Tuesday, 18 June 2013

अब महादलित न्याय पाने के लिए किधर और किसके पास जाए?

आवासीय भूमिहीनों को तीन डिसमिल जमीन वितरण करने में विलम्ब होने पर आक्रोश

बाराचट्टी। सूबे की सरकार के द्वारा नौकरशाहों को आदेश दिया जाता है कि गांवघर में जाकर आवासीय भूमिहीनों का सर्वे करें और जल्द से जल्द सभी को भूमि उपलब्ध कराएं। ऐसा नहीं होने पर स्वयं महादलित आवेदन लिखकर नौकरशाहों को सुपुर्द कर रहे हैं। उन नीति निर्धारकों के पास आवेदन देने के  बाद भी आवासीय भूमिहीनों को जमीन दी जाए। अब केवल यहीं सवाल उत्पन्न हो रहा है कि अब महादलित न्याय पाने के लिए किधर और किसके पास जाए?

 गया जिले के बाराचट्टी प्रखंड के वी बी पेसरा ग्राम पंचायत के करमा गांव में रहने वाले महादलित मुसहर समुदाय के 38 लोगों ने 22 फरवरी,2013 को अंचलाधिकारी महोदय को आवेदन दिया था। आवेदन देने वालों में रामवृक्ष मांझी, तुलसी मांझी, अनिल मांझी आदि हैं। इन लोगों ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि हम लोगों के पास कुछ भी जमीन नहीं है। हम लोग सभी व्यक्ति भूमिहीन हैं। हम लोग मजदूरी करके अपने बाल-बच्चों को भरण-पोषन करते हैं। हम लोगों के पास जीविका का किसी तरह का संसाधन भी नहीं है।

 इसी बाराचट्टी प्रखंड के  बजरकर ग्राम पंचायत के मनन विगहा गांव के 38 महादलित मुसहर समुदाय के लोगों ने भी अंचलाधिकारी महोदय को 22 फरवरी,2013 को आवेदन दिया। महेश्वरी देवी, सावित्री देवी, कारी देवी, दशरथ मांझी आदि ने कहा कि आवेदन के बाद भी किसी तरह की सुनवाई नहीं हो पा रही है। राजस्व भूमि सुधार मंत्री रमई राम से आग्रह किये हैं कि जल्द से जल्द भूमि उपलब्ध करायी जाए।