Thursday 29 August 2013

परेशानी के गर्क में पहुंचाने वाले त्रिमूर्त्ति वन विभाग, स्थानीय दबंग और पुलिस


योजनाओं की राशि में बंदर बांट
कागज पर बन गया कूप
                                                   
बांका। नक्सलवादी और माओवादी क्षेत्र बांका जिले में रहने वाले सभी स्तर के गरीब किसान और मजदूरों की स्थिति काफी खराब है। इस जिले में रहने वाले खैरा-आदिवासी,दलित,अल्पसंख्यक सहित महिलाओं को देखकर  ही स्थिति और परिस्थितियों को सहज ढंग से अंदाजा लगाया जा सकता है। इनको परेशानी के गर्क में पहुंचाने वाले त्रिमूर्त्ति वन विभाग, स्थानीय दबंग और पुलिस हैं। इनके गठजोर से गरीबों की परेशानी सदैव बनी रहती है। इनकी झोपड़ी उजाड़ देते है। झोपड़ियों में आग लगा दी जाती है और उनके साथ मारपीट तक की जाती है। गठजोर होने के कारण पुलिस मूकदर्शक बन जाती है। यहां के महारथियों ने कागज पर ही कूप बनाकर मनरेगा की राशि डकार लिये।
दबंगों के द्वारा जमीन पर पर्चा रहते कब्जा नहीं:
 यहां हाल यह है कि सरकार के द्वारा भूदान के प्राणेता विनोबा भावे के द्वारा गरीबों के बीच में भूदान का पर्चा दिया गया है। परन्तु दबंगों के द्वारा जमीन पर पर्चा रहते हुए भी कब्जा होने नहीं दिया जाता है। इसी तरह सरकारी जमीन की भी है। वहीं दूसरी ओर केन्द्र सरकार राज्य सरकार द्वारा हमलोगों को गृह निर्माण ,राशन, पेंशन, स्वास्थ्य शिक्षा,रोजगार के लिए आवंटित राशियों (फंड) का डीलर रोजगार सेवक ,मुखिया, प्रखंड के अधिकारियों द्वारा बंदर बांट कर लिया जाता है। जिनके नाम से जॉब कार्ड है,उसे देखने भी नहीं दिया जाता है। जिलान्तर्गत एन.जी..द्वारा जनता के नाम पर लाये गये सरकारी और गैर सरकारी बड़ी राशि का भी बंदर बांट होते है। जिला के प्राइमरी स्कूलों एवं वन में जानवरों से वृक्षों की रक्षा में तैनात कैटल गार्डों से काम तो भरपूर लिया जाता है, परन्तु वेतन चतुर्थ कर्मचारियों का भी नहीं दिया जाता है। पावर प्लांट की बड़ी कम्पनी के हाथों जहां ओर किसानों की जमीन को बांका में औने-पौने में बेचवाया गया है। बड़ी सिंचाई के लिए उपलब्ध नदी के पानी को भी इन्हीं प्लांट के लिए दे दिया गया है। इससे एक ओर 50 किलोमीटर के ईद-गिर्द पर्यावरण बिगड़ेगा,वहीं दूसरी ओर पीने के लिए तो चापाकल और नलकूप बना है। बीड़ी व्यवसार में लगे मजदूरों को श्रम विभाग के द्वारा बीड़ी मजदूर के रूप् में पहचान-पत्र नहीं निर्गत नहीं किया जाता है। बांका प्रखंड के छत्रपाल पंचायत के ग्राम चौबटिया गोखामारण के खैरा आदिवासी को गांव के ही सामंती तत्व हंसराज यादव अपने वास जमीन को छोड़ने की धमकी देता है, नहीं छोड़ने पर सभी घरों को जलाने की धमकी देता है। वातावरण तनावपूर्ण है, किसी भी समय संघर्ष हो सकता है।

