अपने आंख
के सामने देखी
3 पीढ़ी
कुर्जी पल्ली के
विस्तार रहा महत्वपूर्ण
योगदान
पटना।
वर्ष 1920 में बेतिया
से पटना के
कुर्जी पल्ली में तीन
ईसाई लोग आये
थे। आने वालों
में दाउद दास,उनकी बहन
रसालिया ग्रेगरी और उनका
भगीना पास्कल ग्रेगरी
राउत आये थे।
कुर्जी पल्ली में फादर
बैनटेक रहा करते
थे। फादर के
सहयोगी के रूप
में बहुआयामी कार्य
दाउद दास किया
करते थे। वहीं
ग्रामीण बच्चों को पास्कल
ग्रेगरी राउत पढ़ाते
थे और ईसाई
धर्म का प्रचार-प्रसार भी किया
करते थे। स्व.
पास्कल ग्रेगरी राउत की
पत्नी फुलकेरिया पास्कल
का निधन हो
गया। वे 95 साल
की थीं। ईसाई
धर्मरीति के अनुसार
पार्थिव शरीर को
कुर्जी कब्रिस्तान में दफन
कर दिया गया।
ईसाईयों
का गढ़ पश्चिम
चम्पारण स्थित बेतिया से
पटना मेंः
वर्ष
1920 में ईसाईयों का गढ़
पश्चिम चम्पारण बेतिया से
दाउद दास,उनकी
बहन रसालिया ग्रेगरी
और उनका भगीना
पास्कल ग्रेगरी राउत आये
थे। इसके पहले
कायश्त परिवार के परिजन
दरभंगा से पलायन
करके बेतिया चले
गये थे। कुछ
सालों के बाद
बेतिया से भी
पलायन करके पटना
के कुर्जी पल्ली
में दाउद दास,उनकी बहन
रसालिया ग्रेगरी और उनका
भगीना पास्कल ग्रेगरी
राउत आ गये।
उस समय के
फादर बैनटेक के
कार्य में सहयोग
देने लगें।
तीनों
के परिश्रम के
बलबूते पटना के
कुर्जी पल्ली का हुआ
व्यापक विस्तारः
पहले
वाले फादर का
अन्यत्र चले जाने
के बाद फादर
फोस्टर आ गये।
इनको भी काफी
सहयोग मिला। फादर
के सहयोगी के
रूप में बहुआयामी
कार्य दाउद दास
किया करते थे।
वहीं ग्रामीण बच्चों
को पास्कल ग्रेगरी
राउत पढ़ाते थे
और ईसाई धर्म
का प्रचार-प्रसार
भी किया करते
थे। आज 93 साल
के दरम्यान कुर्जी
पल्ली में ईसाई
धर्मावलम्बियों की संख्या
12 हजार है। यहां-वहां से
आकर 1340 घरों में
रहते हैं। इन
लोगों के प्रयास
से दिन प्रति
दिन कुर्जी पल्ली
का विस्तार होते
चला गया। पटना
महाधर्मप्रांत में सबसे
अधिक ईसाईबल वाली
संख्या कुर्जी पल्ली में
12 हजार हैं।
धर्म
प्रचारक की पत्नी
भी सहयोग किया
करती थीं:
कुर्जी
पल्ली के ग्रामीण
बच्चों को पास्कल
ग्रेगरी राउत पढ़ाते
थे और धर्म
प्रचार का भी
कार्य किया करते
थे। इस क्षेत्र
से प्रकाशित साप्ताहिक
संजीवन अखबार को पाठकों
तक पहुंचाने का
भी कार्य किया
करते थे। इसके
बाद धर्म प्रचारक
की पत्नी फुलकेरिया
पास्कल भी कुर्जी
कब्रिस्तान में कार्य
करती और प्रार्थना
किया करती थीं।
काम और प्रार्थना
के बल पर
फुलकेरिया पास्कल को आत्मबल
मिल पाता था।
आने वाले विध्न
को पार करके
किसी तरह से
कुर्जी पल्ली का विस्तार
करने की सोच
विकसित करते रहे।
धर्म
प्रचारक और उनकी
पत्नी ने 6 पुत्रियां
और 2 पुत्र को
पीछे छोड़कर चल
दियेः
ग्रामीण
शिक्षक और धर्म
प्रचारक पास्कल ग्रेगरी राउत
और उनकी पत्नी
फुलकेरिया पास्कल के सहयोग
से 6 पुत्रियां और
2 पुत्र जन्म लिये।
एडवीणा लियो साह,
