पीडीएस की दुकानों में खराब गेहूं आपूर्ति करने वालों पर कार्रवाई नहीं
विभागीय मंत्री भी गोदाम बनाने की घोषणा को पूरा नहीं कर सके
राजद में रहकर राम और श्याम की भूमिका में रहकर वाहवाही लूटने एवं निकट भविष्य में मंत्री बनने का ख्याब पूरा नहीं होते देख राजद के नेता शयाम रजक लालू-राबड़ी के दामन से निलककर जदयू के दामन में चले गये। यहां पर श्याम रजक को खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बनाये गये। मंत्री बनकर बयानबाजी करने से बाज नहीं आये। अनाज को रखने के लिए गौदाम बना देंगे। जो अधूरा ही रह गया।
खैर, मंत्री जी के विभाग में भ्रष्टाचारियों की चांदी है। इस संदर्भ में श्रीकांत लाभ, प्रदेश महामंत्री, फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन का कहना है कि हरेक साल लगभग 800
करोड़ रूपए अधिकारी घूस लेते हैं। प्रति पीडीएस प्रति माह एमओ पांच सौ से एक हजार तक घूस लेते हैं। एसएफसी के गोदाम से पीडीएस दुकानदारों को प्रति क्विंटल में पांच से छह किलो अनाज कम दिया जाता है। प्रति क्विंटल 20 रूपए अतिरिक्त राशि घूस लेते हैं। सही माप के कई मामलों में गलत आरोप में पीडीएस दुकानदारों को दंडित किया जाता है।
राज्य में
43,415 पीडीएस दुकाने हैं। पीडीएस दुकानदारों को प्रति लीटर किरासन पर एक रूपए कमीशन मिलता है, जबकि अनाज वितरण पर लगभग 100
रूपए प्रति क्विंटल । सही तरीके से पीडीएस के संचालन कर दुकानदार को प्रति माह पांच से दस हजार रूपए की कमाई होती है। एक पीडीएस से 500
से
1000 परिवार संबंद्ध होते हैं। प्रति वार्ड या पंचायत चार से दस पीडीएस होते हैं। प्रति पंचायत लगभग चार से सात पीडीएस होत हैं। प्रत्येक पांच वर्ष पर पीडीएस का लाइसेंस रिन्युअल कराने का प्रावधान है। पीडीएस का लाइसेंस रद्द होने पर पास के पीडीएस दुकान से उपभोक्ताओं को जोड़ दिया जाता है, जब तक नये दुकानदारों का चयन नहीं जाये।
अनुसूचित जाति
7231, अनुसूचित जनजाति
327, पिछड़ी जाति
12920, अत्यंत पिछड़ी जाति
2942, अल्पसंख्यक
3354, पैक्स
4849 , सहायता समूह(महिला)
213, विकलांग 138
और सामान्य
11461 वर्ग को पीडीएस प्राप्त है। 863
पीडीएस दुकानों का लाइसेंस रद्द किया गया है। 249
दुकानदारों पर प्राथमिकी और 149
की गिरफ्तारी भी हुई है। पीडीएस में गड़बड़ी व भ्रष्टाचार दुकानदार के स्तर पर हो या अधिकारी स्तर पर। दोनों की स्थितियों में गरीब उपभोक्ता ही पिसते हैं। पीडीएस से निर्धारित मात्रा से कम राशन व किरासन मिलने की शिकायत आम है। राशन-किरासन का वितरण नहीं कर सीधे कालाबाजारी कर दी जाती है। इस तरह की शिकायते एसडीओ से लेकर डीएम व मंत्री तक की जाती है। आरोप की जांच के बाद कार्रवाई होती है। जांच के नाम पर भी भ्रष्टाचार होता है।
पीडीएस में गड़बड़ी के मामले में ही दो दर्जन आपूर्ति निरीक्षक निलंबित किये गये। 50 अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की गई। इसमें बिहार प्रशासनिक सेवा के भी दो अधिकारी शामिल है। दुकानदारों से अधिकारी सालाना 800
करोड़ घूस लेते हैं। अधिकारी प्रति पीडीएस एक रूपए घूस तय कर देते हैं।
पैक्स के सहयोग से प्रगति ग्रामीण विकास समिति के कार्यक्षेत्र अररिया, कटिहार, जहानाबाद, बांका, गया, भोजपुर, दरभंगा आदि जिलों में भ्रमण करने के बाद मंजू डुंगडुंग ने ग्रामीण उपभोक्ताओं संर्पक करने के बाद बताया कि उपभोक्ताओं को कम राशन-किरासन दिया जाता है। उनसे कूपन लेकर भी निर्धारित राशन व किरासन नहीं दिया जाता है। उपभोक्ताओं को खराब क्वालिटी का अनाज दिया जाता है। उनसे निर्धारित कीमत से अधिक मूल्य लिया जाता है। एक माह देकर दूसरे माह का अनाज गोल कर दिया जाता है। इस राशन-किरासन को उठाकर कालाबाजारी कर दिया जाता है।
बीपीएल परिवारों को राशन-किरासन मिलता है। हरा कार्डधारी एपीएल परिवारों को प्रति माह किरासन मिलता है। ग्रामीण परिवारों को प्रति माह पौने तीन लीटर किरासन और शहरी परिवारों को प्रति माह सवा दो लीटर किरासन मिलता है। लाल कार्डधारी बीपीएल परिवार को 6.78 रूपए प्रति किलो की दर से 15 किलो चावल, 5.22 रूपए प्रति किलो की दर से 10 किलो गेहूं मिलता है। पीला कार्डधारी अंत्योदय परिवार को तीन रूपए प्रति किलो की दर से 21 किलो चावल, दो रूपए प्रति किलो की दर से 14 किलो गेहूं मिलता है। उजला कार्डधारी अन्नपूर्णा योजना के तहत अनाथ वृद्ध को छह किलो गेहूं व चार किलो चावल मुफ्त मिलता है।
1,36,341 वृद्धों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।