मुख्यमंत्री के पलकों में शुमार होने वाले दशरथ को कुछ पल के लिए दी कुर्सी
केतन मेहता की फिल्म‘मांझी-द माउंटेन मैन’ रिलीज होगी
पर्वत पुरूष दशरथ मांझी ने एक हथौड़ी-छैनी की मदद से उस पहाड़ को खोदकर रास्ता बना दिया। जिसे पार करने की कोशिश में उसकी पत्नी गिर गयी थी। पर्वत पुरूष ने पहाड़ के सीने को हथौड़ी-छैनी से लगातार वार करके रास्ता बना डाला।
अतरी। गेहलौर पहाड़ को पार करके नियमित दशरथ मांझी खेत में काम करने जाते थे। खेत में काम करने वाले पति को पतिव्रर्ता पत्नी भोजनादि देने जाती थीं। संयोग से दशरथ मांझी की पत्नी पानी ले जाते समय गिर गयीं। गिरने से काफी कम पानी हो गया। इसके चलते पतिव्रता को आत्मग्लानि हो गयी कि पेट भर पति को पानी नहीं पीला सके। वहीं पहाड़ की ठोकर से गिर गयी पति की चोट से दशरथ मांझी बेहाल हो गये। दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी प्यार की पवित्र याद को जिंदा रखने के एक हथौड़ी-छैनी के बल पर गेहलौर पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया।
केतन मेहता अब अपनी फिल्म रिलीज कर सकेंगे। पटना सिविल कोर्ट ने उनकी फिल्म पर से रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी है। केतन मेहता की फिल्म ‘मांझी-द माउंटेन मैन’ एक गरीब व्यक्ति दशरथ मांझी के जीवन की रियल स्टोरी है, जिसने अपने प्यार की खातिर पहाड़ को तोड़ डाला। 1960 के दशक की पृश्ठभूमि पर इस फिल्म का नायक सिर्फ एक हथौड़ी-छैनी की मदद से पहाड़ तोड़ डालता है। ताकि फिर कभी किसी को इस त्रासदी से न गुजरना पड़े। इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने दशरथ मांझी का रोल किया है।
बोधगया में स्थित करमापा मंदिर में सुबह 10 बजे से कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इसका आयोजन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति सामाजिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक फोरम ने किया है। इसके अलावे अतरी प्रखंड में स्थित गेहलौर पहाड़ के तलहट्टी में भी किया गया है। दशरथ मांझी का निधन वर्ष 2007 में नयी दिल्ली स्थित एक हॉस्पीटल में हो गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पत्नी मंजू के गमगीन समारोह में शिरकत करने के बाद बीमार पड़े थे। इसके बाद फिर उठ नहीं सके।
बताते चले कि पर्वत पुरूष दशरथ मांझी से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी प्रभावित हुए थे। इसी के कारण मुख्यमंत्री ने उनको अपने पलकों में पनाह दिये थे और कुछ ही पलों के लिए अपनी कुर्सी पर पदासीन कर दिये। इसके बाद महादलित विकास मिशन के ने सम्मान स्वरूप एक योजना का नाम दशरथ मांझी कौशल विकास योजना रख लिया। इसके तहत युवाओं को स्कील देने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
पर्वत पुरूष दशरथ मांझी के समुदाय की स्थिति काफी दयनीय है। इस दयनीय परिस्थिति से निकलकर मुसहर समुदाय के बाल-बच्चे शिक्षित हो रहे हैं। मगर नौकरी में सामान्य जाति की तरह ही नौकरी में आरक्षण दिया जाता है। मुसहर समुदाय के शिक्षित बच्चों का कहना है कि सरकार मुसहर समुदाय की महिलाओं को 40 प्रतिशत और पुरूशों को 45 प्रतिशत प्राप्तांक पर ही बहाली हो। इन लोगों की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह है कि जितने भी शिक्षित मुसहर समुदाय के बच्चे-बच्चियां हैं उनको सरकारी नौकरी में बहाल करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। इनका कुछ सालों से विचाराधीन मांग अनुसूचित जाति की श्रेणी से निकालकर अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल कर दिया जाए। अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को जल्द से जल्द पूरी करने का आग्रह किया गया है। कारण कि आज भी मुसहर समुदाय आदिवासियों की तरह रहने को बाध्य हो रहे हैं।
आलोक कुमार
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