Saturday, 15 June 2013

हाल कबीर अत्येष्टि योजना की


समाज कल्याण विभाग खाता खोलने में देरी



गया। सुशासन के राज में कुशासन चल रहा है। सूबे में ऐसा कोई जिला नहीं है, जो अपने सभी पंचायतों में कबीर अत्येष्टि योजना की राशि ग्रहण करने के लिए खाते खुलवा लिये हैं। अभी तक कुल 8 हजार 442 पंचायतों में महज 150 पंचायतों में ही खाते खुले है। जिन जगहों में खाता खुलवाने की रफ्तार तेज है, वे है पश्चिम चम्पारण, नालंदा, जहानाबाद, बक्सर, भागलपुर, दरभंगा,गया और गोपालगंज है। इसके अलावे कटिहार, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, शेखपुरा, शिवहर, सीतामढ़ी,सुपौल और वैशाली जिले में काफी कम खाते खुले है।

बहरहाल, सबसे बुरा हाल पटना, भोजपुर, अरवल, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद, समस्तीपुर, नवादा, जमुई, बांका, भागलपुर, अररिया, सहरसा, मधेपुरा, बेगूसराय, खगड़िया, मधुबनी, पूर्णिया, पूर्वी चम्पारण आदि जिलों में एक भी खाता नहीं खुला है। इससे साबित होता है कि यहां के नौकरशाह गरीबों के प्रति कितना संवेनशील और हितैशी हैं। समाज कल्याण विभाग की मंत्री परवीन अमानुल्लाह के आदेश को खटाई में डालने से डरते नहीं हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कबीर  अत्येष्टि योजना के तहत 46 करोड़ रूपए आवंटित किए गए है। कबीर अत्येष्टि योजना के तहत बी.पी.एल. परिवार में किसी की मौत होने पर मुखिया के माध्यम से 1500 रूपए देने का प्रावधान है। एक पंचायत में अधिकतम 15 परिवार को अनुदान देने का प्रावधान है। इस योजना के तहत मुखिया और पंचायत सेवक के नाम से संयुक्त खाता खुलवाया जाता है। इस खाते में हमेंशा साढ़े 10 हजार रूपए रहते है।

बताते चले कि इस योजना के तहत राशि नहीं मिलने के कारण महादलित मुसहर समुदाय के लोग हिन्दु धर्म स्वीकार के बावजूद भी शव को दफना देते हैं। 


Alok Kumar