जल,जंगल और
जमीन की जंग
में मिशनरी शामिल
सामाजिक
सरोकार रखने वाले
मुद्दों को लेकर
मिशनरी हम साथ-साथ का
नारा लगाकर जन
संगठनों में शामिल
हो जाते हैं।
जन संगठनों में
शामिल होने का
मतलब कदापि नहीं
है कि मिशनरी
अपना अस्तित्व ही
खो दें। मजे
से अपना मूल
स्वरूप बरकरार रखकर प्रभावशाली
कार्य परिणाम देने
में सक्षम होते
हैं। इन दिनों
जल,जंगल और
जमीन की जंग
में फादर निकोलस
बारला नामक मिशनरी
शामिल हो गये
हैं। जमीन से
जुड़े फादर जन
संगठन एकता परिषद
में बहुत पकड़
मजबूत कर लिये
हैं। फादर के
बुलावे पर हजारों
की संख्या में
छतीसगढ़ के अनुसूचित
जनजाति सहित अन्य
वंचित समुदाय के
लोग जन सत्याग्रह
2012 पदयात्रा सत्याग्रह में शामिल
हुए।
जन
संवाद यात्रा में
सक्रिय भूमिका-
कन्या
कुमारी से प्रसिद्ध
गांधीवादी पी0व्ही0राजगोपाल ने जन
संवाद यात्रा शुरू
की थी। जब
राजगोपाल उर्फ राजाजी
छतीसगढ़ गये थे
तो फादर निकोलस
के कुशल नेतृत्व
में हजारों की
संख्या में सुदूर
गांव से निकलकर
जलसा में शामिल
हुए। इन लोगों
ने राजाजी को
भरोसा दिया कि
राजा जी ‘मत
घबराना तेरे पीछे
नया जमाना’।
जो सत्य साबित
हुआ।
जन
सत्याग्रह 2012 पदयात्रा-
फादर
निकोलस बारला के नेतृत्व
में हजारों की
संख्या में सत्याग्रही
मध्यप्रदेश में पहुंचे।
ग्वालियर से एक
पहर खाना खाकर
सड़क पर निकले।
सड़क पर चलना
शुरू हो गया।
सभी तरह के
कार्य राष्ट्रीय उच्च
पथ पर करने
लगे। 2 अक्तूबर,2012 से शुरू
होने के बाद
11 अक्तूबर,2012 को मोहब्बत
की नगरी आगरा
में पहुंचे।
सत्याग्रहियों
के सामने सरकार
झुक गयी-
जब
केन्द्र सरकार सत्याग्रहियों के
सामने झुक गया
आसमान की तरह
झुक गयी। मोहब्बत
की नगरी आगरा
11 अक्तूबर,2012 के दिन
जन संगठन एकता
परिषद और केन्द्र
सरकार की बीच
द्विपक्षीय समझौता हो गयी।
जन संगठन की
ओर से महानायक
पी.व्ही.राजगोपाल
और केन्द्र सरकार
की ओर से
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री
जयराम रमेश ने
हस्ताक्षर किये। इस अवसर
पर बिहार विधान
सभा के अध्यक्ष
उदय नारायण चौधरी,
पी.व्ही.राजगोपाल,
जयराम रमेश,
राजबब्बर, मृत्युजंय संजय,संतोष
भारतीय आदि उपस्थित
थे।
केन्द्रीय
ग्रामीण विकास मंत्री की
घोषणा-
मौके
पर केन्द्रीय ग्रामीण
विकास मंत्री जयराम
रमेश ने इन्दिरा
आवास योजना की
राशि में इजाफा
करने की घोषणा
कर दी। नक्सल
प्रभावित क्षेत्र में 75 हजार
और गैर नक्सल
प्रभावित क्षेत्र में 70 हजार
रूपए देने का
एलान किया गया।
इसके साथ-साथ
मंत्री जी के
द्वारा भूमि सुधार
संबंधी एडवाइजरी जारी किया
गया है। जो
राज्य के सभी
मुख्यमंत्री को प्रेषित
कर दिया गया
है। इसमें घर
का अधिकार कानून
बनाकर लागू करना
शामिल है। आवासीय
भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन
देने संबंधी कार्य
को धरती पर
उतारना है। केन्द्र
सरकार ने राज्य
के मुख्यमंत्रियों के
पाले में गेंद
उछाल दिया गया
है। अब जन
संगठनों के द्वारा
गेंद को गोल
में तब्दील करके
परिणाम देने के
प्रयास में जुट
गये हैं। अभी
अभी-अभी मंत्री
ने पटना में
एलान किये हैं
कि अब केवल
बीपीएल श्रेणी वालों को
ही नहीं बल्कि
एपीएल श्रेणी वालों
को भी इन्दिरा
आवास योजना के
तहत मकान निर्माण
होगा।
‘आगे
जमीन पीछे वोट,
नहीं जमीन नहीं
वोट’-
अब
जन संगठन के
सदस्य जोरदार नारा
बुलंद करने लगे
हैं। ‘ आगे जमीन
पीछे वोट, नहीं
जमीन नहीं वोट’। इसको
लेकर राज्य के
राजधानी में सत्याग्रह
शुरू हो गया
है। इस संदर्भ
में गांधीवादी चिंतक
पी.व्ही.राजगोपाल
ने कहा कि
हम लोग गांधी,विनोबा,जयप्रकाश,अम्बेडकर
जी के बताये
गये मार्ग पर
चलकर सत्याग्रह किये
हैं। इसका सार्थक
