Tuesday, 9 July 2013

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निर्गत कार्ड से लाभ उठाने के तरीका को सुझाया

राष्ट्रीय  स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निर्गत कार्ड से लाभ उठाने के तरीका को सुझाया

मगध प्रमंडल के गया,जहानाबाद,अरवल में सुश्री जोहानी के द्वारा जन जागारण पैदा किया जा रहा है

संदेश। केन्द्र सरकार ने बीपीएल श्रेणी के कार्डधारियों को यह व्यवस्था कर दी है कि मात्रः तीस रूपए लगाकर 5 व्यक्तियों को तीस हजार रूपए तक की स्वास्थ्य सुविधाओं से लाभ उठाया जा सकता है। यह गौरतलब है कि प्रत्येक साल राष्ट्रीय  स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निर्गत स्मार्ट कार्ड का नवीनीकरण करवाना अनिवार्य है। एटीएम की तरह स्मार्ट कार्ड की सुविधा ली जा सकती है।

 हां, भारत में डीएफआईडी के सहयोग से निर्धनतम क्षेत्र नागरिक समाज संचालित है। इसके बाद निर्धनतम क्षेत्र नागरिक समाज के द्वारा बिहार में चुनिंदा गैर सरकारी संस्थाओं का चयन किया गया है। उनके द्वारा इन संस्थाओं को सहयोग दिया जा रहा है। इसमें प्रगति ग्रामीण विकास समिति है। इनके कार्य क्षेत्र भोजपुर जिले के संदेश प्रखंड में दो दि वसीय कैडर प्रशिक्षण शिविर आयोजित की गयी। इसमें चाम्स नामक संस्था के राष्ट्रीय  स्वास्थ्य बीमा योजना , आरएसबीवाई के विशेषज्ञ सुनील कुमार पाण्डेय आये थे। मौके पर राष्ट्रीय  स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निर्गत कार्ड से लाभ उठाने के तरीके को ग्रामीणों के बीच में सुझाया।

 उल्लेखनीय है कि स्मार्ट कार्ड में 5 व्यक्तियों का नाम होता है। मां-बाप और उनके तीन बच्चे होते हैं। यह बीपीएल परिवार के ऊपर है जो किन्ही पांच व्यक्तियों का नामजद कर सके। मां-बाप,दो लड़के और पुत्रवधू भी हो सकते हैं। राष्ट्रीय  स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 24 घंटे तक अस्पताल में भर्ती होना अनिवार्य है। तब जाकर बीमा योजना से लाभ उठाया जा सकता है। फिलवक्त ओपीडी की सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी गयी है।

 अब तो स्मार्ट कार्ड को दो भाग में बांटा भी जा सकता है। इसमें घर के मुखिया 30 हजार रूपए का बंटवारा करने के अधिकारी है। दूसरे कार्ड बनाने के लिए भी तीस रूपए देना अनिवार्य है। दूसरे कार्ड को लेकर अन्य प्रदेशों में जाकर इलाज करवाया जा सकता है।

 इस शिविर में आयी एक महिला ने बताया कि वह पटना शहर के फुलवारीशरीफ में जाकर पत्थरी का ऑपरेशन करवायी थीं। यहां के चिकित्सक ने कहा कि कुछ जांच करवानी पड़ेगी। आप बाहर से जांच करवाकर लाये। अगर ऑपरेशन करना जरूरी होगा तो लागत रूपए को लौटा दिया जाएगा। इस तरह जांच में लगे 17 सौ रूपए ऑपरेशन करने के बाद लौटा दिया गया। पत्थरी का ऑपरेशन करने में कुल 17 हजार रूपए खर्च हुआ।

  जिस रफ्तार से ग्रामीणों को स्मार्ट कार्ड से लाभ मिलना था। वह नहीं मिल पा रहा है। कारण यह है कि सरकार और बीमा एजेंसी के द्वारा युद्धस्तर पर लोगों के बीच में जागरूकता अभियान नहीं चलाया जा रहा है। बीमा एजेंसी की चाहत है कि अधिकाधिक स्मार्ट कार्ड बनाकर चादर तानकर सो जाएं ताकि बीमा की राशि नहीं देने पडे़। वहीं सरकार चाहती है कि इससे लोग अधिकाधिक लाभ उठा सके। बहरहाल, सरकार और बीमा एजेंसी के बीच में एनजीओ पड़ गया है। अपने औकात के अनुसार लोगों के बीच में जागरूकता अभियान चला रहे हैं। मगध प्रमंडल के गया,जहानाबाद,अरवल में सुश्री जोहानी और पटना प्रमंडल के भोजपुर में सुनील कुमार पाण्डेय जन जागरण पैदा करने एवं जनता और चिकित्सक के बीच में सेतु की तरह कार्यशील हैं।

Alok Kumar