दो जगहों में मुसीबत बांसकोठी क्रिश्चियन कॉलोनी में
पटना।
बांसकोठी क्रिश्चियन कॉलोनी कुर्जी पल्ली में है। इन दिनों ईसाई समुदाय का चालीसा
चल रहा है। ईसाई समुदाय गमगीन हैं। हां,उपवास और
पहरेज रख रहे हैं। दिनभर प्रार्थना करने में गुजारते हैं। इस तरह की बानगी
बांसकोठी में देखने को मिला। एक नहीं दो जगहों पर प्रभु येसु ख्रीस्त के दुःखभोग
के अवसर पर मुसीबत को भजन के रूप में पेश किया।
कुर्जी पल्ली के द्वारा माता मरियम के ग्रोटो के पास भजन पेश
किएः कुर्जी पल्ली के सहायक पल्ली पुरोहित फादर
अगस्टीन के नेतृत्व में माता मरियम के ग्रोटो के पास भजन पेश किया गया। मुख्य तौर
पर भजन गाने वालों में फादर अगस्टीन, फादर अनिल और
क्लारेंस हेनरी रहे। सहयोग करने वालों में चार्ली ग्राबिएल, आशा पीटर, जेवियर लुइस,जोनसन पौलूस आदि थे। मौके पर हमारे खुदावंद येसु मसीह की मुसीबत मुवाफिक
मतेउस से भजन पेश किया गया। इसके पहले येसु ने अपना खून बहाकर मुझे बचाया लिया
नामक गीत पेश किया गया।इस आयोजन में कुर्जी पल्ली परिषद के सदस्यों का महत्वपूर्ण
योगदान रहा। कुर्जी पल्ली परिषद के बांसकोठी के प्रतिनिधि चार्ली ग्राबिएल,
आशा पीटर, जेवियर लुइस हैं।
अल्पसंख्यक ईसाई
कल्याण संघः बिहार सरकार से पंजीकृत संस्था
अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ के अध्यक्ष,एस.के.लॉरेंस ने बताया कि कुर्जी पल्ली के प्रधान पल्ली पुरोहित फादर
जोनसन से आग्रह किए थे कि चर्च में संदेश प्रसार कर दें कि अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण
संघ के द्वारा मुसीबत गान प्रस्तुत किया जाएगा। इस संदर्भ में एस.के.लॉरेंस ने कहा
कि चर्च में कुर्जी पल्ली के द्वारा मुसीबत गान प्रस्तुत करने का संदेश प्रसार कर
दिया।इसके कारण पुरोहित के कार्य व्यवहार से नाराज हो गए। अपने स्तर से मुसीबत
कराने लगे। इसी सिलसिले में आज विजय पौल के निवास स्थान पर मुसीबत को भजन के रूप
में पेश किया गया।
मुसीबत दो जगहों पर आयोजित होने से विवाद उत्पन्नः एक दिन में एक ही कॉलोनी में मुसीबत आयोजित होने से हैरत में
ईसाई धर्मावलम्बी पर गए हैं। एक तो अपने अल्पसंख्यक द्वितीय दो जगहों पर आयोजन से
उपस्थिति काफी कम रही। इस बाबत उपस्थित लोग विवाद का खुलकर खुलासा करना नहीं चाह
रहे हैं। कुर्जी पल्ली परिषद के बांसकोठी के प्रतिनिधि ने बाद में खुलासा करने का
वादा करके पल्ला झार दिए।
अब तो मिशनरी
एकाधिकार छोड़ दें: विदेशी भारत छोड़ों, पोलियो भारत छोड़ो की तर्ज पर अब मिशनरी एकाधिकार छोड़ो का नारा
बुलंद होने लगा है।अब भी मिशनरियों को सोचना चाहिए कि यहां के लोग मेहनत करके लायक
बन गए हैं कि किसी आयोजन को सफलतापूर्वक इतिश्री कर सके। रोम के पोप भी लोगों को
नेतृत्व लेने को ललकारते हैं। मगर मिशनरी नेतृत्व देने के बदले वॉलेन्टियर बनाकर
कार्य का इतिश्री करवा लेते हैं। इससे नाराज लोगों का कहना है कि हमलोग चाहते हैं
कि अल्पसंख्यक आयोग में लोग प्रतिनिधित्व करें। मगर राजनीति लाभ हासिल करने के लिए
सत्ताधारी मिशनरियों को ही अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य के रूप में मनोनीत कर देते
हैं। अब भी मिशरियों की आंख और कान खुल जाना चाहिए देखे और समझे ।तब जाकर ईसाई
समुदाय का कल्याण और विकास निश्चित होगा।
आलोक कुमार
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