2011 की जनगणना के अनुसार एक हजार लड़कों में 916 बेटियां रह गयी
पटना। बिहार विधान सभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि अनुसूचित जन जाति समुदाय में लड़की जन्म लेने पर खुशी मनाते हैं। इस समुदाय के द्वारा लड़का का पिता लड़की की खोज करने के लिए खाक छानते हैं। लड़का वाला लड़की के पिता को दहेज में बैल देते हैं ताकि बैल के सहारे कृषि कार्य कर सके। मौके पर भावी पीढ़ी को अन्तर जातीय विवाह करने का द्दजाएगी।
एक्शन एड, संयुक्त
राष्ट्र जनसंख्या कोष तथा
बिहार विधान परिषद
की बाल संरक्षण
एवं महिला सशक्तिकरण
समिति ने मिलकर
राज्य स्तरीय जन
संवाद का आयोजन
किया। बिहार विधान
सभा के अध्यक्ष
उदय नारायण चौधरी,
बाल संरक्षण एवं
महिला सशक्तिकरण समिति
की अध्यक्ष एमएलसी
प्रो0किरण घई
सिन्हा, स्वास्थ्य विभाग के
प्रधान सचिव व्यास
जी, यूएनएफपीए की
सिहजो सिंह, एक्शन
एड की एना
सिंह और स्कूल
की बच्चियों ने
दीप प्रज्जवलित करके
किया। इस अवसर
पर विधान सभा
के अध्यक्ष आगे
कहा कि सूबे
के मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार ने त्रिस्तरीय
ग्राम पंचायत के
चुनाव में महिलाओं
को पचास प्रतिशत
आरक्षण दे रखा
है। इसका सकारात्मक
परिणाम सामने आने लगा
है। जिस महिलाओं
को घर की
चहारदीवारी के अंदर
कैद करके रखी
जाती थी। जो
अब वे आजादी
के साथ प्रखंड
कार्यालय में देखी
जाती हैं। ऐसा
करने वाले एमपी
बनकर रह गये
हैं। एमपी का
मतलब मुखिया पति
से है। वहीं
जिस घर के
मर्द लोग अपनी
पुत्रवधू को घर
के बाहर निकलने
नहीं देते थे।
आगे में पुत्रवधू
और पीछे में
स्वयं रहकर पुत्रवधू
के पक्ष में
नारा बुलंद करने
को मजबूर हो
गये हैं।
इस अवसर
पर स्वास्थ्य विभाग
के प्रधान सचिव
व्यास जी ने
कहा कि आज
बेटिया कोख में
और सड़क पर
सुरक्षित नहीं हैं।
अब यह आग
घर की चौखट
पर आ गयी
है। साल 1900 में
बंगाल,उड़ीसा और
बिहार को मिलाकर
एक हजार बेटे
में 1054 बेटी होती
थीं। उसके बाद
साल 2001 में बेटी
919 और 2011 में बेटी
916 होे गयी। यह
बहुत ही चिन्ताजनक
स्थिति है। इसके
आलोक में पूर्व
स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार
चौबे ने फरवरी
माह में बिटिया
बचाओ अभियान चलाये
थे। उसको आगे
बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार ने
साल 2013 को सेव
द गर्ल्स चाइल्ड
इयर की घोषणा
कर रखे हैं।
इस ओर आप
लोग भी आगे
बढ़ाने में योगदान
देना शुरू कर
दिया है। जन
सरोकार के मुद्दे
में सहयोग करना
वक्त की मांग
है।
आगे कहा
कि इस मुद्दे
पर किसी ने
जनहित याचिका सर्वोच्च
न्यायालय में दाखिल
किया था। माननीय
सर्वोच्च न्यायालय संवेदनशील होकर
सरकार को तीन
माह के अंदर
भ्रूण हत्या के
जिम्मेवार अल्ट्रासाउंड और चिकित्सक
के ऊपर लगाम
लगाने का आदेश
जारी किया। केन्द्र
सरकार ने प्री-नेटल डायनोस्टिक
टेक्नोइस एक्ट 1994 (पीसीपीएनडीटी एक्ट
1994) बनाकर नकेल कंसने
का प्रयास करने
लगा। बिहार में
125 मामला प्रकाश में आया
है। इनपर कोर्ट
