सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा
सभी पंजीकृत स्कूल,अस्पताल आदि को आरटीआई के अंदर लाना चाहिए।

सुप्रीम
कोर्ट के
सलाहकार समिति
के सदस्य
रूपेश जी
ने कहा
कि हम
लोग इस
दिशा में
बिहार में
1996 से ही
कार्यशील हैं।
राजस्थान के
लोगों से
प्रेरणा लेकर
आगे बढ़
रहे हैं।
जब 2005 में
सूचना का
अधिकार लागू
हुआ। तो
यहां माहौल
प्रतिकूल ही
रहा। कार्यालय
के सामने
टेबुल और
कुर्सी लगाकर
लोगों का
आवेदन लिखा
जाता था।
कोई आवेदन
लेने वाले
नहीं था।
नौकरशाहों से बारम्बार कहा जाने
लगा कि
लोक सूचना
पदाधिकारी को नियुक्त करो और
उनका नाम
कार्यालय के
सामने दीवार
पर लिखकर
टांग दो।
तब जाकर
नौकरशाह करने
लगे। आज
भी हालात
से जंग
करने की
जरूरत है।
बड़ी आसानी
से जानकारी
नहीं ली
जा सकती
है। उसी
तरह सत्तर
के दशक
में कहा
जाता था
कि बिहार
में भूख
से लोगों
की मौत
हो रही
है। इसकी
सूचना मांगी
जाती थी।
परन्तु मिलता
ही नहीं
था। अबतक
150 लोगों की मौत भूख से
हो गयी
है। अभी-अभी सहरसा
जिले के
बैजनाथपुर पंचायत में एक 55 साल
के व्यक्ति
की मौत
भूख से
हो गयी
है।
आज
सूबे के
33 जिले के
आरटीआई कार्यकर्ताओं
का समागम
इंडियन मेडिकल
एसोसिएशन के
सभागार में
किया गया।
इस अवसर
पर मुजफ्फरपुर
जिले से
आये आरटीआई
कार्यकर्ता जो आरटीआई को हथियार
बनाकर जन
सरोकार के
कार्य कर
रहे थे।
यहां की
पुलिस ने
एक लैला
को हथियार
के रूप
में प्रयोग
करके हेमंत
कुमार के
हथियार को
कुंद कर
दिया। पुलिस
ने तख्ती
पर लिखकर
हेमंत कुमार
को रोड
पर घुमाया।
यह
आयोजन सूचना
के जन
अधिकार का
राष्ट्रीय अभियान नेशनल कम्पैन फोर
पीपुल्स राइट
टू इंफोर्मेसन(एन.सी.पी.आर.आई.) के
बिहार राज्य
सम्मेलन किया
था। आरटीआई
कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले
पर जन
सुनवाई की
गयी। इस
अवसर पर
दर्जनों कार्यकर्ताओं
ने जन
सुनवाई के
दौरान आपबीती
बयान किये।
इनके बयानों
और पेश
दस्तावेजों को ऊपरी कार्रवाई करने
के लिए
भेज दिया
जाएगा। महेन्द्र
यादव और
शिव प्रकाश
राय ने
जन सुनवाई
का संचालन
किया। शिव
प्रकाश राय
ने कहा
कि अबतक
बिहार में
5 आरटीआई कार्यकर्ता
शहीद हो
गये हैं।
मुजफ्फरपुर के राहुल कुमार, डा.मुरलीधर जायसवाल
और रामकुमार
ठाकुर। वहीं
बेगूसराय के
शशिधर मिश्रा
और लखी
सराय के
रामविलास सिंह
हैं।
बिहार
राज्य धार्मिक
एवं भाषाई
अल्पसंख्यक आयोग की उपाध्यक्ष पद्मश्री
सुधा वर्गीज
ने कहा
कि हर
क्षेत्र में
महिलाओं को
लेकर कार्य
करने की
जरूरत है।
उन्होंने समस्या
वाले लोगों
से कहा
कि अपनी
समस्या को
नौकरशाहों को देने के लिए
सीखें। तब
जाकर आपकी
समस्याओं का
समाधान हो
सकता है।
हम मजबूर
हैं तो
दूसरों को
भी अपने
कार्य को
करने के
लिए मजबूर
कर दें।
पत्रकार निवेदिता
झा ने
भी अपना
विचार रखे।
कई प्रस्ताव
पारित किया
गया। लोक
सेवा कानून
के तहत
एकल खिड़की
बनाने पर
जोर दिया
गया। सभी
पदाधिकारी मौजूद हो कर समस्याओं
का समाधान
कर दें।
इसके अंदर
भी जन
सुनवाई को
समावेश करने
की मांग
की गयी।
अगर कोई
कार्य शहीद
अथवा प्रताड़ना
के शिकार
होते हैं
तो उनके
द्वारा मांग
की गयी
सूचना को
बेवसाइड पर
अपलॉड कर
दें ताकि
आम जनता
देख सके।
आलोक
कुमार