मार्सेला बहादुर, क्लेमेंसिया, हेलेन
यूजिन, अलका जेम्स
और रजनी राउत
हैं। आल्फेड पास्कल
और रेमंड पास्कल
हैं। पति के
साथ छोड़ने के
बाद भी विशम
परिस्थिति में फुलकेरिया
पास्कल ने तीन
पुत्रियों को जेनरल
नर्स और 1 पुत्र
को एक्स रे
टेक्निशियन बनाने में सफलता
हासिल कर पायी।
यह देखे कि
फुलकेरिया पास्कल की बेटी
एडवीणा लियो साह
हैं। एडवीणा लियो
साह के पुत्र
राजू लियो हैं
और राजू लियो
साह के पुत्र
संजय साह हैं।
फुलकेरिया पास्कल ने एडवीणा
की शादी की
है। एडवीणा ने
राजू की शादी
की है और
राजू ने संजय
की शादी की
है। इन सभी
शादियों में फुलकेरिया
पास्कल ने शिरकत
की है।
क्या
हो गया था
फुलकेरिया पास्कल कोः
किसी
जगह से टेम्पों
से उतरकर बांसकोठी,
क्रिश्चियन कॉलोनी,दीघा घाट,पटना वाले
घर फुलकेरिया पास्कल
जा रही थीं।
अचानक लावारिश गाय
से भिड़त हो
गयी। 2 साल पहले
उठाकर पटकने से
कमर की हड्डी
टूट गयी। उसी
समय से रोगग्रस्त
होने लगी। बिछावन
से उठकर नहीं
चल सकी। आखिरकार
95 वसंत देखने के बाद
31 अगस्त,2013 की सुबह
शेखपुरा स्थित इंदिरा गांधी
आयुर्विज्ञान संस्थान में अंतिम
सांस ली। उसी
दिन बांसकोठी स्थित
घर लाया गया।
लोगों के दर्शनार्थ
शव को रखा
गया।
ईसाई
धर्मरीति के अनुसार
1 सितंबर,2013 को हुआ
अंतिम संस्कारः
दीघा
थाना क्षेत्रान्तर्गत बांसकोठी
स्थित घर से
फुलकेरिया पासकल की शव
यात्रा प्रारंभ की गयी।
भारी संख्या में
शोकाकुल लोग यात्रा
में चल रहे
थे। कुर्जी गिरजाघर
के मुख्य द्वार
पर शव को
रखा गया। जहां
फादर रेमी साह
ने आकर शव
के ऊपर पवित्र
जल का छिवकाव
किया। कुछ प्रार्थना
किये और शव
को गिरजाघर के
अंदर लाया गया।
फादर सुशील साह
और फादर आशीष
ने मिलकर धार्मिक
अनुष्ठान अर्पित किये। श्री
पीटर के नेतृत्व
में भक्तिगीत प्रस्तुत
की गयी। इस
बीच परम प्रसाद
वितरण किया गया।
अपने प्रवचन में
कुर्जी पल्ली परिषद के
पूर्व सचिव पीटर
डेविड अगस्टीन और
फादर सुशील साह
ने फुलकेरिया पास्कल
को धर्म परायण
महिला करार दिया।
दोनों के अलग-अलग ढंग
से कहा कि
कुर्जी पल्ली के विस्तार
में फुलकेरिया पास्कल
के योगदान को
नकारा नहीं जा
सकता है। 1918 ईस्वी
में जन्म लीं।
15 सालों तक कुर्जी
कब्रिस्तान में कार्य
की। पति के
स्वर्गलोक चले जाने
के बाद वीरांगना
की तरह 2 पुत्र
और 6 पुत्रियों को
सही मुकाम तक
पहुंचाने में महत्वपूर्ण
सहयोग दिया।
जब
गमगीन माहौल में
किया गया अंतिम
संस्कारः
वर्ष
1920 से आज 93 साल के
बाद कुर्जी पल्ली
में रहने वाले
निकट के और
दूर के रिश्तेदार
और शुभचितंको ने
खुद को संभाल
नहीं पाये। प्रायः
सभी की आंखों
से आंसू छलक
ही रहा था।
बहुत ही गमगीन
माहौल में अंतिम
संस्कार किया गया।
मिट्टी की जगहर
फूल की बारिश
की गयी। इस
तरह 95 साल की
धर्मपरायण महिला की अंतिम
संस्कार की रस्म
अदायगी कर दी
गयी। कुर्जी पल्ली
कब्रिस्तान से आलोक
कुमार की रिपोर्ट।
आलोक
कुमार