स्वतः हंगामेदार
नहीं होने से
बलात्कारियों को बढ़ा
मनोबल
सुशीला देवी के
अपराधियों को गिरफ्तार
करके त्वरित न्याय
करें
गया।
सामाजिक कार्यकर्ता सौदागर राम
की पत्नी सुशीला
देवी के साथ
सामूहिक बलात्कार करने के
बाद हत्या कर
दी गयी। डोभी
थानार्न्गत कंजियार गांव में
रहने वाली सुशीला
देवी 8 सितम्बर, 13 की शाम
में करीब साढ़े
छः बजे घर
से शौचक्रिया करने
मैदान में गयी
थीं। घर में
शौचालय नहीं रहने
के कारण घर
से बाहर निकली
तो वह एक
से डेढ़ घंटे
के बाद भी
घर नहीं लौटीं।
घर में रहने
वाले बच्चे ऋतु
रंजन जमा, मनीषा
रंजन , रहमत रंजन,
दिव्या रंजन,आलोक
रंजन और निषांत
रंजन बेहाल हो
गये। बच्चे और
परिवार के अन्य
लोग खोजने निकल
गये। जब लोग
कुछ ही दूर
पर पहुंचे तो
सुशीला देवी का
टार्च खेत में
मिल गया। टार्च
मिलते ही कोहराम
मच गया और
परिजन जोर-जोर
से हल्ला करने
लगे। इस अप्रत्याशित
शोर से गांवघर
के करीब दो
से ढाई सौ
लोग जमा हो
गये। करीब साढ़े
चार घंटे के
बाद 11 बजे रात
में गांव के
ही स्कूल के
पीछे सुशीला देवी
की नंगी लाश
मिल गयी। समाज
के कलंक सफेदपोश
लोगों ने सुशीला
देवी के साथ
सामूहिक बलात्कार किया और
समाज के सामने
जग जाहिर नहीं
होने के कारण
बाद में हत्या
करने तमाम सबूत
और कांटा को
अलग कर दिया।
कंजियार
गांव की काली
करतूत की संपूर्ण
कथा की जानकारी
8 बजे ही परिवार
के लोगों ने
डोभी थाना को
कर दी थी।
सुशीला देवी को
खोजने के दरम्यान
फोन से सूचना
देने के बाद
भी मौके-ए-वारदात पुलिस नहीं
पहुंची। फिर भी
टेलिफोन करना बंद
नहीं किया गया।
कई बार फोन
किया गया लेकिन
रॉग नम्बर कहकर
टेलीफोन काट दिया
जाता था। लगभग
दो बजे रात
में उसी नम्बर
से थाना कर्मियों
से बातचीत की
गयी। आदत से
मजबूर रात की
घटना को सुबह
में निपटाएंगे। यह
कहकर थाने वाले
आश्वस्त कर दिये।
सुबह में आने
का वादा करके
मुर्कर जाने के
बाद जब पुलिस
नहीं आई, तो
गांव वालों ने
मिलकर डोभी चतरा,
नेशनल हाईवे 99 को
ही जाम कर
दिया। उच्च राजपथ
जाम करने के
ढाई घंटे के
बाद पुलिस फिल्मी
स्टाइल में आयी।
आने के बाद
नाटकीय ढंग से
कार्रवाई शुुरू कर दी।
उसने घटना अंजाम
देने के 24 घंटे
बाद पोस्टमार्टम करवाने
की प्रक्रिया शुरू
की।
बिहार
में सुशीला देवी
सामूहिक बलात्कार-हत्या कांड
अकेली घटना नहीं
है। मौजूदा सुशासन
सरकार के कार्यकाल
में सूबे में
महिलाओं पर बढ़ती
हिंसा-बलात्कार की
घटनाओं की यह
एक और कड़ी
है। महिलाओं के
खिलाफ अपराध के
मामले में देश
में बिहार का
चौथा स्थान है।
गत वर्ष 2012 में
महिला हिंसा के
कुल 11229 मामले दर्ज किये
गये। इस साल
जनवरी से जून
तक मात्र छः
महीने में बलात्कार
के 584 मामले दर्ज किये
गये। आज भी
समाज में लोग
इज्जत लुटाने के
डर से अधिकतर
मामले छुपा ही
लेते हैं। सौ
में दस ही
मामले पुलिस में
दर्ज होते है।
सुशासन का दावा
करने वाली मौजूदा
सरकार में महिला
सुरक्षा की दुष्टि
से बिहार की
स्थिति कितनी भयावह है
इसका अंदाजा लगाया
जा सकता है।
इसी तरह मौत
के 10 दिनों के
बाद 16 सितंबर को विरोध
मार्च निकालने वालों
के कार्य पर
आवाज उठाने की
जरूरत है। जो
फैशन परेड की
तरह विरोध मार्च
निकालकर शांत बैठ
जाते हैं।
विरोधी मार्च निकालने
वालों ने सरकार
से की है
किः-
ऽ सुशीला
देवी के अपराधियों
को अविलम्ब गिरफ्तार
करके कड़ी से
कड़ी सजा दों।
ऽ अभी
हाल में बने
बलात्कार सदृश्य अपराधों के
तहत बने अपराध
संशोधन कानून को लागू करने लिये राज्य में आवश्यक
ढाचों को अविलंब
सुनिश्चित करो।
ऽ राज्य
में पूर्ण शराब
बंदी लागू करो।
ऽ महिलाओं
को पूर्ण सुरक्षा
देने की गारंटी
करो।
ऽ गांवघर
में शौचालय निर्माण
करो योजना के
तहत हरेक घरों
में निश्चित तौर
पर शौचालय निर्माण
कराया
जाए।
ऽ चिकित्सीय
जांच की त्वरित
व्यवस्था करो।
ऽ पीड़िता
के परिजनों को
पर्याप्त सहायता राशि मुहैया
करो।
ऽ पीड़िता
के आश्रितों को
विभिन्न योजनाओं से जोड़कर
उन्हें आत्मनिर्भर और सबल
बनाया जाए।
आलोक कुमार