16 माह से मानदेय से महरूम आंगनबाड़ी केन्द्रों की कर्मी
‘एक तो करैला तीत, दूजे चढ़े नीम’ पर कहावत चरितार्थ

उल्लेखनीय है कि आंगनबाड़ी केन्द्र में गांवघर के 40 बच्चों को केन्द्र में बैठाकर खेल-खेल में पढ़ाया जाता है। इसके बाद बच्चों को पोष्टिक आहार दिया जाता है। गांवघर के बच्चों को आहार उपलब्ध करवाने वाली सेविका और सहायिका के घरों में आहार की तंगी है। इनको स्थानीय बनिया उधार देना बंद कर दिये हैं। वहीं मजबूरी के कारण अपने बच्चों को बाहरी दूध देना बंद कर दिया गया है।
बताते चले कि आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका को 3 और सहायिका को डेढ़ हजार रूपए मानदेय दिया जाता है। जो दोनों को यह राशि मान देने में असमर्थ है। केन्द्र में कार्य करने वालों के मानदेय कम मिलता है और तो और ऊपर से मानदेय ही बंद कर दिया गया है। यहां पर ‘एक तो करैला तीत, दूजे चढ़े नीम’ पर कहावत चरितार्थ हो रहा है।
भयभीत आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविकाओं ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि चांदन प्रखंड की सीडीपीओ रतना कुमारी को जबरन छुट्टी में भेजा गया। उसके एवज में चांदन प्रखंड की बीडीओ सरीता कुमारी ने सीडीपीओ का अतिरिक्त प्रभार भी हथिया ली। इसके बाद किसी तरह का कार्य करवाने के एवज में 2 सौ रूपए ऐंठना शुरू कर दी ।
कई बार के पत्रचार करने के बाद फिलवक्त सरकार ने आंगनबाड़ी कर्मियों की राशि 29 मई 2013 को विमुक्त कर दी है। अब बीडीओ कार्यालय के बड़ा बाबू विनय नामक सहायक ने ट्रेजरी खर्च के नाम पर प्रति मानदेयभोगी से 1 हजार रूपए वसूलने का धंधा प्रसार दिया। सरकारी दफ्तर में काम के बदले दाम बटोरने का चलन तेज है। वहीं बकायी रकम को निकालने में अधिक राशि की मांग की जाती है। अबतक बिहार में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की आंधी कार्यालय में व्याप्त भष्टाचार को रोकने में नाकामयाब है। आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों को वजन करने की मशीन नहीं है। दो सौ रूपए की मांग की जाती है।
बताया गया कि जो आवंटित राशि है वह अधिकारियों के व्यक्तिगत खाता में हस्तान्तरण कर दिया जाता है। उसके बाद आंगनबाड़ी कर्मियों के खाते में जाता है। इस तरह जबतक वरीय प्रशासिनिक अधिकारी हस्तक्षेप नहीं करेंगे तबतक आंगनबाड़ी कर्मियों के घर में अंधेरा छाया रहेगा।