सभी जगहों में होशियार रहने की जरूरत
भला कौन ईनाम में रूपया दे सकता है?
पटना।
इस मासूम चेहरे
को देख लें।
सोशल मीडिया फेसबुक
की मित्र हैं।
फेसबुक के मित्र
होने के नाते
कष्ट को साझा
करती हैं। ऐसे
लोग एक नहीं
अनेक हैं। जो
जाल फैंलाने में
माहिर हैं। मेल
से फोटो भेजती
हैं। फोटो की
खूबसुरती में खुद
को गंगा नदी
की तरह बहा
देना नहीं है।
मेल के द्वारा
अपने कष्ट को
साझा करती हैं।
लगभग सभी युवतियां
की कहानी समतुल्य
है। इस तरह
की मायावी
बातों के चक्कर
में नहीं पड़ना
है। भूलकर भी
फेरे में नहीं
पड़ना है। अगर
आप अनजान होकर
फेरे में पड़
गये तो भारी
भरकम राशि से
हाथ धोने के
लिए तैयार हो
जाए। आजकल यह
गौरखधंधा फेसबुक में जोरशोर
से जारी है। भला
कौन ईनाम में रूपया दे सकता है? आजकल मोबाइल पर भी मैजेस आता है। आप इतना रूपया बैंक
अकाउंट में जमा कर दे तो आप को बतौर ईनाम में लाख रूपए मिल जाएगा।
सर्वविदित
है कि किसी
अनजान व्यक्ति से
ही फेसबुक पर
मित्र बनाया जाता
है। इसके कारण
आज सोशल मीडिया
को आम से
खास लोगों ने
हाथों-हाथ ले
लिया है। आजकल
सामाजिक प्राणी बनने के
लिए फेसबुक पर
अकाउंट खोलना जरूरी हो
गया है। इसी
लिए किचन से
गाडेन तक कार्य
करने वाले व्यक्तियों
में सामाजिक प्राणी
बनने का हौड़
लग गया है।
यह पूछा जाता
है कि फेसबुक
पर हो? अगर
तो मोबाइल नम्बर
की तरह फेसबुक
का भी अकाउंट
मांग लेते हैं।
हां-हां मित्र
बना लेंगे।
हां,
यह जरूर है
कि प्रतिष्ठा देने
वाले फेसबुक में
अनेक बुद्धिजीवी लोग
हैं। जो सही
मायने में मायने
देने में सक्षम
है। अनेक साथी
हैं जो व्यक्तिगत
रूप से परिचित
नहीं भी होने
पर मित्र बने
हुए हैं। आजकल
राजनेताओं को भी
सोशल मीडिया भाने
लगा है। इसी
लिए फेसबुक पर
ही नजर लगाये
बैठे हुए रहते
हैं। फेसबुक से
अनेक फायदा है
आप पलक झपटते
ही किसी तरह
की फोटो को
अपलॉड कर सकते
हैं। पवन, अमरेन्द्र
आदि कार्टून बनाकर
अपलॉड करते हैं।
कई पत्रकार न्यूज
अपलॉड करते हैं।
राजनीतिज्ञों को बेचारा
बनाकर अंडरवियर पर
ही अपलॉड कर
देते हैं। अपना
बिहार, आर्यावर्त, चिंगारी ग्रामीण
विकास केन्द्र आदि
ब्लॉग को फेसबुक
से जोड़ दिये
हैं। आजकल यह
सोशल मीडिया तो
इलेक्ट्रोनिक्स और प्रिटं
मीडिया को भी
मात दे दिया
है। खोजी पत्रकारिता
में विनायक विजेता,
अन्दर की बात
बाहर लाने में
ज्ञानेश्वार, संतोश सिंह आगे
दिखायी देते हैं।
इसका मतलब सभी
लोग कुछ बहुत
कुछ अपलॉड करते
रहते हैं। अश्लील
फोटो भी अपलॉड
होता है। चैटिंग
भी होता है।
सब कुछ करें
मगर किसी को
ठगने का काम
नहीं करें। अगर
कोई ठगता है
तो उसका पदाफार्श
करने में ही
भलाई है।
अभी
खुद को $
3.700 000.00 मिलियन की बारिस
बताने वाली मरियम
इब्राहिम को विदेशी
व्यक्ति की तलाश
है। जो इस
राशि को निकालने
में सहायक बन
सके। यहां यह
फायदा है कि
मिल्कियत की माहिला
और धन के
मालिक बन जाएंगे।
मगर आपको पहले
40.50 हजार रूपए मेम
साहब के अकाउंट में
डालना पड़ेगा। जब
आप मेम साहब
की अकाउंट में
राशि स्थानान्तरण किये
। वैसे ही
आप ठगा जाएंगे।
सोशल मीडिया से
मेम साहब गोरैया
पक्षी की तरह
फूर्र हो जाएंगी।
खुद
को शरणार्थी कहती
हैं। परन्तु
मिल्कियत की मालिका
है। इनको चाहिए
विदेशी मालिक। जो मेम
साहब की मां-बाप की
मिल्कियत को को
निकालने में सहायक
बन सके। मेम
साहब की मां-बाप की
मृत्यु जंग के
दौरान होने की
बात करती हैं।
दोनों के पास
काफी जायदात है।
मेम साहब ही
एकलौती मिल्कियत की मालिका
हैं।
कहती
हैं यह जायदात
कोई विदेशी व्यक्ति
ही निकाल सकता
है। राशि निकलाने
के लिए नाम
और संर्पक पता
की मांग करती
हैं। जी हां,
अभी डकार सेनेगल
में काफी गर्म
है। मेरा नाम
मरियम इब्राहिम है।
24 वर्ष की हूं।
गणतंत्र देश सुडान
की हूं। अभी
पांच फीट 10 ईंच
की हूं। चेहरे
पर रोकनदार है।
अभी अविवाहित हूं।
अपने मां-बाप
की एकलौती बेटी
हूं। मां-बाप
का नाम डा.
व श्रीमती डाली
इब्राहिम है। इस
समय शरणार्थी कैम्प
में डकार में
हूं। सिविल वार
देश में जारी
है। मां-बाप
मर चुके हैं।
इस समय मेरे
लिए आप और
रेव. फादर पीटरसाइड
है। कैम्प में
ही छोटा चर्च
हैं। इसी में
प्रार्थना करने जाते
हैं। एकमात्र लक्ष्य
से ही आपसे
कॉन्टाक्ट कर रहे
हैं। मेरे फादर
की मृत्यु प्रमाण-पत्र मेरे
साथ है। मैंने
बैंक वालों से
कहा कि तमाम
राशि को मेरे
बैंक में स्थानान्तरण
का दों। उसने
कहा कि इस
तरह शरणार्थी कैम्प
वालों के साथ
नहीं किया जा
सकता है। मेरा
अधिकार नहीं है।
इस तरह के
कार्य करने के
लिए। किसी विदेशी
पार्टनर के ही
सहयोग से बैंक
की राशि निकाल
सकती हूं। $
3.700 000.00 है। मैं
चाहती हूं कि
फंड की निकाशी
के बैंक वालों
से परिचय कर
दूं। कैम्प वालों
से चुपके से
ही कार्य कर
रही हूं। केवल
एक शख्स ही
जानता है जो
रेव0 फादर है।
जो मेरे पिता
तुल्य हैं। मेरा टेलीफोन
नम्बर +221774488631
है। इस नम्बर
में कभी भी
कॉल किया जा
सकता है।
आलोक कुमार