहले 20 मार्च
को एडवाइजरी लिखी गयी और 1 अप्रैल
को भेजी गयी। आगरा करार के मुख्य घटक यह था कि ग्रामीण विकास मंत्रालय भूमि सुधारों के विषय पर एकडवाजरी जारी करेगा। प्रथम एडवाइजरी में समुदाय आधारित पराविधिक कार्यक्रम तैयार करके गरीबी को निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के उपायों की सूची दी गई है। दूसरी एडवाइजरी गरीबों के लिए भूमि मुहैया कराने संबंधी विशिष्ट मुद्दे से संबंधित है जिसके लिए आपके राज्य में संकल्प की आवश्यकता होगी।
इन एडवाइजरी का उद्ेश्य शुरू किए जा रहे भूमि सुधारों के लिए मौजूदा उपायों-प्रशासनिक एवं विधायी दोनों को शीघ्र निष्पादित और सुदृढ़ करना है। मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा कि आप कृपया अपने सहयोगियों को निर्देश दें कि इन एडवाजरियों पर कार्यवाही करें। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस बारे में पूरा-पूरा सहयोग करेगा। उन्होंने बिहार राज्य हेतु विशेष परामर्श दिया है कि बिहार राज्य में मौजूदा भूमि सुधार उपायों में सुधार करने तथा इन्हें आगे बढ़ाने के लिए कार्यवाही उपयुक्त होगीः-
5ण्84 लाख गैर-कृषि ग्रामीण आवासहीन भूमि परिवारों में प्रत्येक परिवार को महिला के नाम पर कम से कम 10 डिसमिल
भूमि आवंटित करने की व्यवस्था करना।
भूमि
हदबंदी कानूनों में संशोधन करना तथा विभिन्न श्रेणियों हेतु हदबंदी सीमाओं को कम करना जिनमें धार्मिक स्थापनायें एवं चीनी मिलें भी शामिल की जावें।
बिहार
काश्तकारी जोत (अभिलेख के रखरखाव) अधिनियम
1973 के अनुरूप नामांतरण मैन्युअल तैयार करना तथा एक समयबद्ध सीमा में सभी भू- अधिकार
अभिलेखों (आरओआर)
में नामांतरण करना।
खासमहल
भूमि उपयोग की शर्तों के अनुसार इनकी मौजूदा स्थिति पर पुनः विचार करना तथा महादलित विकास कार्यक्रम के तहत इसे भूमिहीन परिवारों में वास स्थल आवंटन हेतु उपलब्ध करवाना।
राज्य
सरकार द्वारा गैर मजरूआ खास भूमि पर कब्जा हटाने के लिए प्रभावी कार्रवाई की जावें तथा भूमिहीन ग्रामीण लोगों को कृषि योग्य भूमि का वितरण किया जावें।
लगभग
6ण्4 लाख एकड़ ऐसी भूमि पर भूमिहीनों की पहुंच बनाने के लिए समयबद्ध रूप से कार्रवाई करना जिसे सभी पात्र भूमिहीन गरीबों में वितरित किया जाना शेष है।
ऐसे लोगों को भूमि का कब्जा सुनिश्चित करना जिन्हें भू- दान समिति द्वारा प्रमाणपत्र प्राप्त हो गए हैं। यह सुनिश्चित करना कि भूमि का स्वामित्व परिवार की वयस्क महिला सदस्य के नाम हो।
11000
एकड़ भूमि के भू- प्रयोग का आकलन किया जावें जो कालान्तर में विभिन्न संस्थाओं को आवंटित की गई है। यदि इस भूमि का उपयोग ‘ सार्वजनिक प्रयोजन’ हेतु नहीं किया जा रहा हो, इसे वापस लेकर भूमिहीन गरीबों को वंटित कर दिया जाए तथा निर्धन महिलाओं को इसमें प्राथमिकता दी जाए।
उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, छत्तीसगढ़
के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, हरियाणा
के मुख्यमंत्री भूपिन्दर सिंह हुड्डा, झारखंड
के राज्यपाल डा. सैयद
अहमद, मध्यप्रदेश
के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को भी अलग से भेजा गया है।
तब
राजनेताओं और सुदूर ग्रामीणांचलों
से आये लोगों का समागम स्थ्ल बन जाएगा-
महात्मा गांधी के कर्मभूमि, लोकनायक के क्रांतिभूमि,विनोबा भावे के भूदानभूमि, बुद्ध की ज्ञानभूमि बिहार में भू अधिकार आंदोलन के सिलसिले में पटना युर्वातुर्क नेता सुब्बा राव, आचार्य विनोबा के साथ कार्य करने वाले बाल विजय , सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश, जल पुरूष राजेन्द्र सिंह आदि आएंगे। वहीं सुदूर ग्रामीण अंचलों से आये लोगों से संपर्क होगा।