Monday 1 September 2014

बिहार विधान सभा में एंग्लो इंडियन समुदाय को प्रतिनिधित्व दे

पटना। लोकसभा और विधान सभा में एंग्लो इंडियन समुदाय को प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान किया गया है। संविधान विशेषज्ञों ने महामहिम राष्ट्रपति को लोसभा में दो और राज्यपाल महोदय को राज्य के विधान सभा में एक एंग्लो इंडियन समुदाय को मनोनीत करने का अधिकार दिया है। लोक सभा के बहुमत दल के नेता प्रधानमंत्री और राज्य के विधान सभा के बहुमत दल के नेता मुख्यमंत्री के परामर्श पर ही मनोनीत किया जाता है। झारखंड विभाजन 15 नवम्बर 2000 के बाद बिहार विधान सभा में एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं हो सका है। जबकि एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व झारखंड विधान सभा में है। इस समुदाय के जेजी गोलस्टेन प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

जानकार लोगों का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी का कहना है कि बिहार में एंग्लो इंडियन समुदाय की संख्या अल्पमत है। इसके आलोक में अल्पमत वाले समुदाय को किस आधार से बिहार विधान सभा में प्रतिनिधित्व दिया जाए। झारखंड में इस समुदाय की जनसंख्या अधिक है। इसके आलोक में झारखंड विधान सभा में प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है। इस संदर्भ में संविधान में स्पष्ट वर्णन है। ’संविधान के अनुच्छेद 331 के मुताबिक, यदि सदन में पर्याप्त एंग्लो-इंडियन समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं होता है।’

इसी को आधार बनाकर तमिलनाडु की सामाजिक कार्यकर्ता डायना ग्रेस थोमस एंग्लो इंडियन समुदाय से होने के आधार पर लोकसभा में अपना नामांकन चाहती हैं।
उन्होंने नरेन्द्र मोदी सरकार से लोकसभा के लिए नामांकित किए जाने का आग्रह करते हुए दावा किया है कि उन्हें अन्तरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है। इरोड में जन्मी 33 वर्षीय डायना ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखी है।

चेन्नई से डायना ने पीटीआई को बताया ‘ मुझे ऑल इंडिया एंग्लो-इंडियन एसोसिएशएन , इरोड शाखा और कई अन्तरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय एंग्लो-इंडियन नागरिकों का समर्थन प्राप्त है। लोकसभा के लिए खुद को नामांकित किए जाने को मुझे पूरी आशा है। ’संविधान के अनुच्छेद 331 के मुताबिक, यदि सदन में पर्याप्त एंग्लो-इंडियन समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं होता है तो राष्ट्रपति इस आधार पर एंग्लो-इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए ज्यादा से ज्यादा दो एंग्लो-इंडियन लोगों को सदन में नामांकित कर सकते हैं।

संविधान के मुताबिक सदन में सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 बताई गई है। चुनाव के जरिए राज्यों से 530 सदस्य और केन्द्र शासित राज्यों से 20 से ज्यादा सदस्य चुनकर आते हैं। राष्ट्रपति द्वारा नामांकित एंग्लो-इंडियन समुदाय के लोगों की संख्या दो से ज्यादा नहीं होती ।

आलोक कुमार

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