Saturday, 6 July 2013

पुलिस ने बदमाशों को 30 दिनों के बाद भी नहीं कर सकी गिरफ्तार

                  

                   6 जून को बलात्कार,7 जून को बोधगया थाने में बैठाया ,8 जून को एफआईआर दर्ज किया और
                                                    9 जून को मेडिकल जांच की गयी
  बोधगया। मां की साया से बिछुड़ने का मतलब बलात्कार हो जाना है। आप इससे असहमत हो सकते हैं। परन्तु यह हकीकत है। दो मनचलों की शिकार 13 वर्षीय कुन्ती कुमारी (काल्पनिक नाम) हो गयी हैं। इनके साथ टेम्पू पर बैठाकर घर सुरक्षित पहुंचाने के जिम्मेवार टेम्पू चालक और उसके एक मित्र ने सामूहिक बलात्कार कर दिया। जब पीड़िता और उसके मां-बाप ने मगध विश्वविघालय थाना में जाकर आपबीती को दर्ज करवाना चाहे तो उनको थानाध्यक्ष ने थाना क्षेत्र के सीमांकन के बाहर का मामला बताकर बोधगया थाना जाने का फरमान जारी कर दिया। तब जाकर 6 जून को बलात्कार से तार-तार होने वाली कुन्ती कुमारी 7 जून को बोधगया थाना गयी। थाना में 8 जून को एफआईआर दर्ज किया गया और 9 जून को मेडिकल जांच की गयी।
  इससे साफ जाहिर होता है कि बिहार पुलिस ने अभी तक दिल्ली में घटित बलात्कार कांड से सबक नहीं ले पायी है। मगध विश्वविघालय थाना की पुलिस के द्वारा पीड़िता को न्याय दिलवाने के बदले थाना क्षेत्र के सीमांकन की बात उठायी जाती है। इसके बाद बोधगया थाना में भी पीड़िता के साथ उपहास उड़ाया जाता है। इस थाना की पुलिस ने पीड़िता से कहा कि चलो तुम्हारी शादी बलात्कार करने वालों के संग करवा दे रहे हैं। बोधगया थाने में 7 जून को तीन बजे आने के 24 घंटे के बाद 8 जून को एफआईआर दर्ज किया गया। इसके बाद 9 जून को मेडिकल जांच करवायी गयी। यह जांच का विषय बन जाता है। बलात्कार कांड के मामले में होने वाले विलम्ब के जिम्मेवारी खाकी वर्दीधारी को निलम्बित करने की आवश्यकता है। ताकि चुस्त-दुरूस्त से कार्य कर सके।
बताते चले कि कृष्ण मांझी नामक मजदूर ग्राम-गंगहर, पो0 कोषिला, थाना- मगध विश्वविघालय,बोधगया, जिला- गया के  निवासी हैं। इनकी पत्नी और बेटी 6.6.2013 बोधगया मंदिर के पीछे न्यू तारीडीह में अपने रिश्तेदारों से मिलकर बोधगया बाजार में आये थे। सोचे कि घर के साग-सब्जी के अलावे नमक और मशाला भी खरीद लिया जाए। खरीददारी के क्रम में कृष्ण मांझी की बेटी कुन्ती कुमारी आगे बढ़ गयीं। खुदा की मर्जी के अनुसार उसी समय तेज हवा चलने लगी और तो और हल्की बुंदाबांदी भी होने लगी। आगे निकलने और हल्की बारिश होने के चलते मां-बेटी जुदा हो गयी। मां के दामन से अकेली होने पर कुन्ती कुमारी को कुछ समझ में नहीं था। जाएं तो जाएं कहां और करूं तो क्या करूं? इसी उधेड़बुन में कुन्ती कुमारी चलकर मौसा मोड़ तक चली गयी। मौसा मोड़ के पास जाकर अपनी माता की तलाश करने लगीं। परन्तु,उसकी मां कहीं नजर नहीं आयीं।
  समय निकलते चला गया। शाम के करीब 5.45 बज चुका। राहत देने वाली बात थी कि वहां पर एक टेम्पू दिखायी दिया। टेम्पू में कुछ लोग बैठे थे। उसी टेम्पू में जाकर कुन्ती कुमारी बैठ जाती है। उसके बाद टेम्पू चालक ने टेम्पू चालू कर आगे बढ़ने लगा। कुछ समय के बाद आगे चलकर मोचारिम गांव गया। वहां पर कुछ लोग उतर गये। इसके कुछ ही दूरी तय करने शिवराजपुर नामक गांव के लोग उतर गये। मोचारिम और शिवराजपुर गांव के सवारी उतर जाने के कारण कुन्ती कुमारी खजवंती जाने के लिए अकेली बच गयी। टेम्पू में अकेले रहने के कारण कुन्ती कुमारी डरने और सहमने लगी। एक ही उपाय सुझा कि टेम्पू चालक को भइया बना लिया जाए। कुन्ती कुमारी बोली कि भइया जल्दी से घर पहुंचा दीजिए।
