1029 1315 1120 0557 2 संख्या
की
स्मार्ट
कार्ड
इश्यु
17 दिसंबर,2012
को
किया
गया
8 दिन का इलाज
करवाने
की
कीमत
12 हजार
रूपए
ऐंठा
भोजपुर।
आज भी जावद
पासवान नामक अपंग
व्यक्ति घर में
बैठा हुआ है।
मेहनत मशक्कत करके
मजदूरी कमाने वाला शख्स
आज अपनी बीबी
और बच्चों के
ऊपर आश्रित हो
गया है। और
तो और उनके
रहमोकरम पर ही
जिन्दा हैं। उसे
एक साल तक
के लिए इतंजार
करना होगा, जबतक
अगले साल 30 रूपए
देकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य
बीमा योजना के
तहत निर्गत स्मार्ट
कार्ड का नवीनीकरण
नहीं हो जाता
है। जब 30 रूपए
देकर नवीनीकरण होगा
तब जाकर पुनः
एक साल के
लिए पांच व्यक्तियों
का इलाज करवाने
के पात्र हो
जाएगा। 30 हजार रूपए
तक का इलाज
हॉस्पिटल में भर्ती
होकर करवाने के
योग्य बन जायेगा।
हां, जरूर वह
एक साल तक
इतंजार करेगा। लेकिन उसने
जो छत पर
से गिरकर पैर
तोड़वा बैठे हैं।
क्या जावद पासवान
इलाज करवाकर चलने
लायक बन जाएंगे।
यह यक्ष सवाल
है। अगर चलने
में समर्थ हो
जाएंगे तो जरूर
ही स्मार्ट कार्ड
का गुनगान बखान
और स्मार्ट कार्ड
का आरती उतारना
चाहिए। उससे आगे
यूपीए सरकार की
देन को नमस्कार
करना चाहिए जो
गरीबों के इलाज
में चमत्कार करने
में सहायक सिद्ध
हो पा रहा
है।
अगर उक्त
चमत्कार को धूमिल
करने की दिशा
में पहल हो
चुकी है। वह
भी एलिट ग्रुप
के द्वारा किया
जा रहा है।
जो समझ से
परे की बात
है। अक्सरा जब
कभी हमारे बीच
से कोई प्रियजन
बीमार पड़ जाते
हैं। तब हम
लोग प्रियजन को
डाक्टर साहब के
पास परामर्श के
लिए ले जाते
हैं। जब डाक्टर
साहब इलाज शुरू
कर देते हैं।
तब हम लोग
डाक्टर साहब को
भगवान समझने लगते
हैं। अब उन्हीं
पर आसरा करने
लगते हैं। डाक्टर
साहब की दवा
और भगवान की
दुआ को तालमेल
करके ही डाक्टर
साहब को धरती
पर के भगवान
समझते हैं।
यह जगहाजिर
है। कुछ ऐसे
पेशेवर डाक्टर साहब हैं
जो इन दिनों
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
के तहत निर्गत
स्मार्ट कार्ड से जादू
करने लगे हैं।
दो माह पहले
स्मार्ट कार्ड से सिर्फ
12 हजार रूपए व्यय
किया गया और
दो माह के
बाद स्मार्ट कार्ड
पर जीरो बाइलैंस
शो करने लगा।
यह जादूई करामात
है, न। इसी
तरह की मिलीजुली
खबर भोजपुर जिले
के अगिआंव प्रखंड
के पावना गांव
से प्राप्त हुई
है।
हुआ यह
कि असंगठित क्षेत्र
में जावद पासवान
कार्यशील है। उम्र
51 साल है। मजदूरी
करके खुद का
और अपने परिवार
का दो जून
की रोटी जुगाड़
करते हैं। भोजपुर
जिले के अगिआंव
प्रखंड के पावना
गांव में भवन
निर्माण करने के
दौरान जावद पासवान
छत से धड़ाम
से नीचे गिर
जाते हैं। यह
स्वाभाविक है कि
कोई शख्स छत
से नीचे गिरेगा
तो पैर टूटना
ही है। तो
उनके दाहिने पैर
की हड्डी टूट
गयी। मौके पर
काम करने वाले
सहयोगी मजदूरों ने हमदर्दी
और भाईचारा दिखाते
हुए उनको एक
निजी क्लिनिक में
ले जाकर भर्ती
करवा दिये। अप्रत्याशित
हादसा की खबर
सुनकर घायल के
परिजन भी क्लिनिक
में आ धमके
। जवानी भर
कमाने के बाद
किसी तरह से
बचत करके जमा
की गयी राशि
से जावद का
इलाज किया गया।
इलाज करवाते-करवाते
जमापूंजी सब खर्च
हो गया। इतना
इलाज करवाने के
बाद भी घायल
ठीक नहीं हुआ।
इसके आलोक में
परिजन क्लिनिक से
नाम कटवाकर अन्य
जगह में इलाज
करवाने के लिए
ले गये।
इसके
बाद आरा में
जावद पासवान को
एक निजी क्लिनिक
में भर्ती किया
गया। जहां के
चिकित्सक ने एकमुश्त
दस हजार रूपए
देने की मांग
कर दी। इतनी
राशि थी ही
नहीं। तब जाकर
सोना,चांदी की
तरह स्मार्ट कार्ड
को जत्तन रखने
से तीस
हजारी स्मार्ट कार्ड
काम में आया।
इस स्मार्ट कार्ड
से आरा में
ही डा0 नरेश
प्रसाद के हॉस्पिटल
में ले जाकर
जावद पासवान को
दिखाया गया। यहां
पर दाहिने पैर
का ऑपरेशन कराया
गया। हड्डी के
टूटन को जोड़ने
के लिए स्टील
प्लेट लगाया गया।
खुद डाक्टर नरेश
प्रसाद ने ऑपरेशन
किया। यहां पर
आठ दिनों तक
रखने के बाद
हॉस्पिटल से छुट्टी
दे दी गयी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
के प्रावधान के
अनुसार आवाजाही करने के
लिए एक सौ
रूपए दिये जाते
है। परन्तु डाक्टर
साहब ने नहीं
दिया। दो माह
महीने के बाद
पैर में दर्द
हुआ। धरती पर
के भगवान समझे
वाले चिकित्सक के
शरण में गये।
हॉस्पिटल में तैनात
कर्मी ने कहा
कि इस स्मार्ट
कार्ड में राशि
नहीं है। अगर
ऑपरेशन करवाना है तो
नकद आठ हजार
रूपए निकाले ताकि
सहुलियत से ऑपरेशन
हो सके। पॉकेट
में पैसा नहीं
रहने के कारण
हॉस्पिटल से बैरंग
घर लौट आया।
यह भी बताया
गया कि साल
में एक ही
बार एक ही
जगह में ऑपरेशन
होता है। इस
तरह तो सरेआम
लोगों को ठगने
के लिए कहा
जाता है।