में मुकदमा किया
गया है। कोर्ट
पूरी से तहकीकात
करने के बाद
आरोपी पर एफआईआर
दर्ज करके सजा
दे सकती है।
सजा अधिकतम तीन
साल और जुर्माना
भी लगाया जा
सकता है। प्रधान
सचिव ने गैर
सरकारी संस्थाओं के नेतृत्व
करने वालों का
आह्वान किया कि
पीसीपीएनडीटी एक्ट में
दबाव डालकर बदलाव
करें कि पुलिस
को अधिकार दिया
जाए ताकि जल्द
से जल्द एफआईआर
दर्ज करके सजा
दिलायी जा सके।
बेटा से
बढ़कर करिय बेटीया
से प्यार, दीदी
बेटी ह वे,घरवा के
रखेली सवार, चाची
बेटी ह वे।
जी हां,आज
शुक्रवार को श्रीकृष्णा मेमोरियल हॉल में
दिनभर बेटिया बचाओ,
मानवता बचाओ पर
जन संवाद किया
गया। इस अवसर
पर सरकारी और
गैर सरकारी संस्थाओं
के संयुक्त प्रयास
से 10 दिवसीय बिटिया
बचाओ कार्यक्रम किया
गया। इसमें स्कूल
के बच्चों को
भी जोड़कर निबंध
प्रतियोगिता आयोजित की गयी।
वाहन यात्रा करके
37 जिलों का भ्रमण
किया गया। नुक्कड़
सभा की गयी।
कुल मिलाकर लड़कों
की संख्या में
लड़कियों की गिरती
संख्या पर चिंता
व्यक्त किया गया।
बिहार विधान
परिषद की बाल
संरक्षण एवं महिला
सशक्तिकरण समिति की अध्यक्ष
एमएलसी किरण घई
सिन्हा ने कहा
कि बिटिया को
आने नहीं देते
और आ जाने
के बाद जीने
नहीं देते। ऐसे
लोगों को समझाने
की जरूरत है।
ताकि राह पर
आ सके। उन्होंने
स्पष्ट तौर पर
कहा कि अल्ट्रासाउंड
क्लिनिक में जाकर
स्टिंग ऑपरेशन करने की
जरूरत है। ताकि
असलियत सामने आ सके।
योजना विभाग
के प्रधान सचिव
विजय प्रकाश ने
पुरानी बात को
भूलाकर नयी सोच
विकसित करने की हैं। लड़के
ही बुढ़ापा की
लाठी बनते हैं।
मरने के बाद
मुखाग्नि कौन देगा?
सम्पति का समान
वितरण करने पर
बल दिया। दहेज
प्रथा को मिलकर
समाप्त किया जा
सकता है।
जरूरत
इसके पहले
आगत लोगों का
स्वागत करते हुए
अखिल चंद मिश्रा
ने कहा कि
एक्शन एड ने
गत वर्ष अप्रैल
माह से सूबे
के 5 जिले गया,पटना, वैशाली,मुजफ्फरपुर
और दरभंगा जिला
में बिटिया बचाओ,
मानवता बचाओ आरंभ
किया गया है।
जो सफलतापूर्वक संचालित
है। बिटिया बचाओ,
मानवता बचाओ को
जिले-जिले में
प्रसार करने के
उद्देश्य से सूबे
के 37 जिलों को
पांच खंड में
विभक्त कर वाहन
यात्रा और जन
जागरण पैदा किया
गया। 10 से 18 जुलाई तक
फिल्म,अभिनय एवं
संभाषण कर चेतना
लाने का प्रयास
किया गया। आगे
उन्होंने कहा कि
लड़कों की तुलना
में लड़कियों की
घटती संख्या छुआछुत
बीमारी की तरह
फैंलने लगी है।
यह बीमारी महामारी
न बन जाए
उसके पहले सचेत
हो जाने की
जरूरत है।
इसके बाद
पांच खंड में
विभक्त जिलों के नेतृत्व
करने वालों ने
अपना अनुभव पेश
किये। कपिलेश्वर राम,
प्रदीप प्रियदर्शी के बदले
में सुदामा सिंह,अरविन्द आदि ने
विचार रखे।
एक्शन एड
के संदीप चाचरा
ने बेटियों के
समर्थन करने वाली
मांगों को जन
प्रतिनिधियों के सामने
रखा। पढ़ाई और
नौकरी की समस्याओं
को दूर करने
पर बल दिया
गया है। विनय
ओहदार ने लड़को
एवं लड़कियों के
बीच लिंगानुपात पर
चिन्ता व्यक्त किया। संचालन
डा0 शरत कुमारी कर रही थीं।
आलोक
कुमार