परिणाम सामने आ गया
है। केन्द्रीय ग्रामीण
विकास मंत्री जयराम
रमेश ने राज्य
के मुख्यमंत्रियों के
नाम से एडवाइजरी
जारी कर दिया
है। राज्य के
कुछ मुख्यमंत्री कार्यारम्भ
कर दिये हैं।
केन्द्र सरकार के द्वारा
संपूर्ण मामले को मुख्यमंत्री
के समक्ष अग्रसारित
कर दिया है।
इसी के आलोक
में राज्य के
राजधानी में सत्याग्रह
किया जा रहा
है। सभी लोग
गांव की ओर
मुखातिर हो गये
हैं। लोगों को
समझा बुझा रहे
हैं। जन संगठन
को मजबूत कर
रहे हैं। आगामी
वर्ष में होने
वाले आम चुनाव
के समय ‘ आगे
जमीन पीछे वोट,नहीं जमीन
नहीं वोट’ का
मर्म समझा रहे
हैं। चुनाव के
समय गांवघर में
आने वाले राजनीतिक
दल के समक्ष
नारा उछालकर कहेंगे
कि चुनावी घोषणा
पत्र में भूमि
सुधार के साथ
आवासीय भूमिहीनों को जमीन
देने में शामिल
करवाएंगे। जो आश्वासन
देंगे उनको ही
वोट देने पर
‘ पब्लिक व्हीप’ जारी किया
जा सकता है।
समाज
के किनारे रहने
वाले मुसहर समुदाय
को अधिक फायदा-
जनसंख्या
के हिसाब से
मुसहर जाति बिहार
में अनुसूचित जाति
में तीसरी बड़ी
जाति मानी जाती
है। 2001 की जनगणना
के अनुसार इस
जाति की आबादी
21 लाख 12 हजार 134 है। जबकि
अनुसूचित जातियों की आबादी
1 करोड़ 30 लाख से
अधिक है। यह
संख्या पूरी आबादी
की 15.7 प्रतिशत
है। बावजूद इसके
इस जाति की
उपेक्षा हो रही
है। शैक्षणिक , आर्थिक
और सामाजिक रूप
से पिछड़ी इस
जाति के विकास
पर ध्यान नहीं
है। दुर्भाग्य से
बिहार में राज्य
सरकार के द्वारा
बिहार प्रिविलेज्ड होमस्टिड
टिनेंसी एक्ट, 1947 बनाया गया
है। निर्मित अधिनियम
के मुताबिक़,
आवासीय भूमिहीनों को 12.5
डिसमिल ज़मीन देनी
है। इस अधिनियम
में कई बार
संशोधन किया गया।
कालातंर में इसमें
2. 5 डिसमिल ज़मीन
घटाकर 10 डिसमिल ज़मीन कर
दी गई। इसके
बाद मनमौजी राज्य
सरकार ने एकाएक
6 डिसमिल ज़मीन घटाकर
आवासीय भूमिहीनों को 4 डिसमिल
ज़मीन देने लगी।
सरकार ने आवासीय
भूमिहीनों को दी
जाने वाली ज़मीन
की हिस्सेदारी में
1 डिसमिल ज़मीन कटौती
कर 3 डिसमिल ज़मीन
कर दी। अभी
आवासीय भूमिहीनों को 3 डिसमिल
ज़मीन दी जा
रही है। अब
तो मौजूदा सरकार
3 डिसमिल ज़मीन देने
में कटौती करने
जा रही है।
इसके बदले में
20 हजार रूपए दिया
जा रहा है।
इतनी कम राशि
में आवासीय जमीन
मिलना नामुमकिन है।
गरीबों
के नाम जमीन
देने पर जदयू
सरकार खुश-
राज्य
सरकार ने गरीब
भूमिहीनों को जमीन
देने के मामले
में नया रिकार्ड
बनाया है। इस
आशय की जानकारी
राजस्व एवं भूमि
सुधार मंत्री रमई
राम ने सूचना
भवन स्थित संवाद
कक्ष में आयोजित
संवाददाता सम्मेलन में दी।
उन्होंने बताया कि गैर
मजरूआ मालिक/खास
भूमि की बंदोबस्ती
से 65893 परिवारों को लाभान्वित
कराने के लक्ष्य
के विरूद्ध 66973 परिवारों
को कुल 2261.65 एकड़
रकबे की जमीन
उपलब्ध कराकर 101.64 प्रतिशत लक्ष्य हासिल
करना एक बेहतर
उपलब्धि है।
इसी
तरह राज्य सरकार
ने गैर मजरूआ
आम भूमि की
बंदोबस्ती से 35759 परिवारों को
वासभूमि देने के
लक्ष्य के विरूद्ध
32108 परिवारों को कुल
816.16 एकड़ रकबा जमीन
उपलब्ध कराकर 89.79 प्रतिशत उपलब्धि,बी0पी0एच0टी0
एक्ट के तहत
लक्षित 42594 परिवारों के विरूद्ध
45490 परिवारों को 1336.98 एकड़ रकबे
की भूमि उपलब्ध
कराकर 106.80 प्रतिशत उपलब्धि, रैयती
भूमि के क्रय
से लक्षित 54500 परिवारों
को जमीन उपलब्ध
कराने के विरूद्ध
36427 परिवारों को 1085.23 एकड़ रकबे
की भूमि उपलब्धता
से 66.84 प्रतिशत उपलब्धि तथा
महादलित परिवारों के लिए
लक्षित 198746 परिवारों के विरूद्ध
5500.02 एकड़ भूमि कुल
180998 परिवारों को उपलब्ध
कराकर 91.07 प्रतिशत उपलब्धि हासिल
की।
आलोक कुमार