दबंगों के द्वारा झोपड़ी में आग लगा दी जाती हैः
चांदन प्रखंड के पंचायत के कसवा-वसीला के ग्राम पीपरा, भूसी। वीरान जंगल में खैरा जाति के द्वारा बनाये गये झोपड़ी को भूसी गांव के दबंग जगदीश यादव एवं अन्य ने 22 जून,2013 को झोपड़ी जला दिया, जिसकी जानकारी कटोरिया थाना और सूईया .पी. को दी गयी। हवलदार ने जांच कर फिर से झोपड़ी बनाने की बात कहीं और कहा आगे से कोई दिक्कत नहीं होगी। फिर जब हम लोग झोपड़ी बनाकर गुजर-बसर कर रहे थे कि अचानक 27 जुलाई,2013 को 20 की संख्या में दबंगों ने हमारी झोपड़ियों को कुल्हाड़ी से काट कर गिया दिया और मार-पीट करना शुरू कर दिया जिसमें छोटन खैरा, बेबिया देवी एवं अन्य को मिलाकर तीन लोग जख्मी हो गये। इन लोगों ने वहां आतंक और दहशत की स्थिति पैदा कर दिया है। इसी प्रखंड के ही दक्षिण वारने के ग्राम डोमांजान के राजेन्द्र यादव ने खैरा जाति को मारपीट कर जमीन को अपने कब्जे में कर जोत-आबाद कर रहा है। जब खैर जाति संगठित होकर पुनः कब्जा करने का प्रयास करता है तो उसे नक्सलवादी-माओवादी कहकर केस में फंसाने की धमकी दी जा रही है। मारपीट की जाती हैं हम लोग थाना में केस भी किये लेकिन अभी तक परिणाम कुछ भी नहीं निकला है। किसी समय अनहोनी हो सकती है। धाबा से हमरा पंचायत के डीलर के द्वारा राशन के चावन-गेहूं में धांधली किया जाता है। जब हम लोग इसका विरोध करते हैं तो कहता है -‘ जाओ अपने बाप को कहो हमरा क्या बिगाड़ लेगा?’
कागज में कूप निर्माण कर दियाः
कटोरिया प्रखंड के बसमता पंचायत के पूर्व मुखिया भंसू देवी, पति सोचिता यादव एवं रोजगार सेवक की मिलीभगत से गांव धंगरसा के मंटू खैरा, पिता कैलू खैरा के नाम से योजना सं0 2010-2011 में कूप निर्माण की स्वीकृति मिली थी। जो अभी तक तो खोदा गया है और इसकी सूचना है, जो पंचायत कार्यालय के सूचना-पट को देखने से स्वतः स्पष्ट हो जाता है। कटोरिया प्रखंड के मोथावाड़ी पंचायत के ग्राम- बुढ़वा बथान के डीलर प्रसादी यादव द्वारा बोरे मुर्मू और बहनोई रमेश मरांडी को अपना चास-वास छोड़ने की धमकी दी जाती है और कहा जाता है कि यह जमीन हमारी है। यहां पर भी तनाव है। बंगालगढ़ में झोपड़ी जोत आबाद पर कायम रहने में एक दबंग आदिवासी विरोध कर रहे हैं। लोगांय में अपने चास-वास पर कायम रहने के कारण वन विभाग का अधिकारी कैटल गार्ड का दरमाहा रोक दिया है। सुगीवरण में चास-वास पर कायम होने के पूर्व ही दबंगों ने दबाव देना शुरू कर दिया है। धर्मशीला में 8 जून,2013 को वन विभाग के पदाधिकारी 6 बजे सुबह ही आकर सबका नाम लिखकर ले गये और झोपड़ी बनाकर रहने के विरूद्ध धमकी दे गये। झौंपा के जिया झरना में दूसरे संगठन के लोग जब 15-20 घर बसाया तो दबंगों के दबाव के कारण 5-6 घर ही रहे गये हैं। गोबरदहा के आदिवासी के 5 एकड़ जमीन पर वन विभाग के द्वारा जबरन पौधा लगा दिया गया है। ओलहानी में दबंग द्वारा खैरा लोक मंच के बोर्ड को फाड़ दिया गया। जिला के श्रम विभाग के पदाधिकारी की अनुपस्थिति, अनिच्छा,लापरवाही तथा मजदूर विरोधी एवं बीड़ी कम्पनी पक्षीय मानसिकता के कारण अभी तक हजारों बीड़ी मजदूरों को पहचान-पत्र नहीं मिला है।
वनाधिकार कानून 2006 को लागू करोः
भारत जनपहल मंच (पीफा), बांका ने जिला प्रशासन को 7 सूत्री मांग पेश किये हैं। वनाधिकार कानून 2006 को लागू करने, खैरा जाति को जनजाति का दर्जा देने, सरकार के द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं को भ्रष्टाचार के जरिये बंदर बांट करना बंद किया जाए। गरीबों के झोपड़ियों गांव में कुआं,चापाकल,बीपीएल के द्वारा मिलने वाला अनाज, मनरेगा द्वारा मिलने वाला काम, शिक्षा,स्वास्थ्य की सुविधा, इन्दिरा आवास, विधवा, विकलांग, वृद्धावस्था पेंशन आदि को सही ढंग से मुहैया कराओ। सूईया .पी. की मिलीभगत से पीपरा भूंसी में बसे खैरा जाति के गरीबों को मार-पीट कर घायल करने, झोपड़ी उजारने जलाने वाले खास जाति के दबंगों को गिरफ्तार करो तथा सूईया ओपी, प्रभारी को निलंबित करो। दबंग वन विभाग पुलिस गठजोड़ से गरीबों को उजाड़ना मार-पीट करने पर रोक लगाओ। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में कालाजारी बंद करो और लाभुकों को शत-प्रतिशत अनाज आदि मिलने की गारंटी करो। बीड़ी मजदूरों को शिविर लगाकर पहचान-पत्र इन्दिरा आवास का संशोधित राशि एकमुश्त अदा करो।

आलोक कुमार