 कुन्ती कुमारी के अकेलापन का फायदा उठाने के लिए टेम्पू चालक ने कहा कि मोचारिम गांव में जाकर दो सवारी को लाना है। इतना कहकर टेम्पू चालक ने गाड़ी पीछे घुमा लिया। इतना नाटक करने के बाद मोचारिम गांव पहुंचते-पहुंचते बहुत अंधेरा हो गया। टेम्पू में टेम्पू चालक और उसके एक साथी बैठे थे। जैसे ही टेम्पू मोचारिम भूई टोली के पास आया तो चालक ने ब्रेक लगाकर टेम्पू को रोक दिया। टेम्पू को रोकने के बाद कुन्ती कुमारी से स्नेह बनाने के लिए  नाम पूछने लगा। कुन्ती कुमारी ने डरते हुए अपना नाम बता दी। तब तपाक से टेम्पू चालक ने कहा कि तुम मुझसे शादी करोगी ? इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया गया। तब कुन्ती कुमारी ने टेम्पू चालक का नाम पूछ डाला। वह अपना नाम बालाजी बताया तथा उसका साथी का नाम पूछने पर पप्पू कुमार बताया।
  मानुष दिखने वाले दोनों अमानुष हो गये। दोनों ने कुन्ती कुमारी को पकड़कर मुंह में ओढ़नी ढूस कर फल्गू नदी के किनारे ले गया। इसके बाद कुन्ती कुमारी रोने लगी तो मनचले कहने लगे कि हल्ला-गुल्ला करोगी तो जान से मार देंगे। बालाजी और पप्पू कुमार ने नदी के किनारे बालू में ले जाकर कुन्ती कुमारी के साथ बलात्कार किये। रात भर नदी के किनारे कई बार बलात्कार किये और नदी के किनारे ही रखे। बलात्कार करके एक सुस्त पड़ता था, तो दूसरे को कहता कि जल्द से जल्द दारू ले आवों। एक ने दारू लाया और दोनों दारू पीने के बाद भी सामूहिक बलात्कार कर अपना मुंह काला किया। कुन्ती कुमारी के साथ रात भर बालाजी और पप्पू कुमार कुकर्म करते रहे। इनके कुकर्मों का परिणाम कुन्ती कुमारी पर पड़ने लगा। जब वह बेहोश हो गयी। जब कुन्ती कुमारी बेहोश हो गयी तो दोनों भाग खड़े हो गये।
 बेहोश होने वाली कुन्ती कुमारी होश होने के बाद सुबह में शिवराजपुर गांव जा सकी। इधर कुन्ती कुमारी की मां-बाप का बुरा हाल हो गया और बेटी की तलाश करते-करते मोचारिम गांव जा पहुंचे। इस गांव में किसी तरह की जानकारी नहीं मिलने पर खोज अभियान जारी करते हुए मां-बाप शिवराजपुर गांव जा पहुंचे। मां-बाप को देकर कुन्ती कुमारी जोरजोर से रोने लगी और अपनी आपबीती मां-बाप को सुना दिये।
  मां-बाप ने पीड़िता को न्याय दिलवाने के लिए तुरंत मगध विश्वविघालय थाना गये। थाने में तैनात दारोगा को बलात्कार संबंधी षिकायत दर्ज करने को कहा गया। तत्क्षण दारोगा साहब बोले कि यह घटना मेरे कार्य क्षेत्र का नहीं है। आप लोग बोधगया  थाना में चले जाएं। यहां से निराश होने के बाद जब मां-बाप-बेटी करीब तीन बजे बोधगया थाना पहुंचे। थाने में तैनात पुलिस ने मौके वरदात पर जाकर विस्तृत छानबीन किये। परन्तु केस दर्ज नहीं करना चाह रहे रहे थे। न्याय दिलवाने के बदले दलाली करने लगे और बोले कि तुमको (कुन्ती कुमारी ) उससे (बलात्कार करने वाले से ) शादी करवा देंगे।
 इसके बाद बोधगया थाने में कुन्ती कुमारी को 7.6.13 को 3 बजे से लेकर 8.6.13 तक 3 बजे तक बैठाया। परन्तु थाने के द्वारा किसी तरह की कार्रवाई नहीं किये। काफी दबाव के बाद तब जाकर 8.6.13 को 7.30 बजे बोधगया में एफआईआर दर्ज किया गया। बोधगया थाना के थानाध्यक्ष पवन कुमार ने पु0 0नि0 के0के0 षर्मा को अनुसंधान पदाधिकारी नियुक्त किया है। 9 जून,2013 को अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कुंती कुमारी की जांच की गयी। अभी तक पीड़िता को रिपोर्ट अप्राप्त है। उसी तरह अनुसंधान पदाधिकारी के.के.शर्मा ने 30  दिनों के बाद भी नामजद अपराधियों को गिरफ्तार करने में अक्षम साबित हो रहे हैं।
Alok Kumar