Friday 6 September 2013

अब जाग उठे हम कुछ करके दिखाना है.......



स्मार्ट कार्ड से इलाज करवा कर सीधे जवाब देने लगी महिलाएं

भोजपुर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्मार्ट कार्ड निर्गत किया जाता है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वालों शख्स से तीस रूपए लेकर इंश्योरेंस कम्पनी 30 हजार रूपए का इंश्योरेंस करते हैं। स्मार्ट कार्ड में परिवार के 5 सदस्यों का नाम रहता है। इनको हॉस्पीटल में भर्ती करके इलाज किया जा सकता है। हाल के दिनों में योजना पर काले बादल मंडराने लगा था। चारों तरफ से यह साबित करने का प्रयास किया जा रहा था कि यह सिर्फ महिलाओं का ऑपरेशन करने वाली योजना है। लगातार योजना पर वार होने लगा। यह भी साबित करने का प्रयास किया गया कि पुरूषों का भी गर्भाश्य निकालकर योजना की राशि हड़पी जा रही है। खैर, अब ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं जाग गयी हैं। खुद ही स्मार्ट कार्ड से इलाज करवाकर सीधे तौर पर जवाब देना शुरू कर दी हैं।

खड़ाव पंचायत के धौरी गांव की रहने वाली कलावती देवी ने साबित कर दियायीः
 प्रवेष शर्मा की पत्नी कलावती देवी हैं। प्रवेश शर्मा के नाम से स्मार्ट कार्ड बना हुआ है। स्मार्ट कार्ड की संख्या 10290914512000705 है। 30 रूपए देकर स्मार्ट कार्ड बनाया गया है। इनकी पत्नी के पैर टूट जाने के बाद हॉस्पीटल खर्च में 22 हजार रूपए खर्च हुआ है। चूंकि प्रवेश शर्मा परिवार के मुखिया हैं। इसी लिए हॉस्पीटल का बिल भी प्रवेश शर्मा के नाम से ही बनेगा। जो फंसाना साबित हो गया है। गर्भाश्य का ऑपरेशन महिला का हुआ। और प्रचार कर दिया गया कि पुरूष का भी गर्भाश्य निकालकर चिकित्सक राशि हड़प रहे हैं।

किस तरह से कलावती देवी पैर तुड़वा बैठीः
शाम का समय था। दरवाजे पर बच्चे पानी गिराकर आंगन किचकिच कर दिये थे। अचानक घर से निकलकर कलावती देवी किसी चिकित्सक से दिखाकर दवा लाने जा रही थीं। कलावती देवी को पूर्व अनुमान नहीं था कि दरवाजे के सामने आंगन में पानी गिरा हुआ है। आंगन में आते ही कलावती देवी का पैर फिसल गया और बेसुध होकर नीचे गिर पड़ीं। उनको मालूम नहीं था कि पैर की हड्डी टूट गयी है। घर में ही दवा-दारू शुरू कर दिया गया। जब होश आया तो असहनीय पीड़ा होने लगा। रात के समय में दर्द को कम करने के लिए मालिश करना शुरू कर दिया गया। गर्भ पानी का सेक भी किया गया। दर्द में ही किसी तरह से रात काट ली।

किसी तरह दर्द में रतिया काटने के बाद सुबह हो गयीः
सुबह में गाड़ी बुलायी गयी। कलावती देवी को खाट पर सुताकर गाड़ी पर चढ़ाया गया। गाड़ी से बगल के खैरा गांव में रहने वाले चिकित्सक के पास गये। चिकित्सक ने दर्द से राहत पहुंचाने के लिए सूई लगा दिये। फिर चिकित्सक ने कलावती देवी को आरा रेफर कर दिया। महाबीर टोला में स्थित आर्थोपैडिक्स क्लिनिक में डाक्टर विरेन्द्र कुमार से दिखाकर क्लिनिक में भर्ती कर दिया। स्मार्ट कार्ड को डाक्टर विरेन्द्र कुमार को दिखाया गया। उसके बाद चिकित्सा शुरू हो गया। 1 बोतल खून और 10 बोतल पानी चढ़ाया गया। 8 सूई लगायी गयी। दो पहर भोजन और नास्ता की व्यवस्था की गयी।

स्ट्रील प्लेट लगा दी  गयीः
आर्थोपैडिक्स क्लिनिक में डा. विरेन्द्र कुमार ने ऑपरेशन करके कलावती देवी को स्ट्रील प्लेट लगा दी। पैर से जांघ तक प्लेट लगा दी गयी है। ऑपरेशन के 4 दिनों के बाद नाम काट दिया गया। 5 दिन की दवा दी गयी। कलावती देवी ने अलग से भी 5 हजार रूपए खर्च की थीं। आर्थोपैडिक्स क्लिनिक का बिल 22 हजार रूपए उठा। आवाजाही करने हेतु 100 रूपए दिया गया। फोलोअप करने गये कलावती देवी को भर्ती नहीं किया गया और ही दवाई दी गयी।

आलोक कुमार